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ग्राउंड वाटर प्रबंधन सेमिनार में विशेषज्ञों ने बोले-अनावश्यक दोहन के लिए हो कानूनी प्रावधान - भूजल भवन में सेमिनार

ग्राउंड वाटर प्रबंधन और बचाने को लेकर भूगर्भ जल विभाग की तरफ से भूजल भवन में कई विशेषज्ञों ने मंथन किया. इस दौरान विशेषज्ञों ने भूजल बचाने के प्रयासों के साथ अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी चर्चा की.

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Published : Jul 19, 2023, 9:16 PM IST

अनावश्यक भूगर्भ जल दोहन के लिए हो कानूनी प्रावधान. देखें खबर

लखनऊ : भूगर्भ जल विभाग की तरफ से भूजल भवन में ग्राउंड वाटर प्रबंधन और बचाने को लेकर मंथन किया गया. सेमिनार में भूगर्भ जल से जुड़े कई विशेषज्ञों ने भूगर्भ जल बचाने के उपाय सुझाए. कार्यक्रम में भूगर्भ जल विशेषज्ञ शवाहिक सिद्दीकी ने कहा कि भूजल स्तर बढ़ाने के साथ ही जो स्थिति लगातार दोहन की है उसे बेहतर करने की आवश्यकता है. सबसे पहले हमें कानूनी रूप से इसके लिए प्रावधान करने होंगे. जिससे अवैध रूप से भूजल दोहन रोक लगाई जा सके. स्थानीय निकायों के स्तर पर भूजल स्तर को ठीक करने के काम भी करने होंगे. पब्लिक को भी यह समझना होगा कि जितना जरूरी है उतना ही ग्राउंड वाटर खर्च किया जाए.

ग्राउंड वाटर प्रबंधन सेमिनार में मौजूद विशेषज्ञ.
ग्राउंड वाटर प्रबंधन सेमिनार में मौजूद विशेषज्ञ.
ग्राउंड वाटर प्रबंधन सेमिनार में यह हुई चर्चा.
ग्राउंड वाटर प्रबंधन सेमिनार में यह हुई चर्चा.


भूगर्भ जल विशेषज्ञ आरके सिन्हा ने कहा कि भूजल बचाने की जो नीति बनी है, उसे और सशक्त करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि करीब 70 फीसद जल कृषि करने में खर्च हो रहा है. इसके अलावा अन्य कामकाज में भी जल खर्च हो रहा है. हम सबकी जिम्मेदारी है कि भूगर्भ जल का प्रबंधन ठीक से किया जाए और अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी जल के संकट से अवगत कराना होगा. बीबीएयू के इनवायरमेंट साइंस विभाग के प्रोफेसर डॉ. वेंकटेश दत्ता ने कहा कि भूगर्भ जल को बचाने के लिए कैसे सभी विभाग एक साथ काम कर सकते हैं. भूजल बचाने के लिए जो चुनौती सामने आई है. 75 हजार किमी तक कैनाल का वाटर ग्राउंड है, लेकिन 70 फीसद जल का दोहन हो रहा है. ग्राउंड वाटर को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है. कैसे सब मिलकर इसे बचाने के लिए काम कर सकते हैं. कैसे नीति तैयार की जानी है. उस पर हमें प्लानिंग करनी होगी.

ग्राउंड वाटर प्रबंधन सेमिनार में मौजूद विशेषज्ञ.
ग्राउंड वाटर प्रबंधन सेमिनार में मौजूद विशेषज्ञ.
ग्राउंड वाटर प्रबंधन सेमिनार में यह हुई चर्चा.
ग्राउंड वाटर प्रबंधन सेमिनार में यह हुई चर्चा.



नमामि गंगे विभाग के विशेष सचिव राजेश पांडेय ने कहा 2013 से पहले हम ग्राउंड वाटर बचाने के बारे में सोचते तक नहीं थे. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह रही कि भूगर्भ जल काफी मात्रा में हमारे पास था. अब जब ज्यादा दोहन हो रहा है तो इसे बचाने के बारे चिंतित हो रहे हैं. हमें अब इस बारे में गंभीर प्रयास करने होंगे. क्रॉप पैटर्न हमें चेंज करना होगा, इस बारे में केंद्र सरकार भी प्रयासरत है और उसी के अनुसार योजना तैयार की जा रही है. शहरीकरण के बढ़ते खतरे के बीच हमें नई योजना और नई तकनीक के अनुसार ग्राउंड वाटर बचाने के बारे में तेजी से प्रयास करने होंगे. पश्चिम यूपी में गन्ना किसानों से बातचीत करनी होगी और इस दिशा में असल रूप में संसाधन बचाने के प्रयास करने होंगे.

यह भी पढ़ें : महंत नरेंद्र गिरि का गनर मामूली सिपाही से बना अकूत संपत्ति का मालिक, अब केस दर्ज

अनावश्यक भूगर्भ जल दोहन के लिए हो कानूनी प्रावधान. देखें खबर

लखनऊ : भूगर्भ जल विभाग की तरफ से भूजल भवन में ग्राउंड वाटर प्रबंधन और बचाने को लेकर मंथन किया गया. सेमिनार में भूगर्भ जल से जुड़े कई विशेषज्ञों ने भूगर्भ जल बचाने के उपाय सुझाए. कार्यक्रम में भूगर्भ जल विशेषज्ञ शवाहिक सिद्दीकी ने कहा कि भूजल स्तर बढ़ाने के साथ ही जो स्थिति लगातार दोहन की है उसे बेहतर करने की आवश्यकता है. सबसे पहले हमें कानूनी रूप से इसके लिए प्रावधान करने होंगे. जिससे अवैध रूप से भूजल दोहन रोक लगाई जा सके. स्थानीय निकायों के स्तर पर भूजल स्तर को ठीक करने के काम भी करने होंगे. पब्लिक को भी यह समझना होगा कि जितना जरूरी है उतना ही ग्राउंड वाटर खर्च किया जाए.

ग्राउंड वाटर प्रबंधन सेमिनार में मौजूद विशेषज्ञ.
ग्राउंड वाटर प्रबंधन सेमिनार में मौजूद विशेषज्ञ.
ग्राउंड वाटर प्रबंधन सेमिनार में यह हुई चर्चा.
ग्राउंड वाटर प्रबंधन सेमिनार में यह हुई चर्चा.


भूगर्भ जल विशेषज्ञ आरके सिन्हा ने कहा कि भूजल बचाने की जो नीति बनी है, उसे और सशक्त करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि करीब 70 फीसद जल कृषि करने में खर्च हो रहा है. इसके अलावा अन्य कामकाज में भी जल खर्च हो रहा है. हम सबकी जिम्मेदारी है कि भूगर्भ जल का प्रबंधन ठीक से किया जाए और अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी जल के संकट से अवगत कराना होगा. बीबीएयू के इनवायरमेंट साइंस विभाग के प्रोफेसर डॉ. वेंकटेश दत्ता ने कहा कि भूगर्भ जल को बचाने के लिए कैसे सभी विभाग एक साथ काम कर सकते हैं. भूजल बचाने के लिए जो चुनौती सामने आई है. 75 हजार किमी तक कैनाल का वाटर ग्राउंड है, लेकिन 70 फीसद जल का दोहन हो रहा है. ग्राउंड वाटर को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है. कैसे सब मिलकर इसे बचाने के लिए काम कर सकते हैं. कैसे नीति तैयार की जानी है. उस पर हमें प्लानिंग करनी होगी.

ग्राउंड वाटर प्रबंधन सेमिनार में मौजूद विशेषज्ञ.
ग्राउंड वाटर प्रबंधन सेमिनार में मौजूद विशेषज्ञ.
ग्राउंड वाटर प्रबंधन सेमिनार में यह हुई चर्चा.
ग्राउंड वाटर प्रबंधन सेमिनार में यह हुई चर्चा.



नमामि गंगे विभाग के विशेष सचिव राजेश पांडेय ने कहा 2013 से पहले हम ग्राउंड वाटर बचाने के बारे में सोचते तक नहीं थे. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह रही कि भूगर्भ जल काफी मात्रा में हमारे पास था. अब जब ज्यादा दोहन हो रहा है तो इसे बचाने के बारे चिंतित हो रहे हैं. हमें अब इस बारे में गंभीर प्रयास करने होंगे. क्रॉप पैटर्न हमें चेंज करना होगा, इस बारे में केंद्र सरकार भी प्रयासरत है और उसी के अनुसार योजना तैयार की जा रही है. शहरीकरण के बढ़ते खतरे के बीच हमें नई योजना और नई तकनीक के अनुसार ग्राउंड वाटर बचाने के बारे में तेजी से प्रयास करने होंगे. पश्चिम यूपी में गन्ना किसानों से बातचीत करनी होगी और इस दिशा में असल रूप में संसाधन बचाने के प्रयास करने होंगे.

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