लखनऊ : उच्चतम न्यायालय के आदेश पर प्रदेश सरकार ने नगर निकायों में श्वान से सम्बंधित आदर्श कार्यवाही प्रक्रिया (एसओपी) को जारी कर दिया है. इसके लिए प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने निदेशक स्थानीय निकाय सहित समस्त नगर आयुक्त एवं अधिशासी अधिकारियों को इन एसओपी को लागू करने के निर्देश दिए हैं. निराश्रित श्वानों की संख्या वृद्धि को रोकने के लिए इनके भोजन, पानी एवं आश्रय स्थलों, जिसमें खुला कचरा स्थल, मांस की दुकानों की निगरानी की जाए और इनके खाद्य कचरे की उपलब्धता को नियंत्रित भी करें क्योंकि ऐसे स्थानों पर ही इनकी संख्या ज्यादा होती है, जबकि साफ-सुथरे क्षेत्रों में इनकी संख्या कम होती है.
प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात (Principal Secretary Urban Development Amrit Abhijat) ने बताया कि एसओपी मानक के अनुसार, प्रत्येक 100 व्यक्ति पर तीन श्वान का अनुपात है. देसी श्वानों को पालतू बनाए जाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाए और इसके लिए मुख्य सरकारी भवनों में प्रचार भी किया जाए. देसी निराश्रित श्वानों को सड़क अथवा पशु-शरणालयों से गोद लेने वाले परिवारों को नगर निकाय में रजिस्ट्रेशन से छूट दी जाए. साथ ही ऐसे श्वानों की नसबंदी एवं प्रथम टीकाकरण भी निःशुल्क किया जाए.
नगर निकायों में चल रहे विदेशी श्वानों के विक्रय व प्रजनन केंद्रों को बिना वैध लाइसेंस के न चलने दिया जाए, जो डॉग ब्रीडर एवं पेट शॉप बिना पशु कल्याण बोर्ड के रजिस्ट्रेशन से कार्यरत हों, उन्हें नगर निकाय द्वारा तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए. घरों में पाले जाने वाले विदेशी नस्लों के श्वानों का पंजीकरण कराया जाना अनिवार्य किया जाए. इनके स्वामियों से श्वानों के नियमित टीकाकरण का प्रमाण-पत्र प्राप्त किया जाए. प्रत्येक नगर निगम, नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत स्तर पर समितियों का गठन आगामी दो माह में पूर्ण किया जाए. लखनऊ नगर निगम में एबीसी सेंटर हैं, शेष 16 नगर निगमों में इसका निर्माण तीन चरणों में तीन वर्षों में किया जाएगा. इन 16 नगर निगमों में से गाजियाबाद, कानपुर, प्रयागराज, अलीगढ़, फिरोजाबाद एवं वाराणसी में एबीसी (Animal Birth Control) सेंटर का निर्माण प्रथम चरण में किया जाएगा. प्रदेश के नगर निगमों के अतिरिक्त शेष 58 जनपदों में निराश्रित श्वानों के बन्ध्याकरण के लिए जनपद स्तर पर एबीसी सेंटर का निर्माण अगले पांच वर्ष में चरणबद्ध रूप से किया जाएगा.
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