लखनऊ: योगी सरकार श्रमिकों और कामगारों की घर वापसी करा रही है. इसके साथ ही प्रवासी मजदूरों और कामगारों के लिए सरकार ने 'कारखाना अधिनियम' में संशोधन किया है. इसके अंतर्गत अब मजदूर आठ घंटे की जगह पर 12 घंटे भी काम कर सकेंगे. उत्तर प्रदेश के श्रम विभाग ने कारखाना अधिनियम के तहत पंजीकृत नौकरियों में काम करने वाले वयस्क मजदूरों को दी जाने वाली छूट को शर्तों के साथ लागू करने का फैसला किया है.
श्रम विभाग की तरफ से जारी शासनादेश में कहा गया है कि अब कोई वयस्क कामगार किसी कारखाने में एक कार्य दिवस में 12 घंटे और सप्ताह में 72 घंटे से अधिक काम नहीं करेगा. इसके साथ ही शासनादेश में कारखानों में कामगारों की कार्य अवधि के बारे में भी जिक्र किया गया है. इसमें कहा गया है कि कामगारों की कार्य अवधि इस प्रकार से तय की जाए, जिससे अवधि 6 घंटे से ज्यादा न हो. इसके साथ ही आधे घंटे का विश्राम भी कामगार को 6 घंटे की कार्य अवधि के बाद दिया जाएगा.
श्रम विभाग की तरफ से जारी शासनादेश में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि जब आठ घंटे की ड्यूटी की मजदूरी 80 रुपये निर्धारित थी तो अब 12 घंटे की ड्यूटी की मजदूरी 120 रुपये होगी. कारखाना अधिनियम में जो छूट दी गई है, वह 20 अप्रैल से 19 जुलाई 2020 तक की अवधि के लिए निर्धारित की गई है.
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2. जबकि परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने श्रमिकों के लिए प्रतिदिन 12 नहीं बल्कि 8 घण्टे श्रम व उससे ज्यादा काम लेने पर ओवरटाइम देने की युगपरिवर्तनकारी काम तब किया था जब देश में श्रमिकों/मजदूरों का शोषण चरम पर था। इसे बदलकर देश को उसी शोषणकारी युग में ढकेलना क्या उचित?
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— Mayawati (@Mayawati) May 9, 2020
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने श्रम विभाग की तरफ से जारी शासनादेश को कामगारों और मजदूरों का शोषण करने वाला बताया है. उन्होंने ट्वीट करके कहा है कि इससे मजदूरों का और शोषण होगा. कारखाने ज्यादा समय तक काम लेंगे, लेकिन पैसे की चिंता नहीं करेंगे. यह बिल्कुल भी सही निर्णय नहीं है.
मायावती के इस ट्वीट का जवाब देते हुए राज्यमंत्री सुनील भराला ने कहा कि सरकार ने इस शासनादेश में मजदूरों के हित में कहा है कि श्रमिक अपनी मर्जी के अनुसार अगर अधिक काम करेंगे तो उन्हें पैसे भी ज्यादा मिलेंगे. यह छूट सिर्फ पंजीकृत मजदूरों के लिए दी गई है. इसमें कर्मचारियों, मजदूरों और कामगारों का किसी प्रकार से कोई शोषण नहीं है. विपक्ष अनावश्यक सवाल उठा रहा है. यह फैसला मजदूरों के हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया है.