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नवजात शिशुओं के जीवन को संकट में डाल रहे राजकीय बाल गृह के लापरवाह कर्मचारी

राजधानी लखनऊ के बाल गृह में पल रहे नवजात शिशुओं की देखभाल करने वाले कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों से भागते फिर रहे हैं. नतीजतन दो-दो शिशुओं की देखभाल एक अटेंनडेंट कर रही है. हालांकि विभाग का दावा है कि बाल गृह में कर्मचारियों की कमी नहीं है.

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Published : Jun 20, 2023, 11:17 PM IST

नवजात शिशुओं के जीवन को संकट में डाल रहे राजकीय बाल गृह के लापरवाह कर्मचारी. देखें खबर

लखनऊ : लखनऊ के डालीबाग स्थित राजकीय बाल गृह में नवजात शिशुओं के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा हैं. अगर बच्चों की तबियत खराब होती है तो उन्हें सही समय पर इलाज दिलाने की जिम्मेदारी बाल गृह की होती है, लेकिन बाल गृह में जब किसी शिशु की तबीयत पूरी तरह से खराब हो जाती है तब उसे अस्पताल में लेकर जाया जाता है. इन बच्चों का ख्याल रखने के लिए बाल गृह में कर्मचारियों की भी कमी है. यही कारण है कि अस्पताल में निमोनिया से जूझ रहे दो नवजात शिशु को एक आया संभाल रही है. छह महीने पहले भी इसी तरह का ही मामला सामने आया था जिसमें राजकीय बाल गृह के छोटे बच्चे निमोनिया व मलेरिया की चपेट में थे.

राजकीय बाल गृह में लापरवाही.
राजकीय बाल गृह में लापरवाही.



राजकीय बाल गृह की आया (कर्मचारी) मंजू देवी ने बताया कि बीते एक हफ्ते से बच्चे बीमार हैं और दोनों बच्चे को निमोनिया हुआ है. सिविल अस्पताल के डॉक्टर बच्चों का इलाज कर रहे हैं और बच्चों को पीआईसीयू में भर्ती किया गया है. यहां पर उन्हें किसी प्रकार की कोई दिक्कत परेशानी नहीं हो रही है. मंजू ने बताया कि राजकीय बाल गृह में कर्मचारियों की कमी है. इस वजह से दो बच्चों के साथ सिर्फ एक ही अटेंडेंट भेजा गया है और दोनों बच्चों को संभालना मेरी जिम्मेदारी है. राजकीय बाल गृह में कर्मचारी अभी छुट्टी पर हैं तो किसी की तबीयत खराब है. ऐसे में कर्मचारियों की कमी बनी हुई है. बातचीत के दौरान मंजू ने कहा कि राजकीय बाल गृह में नवजात शिशु का ख्याल कर्मचारी के अलावा नर्स भी रखती हैं. मंजू ने कहा कि एक ही साथ दोनों बच्चों को संभाल पाना थोड़ा मुश्किल हो रहा है, लेकिन जिम्मेदारी को निभा रहे हैं.

राजकीय बाल गृह में लापरवाही.
राजकीय बाल गृह में लापरवाही.


डीपीओ विकास सिंह ने बताया कि राजकीय शिशु बाल गृह में दो भाग किए गए हैं. जिसमें एक न्यू बोर्न बेबी की देखभाल होती है और दूसरे में दो वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों की देखरेख होती है. न्यू बोर्न बेबी 56 हैं. इनके लिए 30 कर्मचारी, चार अभी और नियुक्त हुए हैं. दो सफाई कर्मचारी नियुक्त हैं, इसलिए अब 36 कर्मचारी हैं और 22 बच्चे हैं. 14 अन्य कर्मचारी, टीचर और सोशल वर्कर भी हैं. सोमवार को राजकीय शिशु बाल गृह का मौके से मुआयना किया था. जहां सभी कर्मचारी तैनात मिल, स्टाफ की कमी नहीं है. उत्तर प्रदेश बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र शर्मा से इस मामले में बात करने के लिए की बार फोन किया गया, लेकिन उनके द्वारा कोई जवाब नहीं मिला.



यह भी पढ़ें : International Yoga Day : योगासन से आसान कर रहे अपनी और दूसरों की जिंदगी

नवजात शिशुओं के जीवन को संकट में डाल रहे राजकीय बाल गृह के लापरवाह कर्मचारी. देखें खबर

लखनऊ : लखनऊ के डालीबाग स्थित राजकीय बाल गृह में नवजात शिशुओं के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा हैं. अगर बच्चों की तबियत खराब होती है तो उन्हें सही समय पर इलाज दिलाने की जिम्मेदारी बाल गृह की होती है, लेकिन बाल गृह में जब किसी शिशु की तबीयत पूरी तरह से खराब हो जाती है तब उसे अस्पताल में लेकर जाया जाता है. इन बच्चों का ख्याल रखने के लिए बाल गृह में कर्मचारियों की भी कमी है. यही कारण है कि अस्पताल में निमोनिया से जूझ रहे दो नवजात शिशु को एक आया संभाल रही है. छह महीने पहले भी इसी तरह का ही मामला सामने आया था जिसमें राजकीय बाल गृह के छोटे बच्चे निमोनिया व मलेरिया की चपेट में थे.

राजकीय बाल गृह में लापरवाही.
राजकीय बाल गृह में लापरवाही.



राजकीय बाल गृह की आया (कर्मचारी) मंजू देवी ने बताया कि बीते एक हफ्ते से बच्चे बीमार हैं और दोनों बच्चे को निमोनिया हुआ है. सिविल अस्पताल के डॉक्टर बच्चों का इलाज कर रहे हैं और बच्चों को पीआईसीयू में भर्ती किया गया है. यहां पर उन्हें किसी प्रकार की कोई दिक्कत परेशानी नहीं हो रही है. मंजू ने बताया कि राजकीय बाल गृह में कर्मचारियों की कमी है. इस वजह से दो बच्चों के साथ सिर्फ एक ही अटेंडेंट भेजा गया है और दोनों बच्चों को संभालना मेरी जिम्मेदारी है. राजकीय बाल गृह में कर्मचारी अभी छुट्टी पर हैं तो किसी की तबीयत खराब है. ऐसे में कर्मचारियों की कमी बनी हुई है. बातचीत के दौरान मंजू ने कहा कि राजकीय बाल गृह में नवजात शिशु का ख्याल कर्मचारी के अलावा नर्स भी रखती हैं. मंजू ने कहा कि एक ही साथ दोनों बच्चों को संभाल पाना थोड़ा मुश्किल हो रहा है, लेकिन जिम्मेदारी को निभा रहे हैं.

राजकीय बाल गृह में लापरवाही.
राजकीय बाल गृह में लापरवाही.


डीपीओ विकास सिंह ने बताया कि राजकीय शिशु बाल गृह में दो भाग किए गए हैं. जिसमें एक न्यू बोर्न बेबी की देखभाल होती है और दूसरे में दो वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों की देखरेख होती है. न्यू बोर्न बेबी 56 हैं. इनके लिए 30 कर्मचारी, चार अभी और नियुक्त हुए हैं. दो सफाई कर्मचारी नियुक्त हैं, इसलिए अब 36 कर्मचारी हैं और 22 बच्चे हैं. 14 अन्य कर्मचारी, टीचर और सोशल वर्कर भी हैं. सोमवार को राजकीय शिशु बाल गृह का मौके से मुआयना किया था. जहां सभी कर्मचारी तैनात मिल, स्टाफ की कमी नहीं है. उत्तर प्रदेश बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र शर्मा से इस मामले में बात करने के लिए की बार फोन किया गया, लेकिन उनके द्वारा कोई जवाब नहीं मिला.



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