लखनऊः पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण की तैयारियों से खफा बिजलीकर्मी 5 अक्टूबर को हड़ताल पर रहेंगे. बिजली कर्मियों की हड़ताल से निपटने के लिए सरकार ने उपकेंद्रों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस कर्मियों के हवाले कर दी है. वहीं विद्युत आपूर्ति बहाल रहे इसके लिए लेखपालों को भी ड्यूटी पर लगा दिया गया है. इतना ही नहीं बिजली कर्मियों के हड़ताल पर जाने को ध्यान में रखकर विकल्प के तौर पर विभिन्न फर्म से कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर उपकेंद्र पर लगाया जा रहा है.
प्रदेश भर के नियमित बिजली कर्मी हड़ताल पर
सोमवार को प्रदेश भर के नियमित बिजली कर्मचारी हड़ताल पर जा रहे हैं. ऐसे में अगर बिजली गुल हुई तो लोगों को गर्मी में पसीना बहाना पड़ेगा. इस हड़ताल से पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन भी काफी चिंतित है, इसलिए रविवार को विभिन्न एजेंसियों से कर्मचारियों को बिजली घरों पर तैनात करने के लिए प्रशिक्षण दिलाया गया.
बिजली कर्मियों को मनाने की कोशिश फेल
शाम को प्रबंधन ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के साथ बैठक कर हड़ताल पर न जाने के लिए मनाने के भी प्रयास किए. विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों से दिनभर संपर्क स्थापित किया जाता रहा, लेकिन संगठन इस बात को लेकर काफी आक्रोशित है कि बिजली विभाग को निजीकरण के रास्ते पर क्यों ले जाया जा रहा है.
संविदा कर्मियों के कुछ संगठन हड़ताल से दूर
राजधानी लखनऊ में 5 अक्टूबर को हड़ताल के दौरान बिजली विभाग के कर्मचारी उपकेंद्रों पर उपद्रव न कर सकें, इसके लिए पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है. साथ ही अतिरिक्त कर्मचारियों को भी तैनात करने की पूरी व्यवस्था है. प्रबंधन के लिए राहत की बात यह है कि कुछ संविदा कर्मचारी संगठन इस हड़ताल से खुद को दूर रख रहे हैं. हालांकि नियमित कर्मचारियों के संगठनों ने संविदा कर्मियों के भी हड़ताल में साथ होने की बात कही है.
अंबेडकरनगर में लेखपाल संघ ने ऑर्डर लेने से किया इनकार
जिलों में उपकेंद्रों पर लेखपालों की तैनाती को लेकर यह भी सामने आया है कि अंबेडकरनगर में लेखपाल संघ ने उपकेंद्रों पर लेखपालों की ड्यूटी का ऑर्डर लेने से ही मना कर दिया है. ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि बिजली विभाग के कर्मचारी अतिरिक्त कर्मचारियों को बिजली घरों पर घुसने ही नहीं दे रहे हैं. अब ऐसे में यह 5 अक्टूबर को पता चलेगा कि हड़ताल का कितना असर होता है और सरकार ने जो तैयारी कर रखी है उससे हड़ताल से किस हद तक निपटा जा सका है.