लखनऊ : प्रदेश सरकार के लाख दावों के बावजूद बालू, मौरंग जैसे खनिजों की ओवर लोड़िंग पर लगाम नहीं कस पा रही है. जब सरकार ज्याद सख्ती बरतती है, तब इस पर थोड़ी लगाम कसती है, लेकिन बाद में स्थितियां फिर पहले जैसी हो जाती हैं. हालांकि यदि 2012 से 2017 के सपा सरकार के शासनकाल की बात करें तो उस समय खनन में खूब अनियमितता हुई और ओवर लोडिंग में भी लगाम नहीं लगाई गई. हालांकि योगी सरकार में ओवरलोडिंग के खिलाफ कई बार अभियान चले और प्रभावी कार्रवाई भी हुई. बावजूद इसके मौका मिलते ही सांठगांठ कर ओवरलोडिंग फिर शुरू हो जाती है.
पिछले दिनों मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग की निदेशक डॉ. रौशन जैकब ने अवैध खनन और ओवर लोडिंग पर नकेल कसने के लिए कई कदम उठाए थे. उन्होंने फिक्स बॉडी के वाहनों में ही खनिजों में परिवहन करने के आदेश दिए थे।. इसके बाद परिवहन विभाग हरकत में आया और बालू, मौरंग, गिट्टी आदि पर हो रही ओवरलोडिंग पर सख्ती बरतनी शुरू की. आदेश दिया अब बिना मैप्ड माइन टैग एवं और बिना परिवहन पास के खनिजों का परिवहन किसी भी दशा में नहीं होने दिया जाएगा. निरीक्षण में सामने आया है कि वाहनों के परिवहन पास के खनन स्थल (हमीरपुर और जालौन) से अधिक दूरी के गन्तव्य स्थल दर्शाकर पास में परिवहन अवधि बढ़ाकर जारी कराया जा रहा. ऐसे में परिवहन पास में अब अनुमानतः दूरी, दायरा और अवधि भी तय की जाएगी.
ओवरलोडिंग पर प्रभावी कार्यवाही के लिए शासन ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि बिना मैप्ड माइन टैग एवं बिना खनिजों के परिवहन पास के वाहनों का परिवहन सख्ती से रोका जाए. जांच के दौरान यह भी देखा गया कि वाहनों के परिवहन पास में खनन स्थल से अधिक दूरी के गन्तव्य स्थल को दर्शाकर पास में परिवहन अवधि बढ़ाकर जारी कराया जा रहा है. इस प्रकार के परिवहन पास के आधार पर कम दूरी के जनपदों में एक से अधिक बार खनिज का परिवहन करने का प्रयास किया जाता है, जिसे नियंत्रित करने के लिए जिलाधिकारियों को आदेश दिए गए हैं. बावजूद इसके मौका मिलते ही अवैध खनन और ओवरलोडिंग शुरू हो जाती है. हालांकि पकड़े जाने पर इन पर बड़ी राशि का जुर्माना और कार्रवाई की जाती है. शासन के ताजा निर्देशों के बाद ओवरलोडिंग कितनी रुक पाती है याह देखने वाली बात होगी.
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