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प्रेमिका पर हुआ शक तो कर दिए थे 17 टुकड़े, लड़की का शव देख कांप गई थी पुलिस

श्रद्धा हत्याकांड जैसा ही सात साल पहले दो फरवरी को लखनऊ में एक ऐसा मर्डर केस सामने आया था, जिसने पुलिस के होश उड़ा दिए थे. इस हत्याकांड के बारे में जिसने भी सुना, उसने यही कहा कि ऐसी दरिंदगी शायद हो कभी देखी होगी. ईटीवी भारत आपको उसी मर्डर केस के बारे में बताएगा जिसमें एक 20 साल की लड़की के 17 टुकड़े किए गए थे और उसके कातिल को पकड़ने के लिए पुलिस को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ गया था.

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Published : Nov 24, 2022, 10:07 PM IST

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लखनऊ : श्रद्धा हत्याकांड जैसा ही सात साल पहले दो फरवरी को लखनऊ में एक ऐसा मर्डर केस सामने आया था, जिसने पुलिस के होश उड़ा दिए थे. इस हत्याकांड के बारे में जिसने भी सुना, उसने यही कहा कि ऐसी दरिंदगी शायद हो कभी देखी होगी. ईटीवी भारत आपको उसी मर्डर केस के बारे में बताएगा जिसमें एक 20 साल की लड़की के 17 टुकड़े किए गए थे और उसके कातिल को पकड़ने के लिए पुलिस को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ गया था.



2 फरवरी 2015 को काफी ठंड थी. कोहरे को चीरते हुए लखनऊ पुलिस के सिपाही गश्त पर निकले हुए थे. इसी दौरान सिपाहियों को सुबह सात बजे शहीद पथ के नीचे पर किसी का पैर पड़ा दिखा. सिपाही शहीद पथ के नीचे उतरे और करीब से देखा तो उनके होश उड़ गए, पैर लड़की का था, लेकिन बाकी का शरीर वहां नहीं था. सिपाहियों ने तत्काल अपने उच्च अधिकारियों (higher officials) को सूचना दी और मौके पर डॉग स्क्वायड के साथ पुलिस बल पहुंचा. इसके बाद शुरू की बाकी शरीर की तलाश. करीब 6 घंटे की मशक्कत के बाद 2 बजे शहीद पथ से 250 मीटर दूर पुलिस को एक प्लास्टिक का बोरा (plastic bag) मिला. बोरा खुलवाया गया, तो सभी हक्के बक्के रह गए. बोरे के अंदर कई टुकड़ों में लड़की का शरीर था. वहां मौजूद कोई पुलिसकर्मी उस बोरे को देखने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहा था.

जानकारी देते संवाददात गगनदीप मिश्रा.
गौरी के रूप में हुई लाश की शिनाख्त : बोरे में लड़की का धड़-सिर व दोनों हाथ अलग-अलग पॉलीथिन में रखे गए थे. हालांकि लड़की के चेहरे की पहचान साफ साफ हो रही थी. पुलिस ने तत्परता दिखाई और कुछ ही देर में लाश की शिनाख्त 19 साल की अमीनाबाद की रहने वाली लॉ स्टूडेंट गौरी श्रीवास्तव (Gauri Srivastava, a law student from Aminabad) के रूप में हुई. गौरी एक दिन पहले ही अपने पिता शिशिर श्रीवास्तव का जैकेट ड्राइक्लीन को देने के लिए घर से निकली थी. घर से निकलते समय गौरी ने अपनी मां को बताया था कि वो मंदिर भी जाएगी. इसके बाद वह लापता हो गई थी. पुलिस की अब बारी थी उस व्यक्ति को ढूंढना जिसने गौरी के साथ यह दरिंदीगी की थी. तत्कलीन लखनऊ एसएसपी यशस्वी यादव (SSP Yashasvi Yadav) ने कातिल को पकड़ने के लिए 10 टीमें गठित कीं और पड़ताल शुरू हुई. पुलिस ने सबसे पहले गौरी के मोबाइल की कॉल व इंटरनेट लॉग डिटेल खंगालना शुरू किया. गौरी जिस इलाके में आखिरी बार देखी गई वहां से शहर के सभी मार्गों के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी खंगाले गए. गौरी के मोबाइल का इंटरनेट लॉग खंगालने पर पता चला कि नाका में उसने केवल वॉट्सएप पर चैट किया था. नाका के जिस सीसीटीवी में वह दिखाई दी थी, उसमें भी वह चलते-चलते फोन पर टाइप कर रही थी. पुलिस ने गौरी की फोन की लोकेशन की हिस्ट्री देखी तो पता चला कि गौरी एक बजे घर से निकलने के बाद करीब चार घंटे तक नाका, राजेंद्रनगर, कैसरबाग, अमीनाबाद और बांसमंडी में घूमती रही. इस दौरान कई बार उसका फोन स्विच ऑफ हुआ. शाम करीब पौने सात बजे फोन की लोकेशन ईको पार्क और उसके कुछ मिनट बाद खरिका तेलीबाग और सदर के मछली मोहाल में मिली.एक बाइक ने पुलिस को पहुंचाया हत्यारे के पास : पुलिस को सीसीटीवी फुटेज में गौरी एक बाइक पर दिखी, जिसे एक हेलमेट लगाए हुए लड़का चला रहा था. पुलिस ने संदिग्ध की फोटो जारी की. लड़का हेलमेट लगाए हुआ था, ऐसे में उसकी पहचान नहीं हो पा रही थी. इस दौरान पुलिस ने गौरी के करीबी दोस्तों से पूछताछ की तो सामने हिमांशू नाम के एक लड़के का नाम आया जो गौरी का प्रेमी बताया जा रहा था. इसके बाद गौरी हत्याकांड (Gauri murder case) की कड़ियां जुड़ने लगीं. हत्याकांड के केस को खुद तत्कलीन डीजीपी एके जैन (DGP AK Jain) मॉनिटरिंग कर रहे थे. एके जैन बताते हैं कि 5 दिन की कड़ी मेहनत के बाद पुलिस गौरी के कातिल तक पहुंच गई. गौरी के दोस्तों से बातचीत व सीसीटीवी कैमरे से मिले सुराग से पुलिस हिमांशू प्रजापति तक पहुंची. पूछताछ में हिमांशू टूट गया. उसने बताया कि वह गौरी को पिछले डेढ़ साल से प्यार करता था, लेकिन उसे शक था कि गौरी के कुछ और भी लड़कों से संबंध हैं. इसी शक में वह 1 फरवरी को दोपहर एक बजे गौरी को मिलने बाइक से आया. इसके बाद गौरी पीजीआई स्थित हिमांशू के घर चली गई, वहां दोनों झगड़ा हुआ था. झगडे़ के दौरान गौरी का मोबाइल चेक किया तो उसमें व्‍हाट्सएप के मैसेज में कुछ तस्वीरें देख हिमांशू आपा खो बैठा और उसने गौरी का गला दबा कर मार डाला.

तत्कलीन डीजीपी एके जैन के मुताबिक हिमांशू अब गौरी की लाश को ठिकाने लगाना चाह रहा था. इसके लिए उसने अपने दोस्त अनुज से एक आरी लाने के लिए कहा. अनुज ने लकड़ी काटने वाली आरी लाकर उसे दे दी और हिमांशू ने अकेले ही उसी आरी से गौरी की लाश के 17 टुकड़े कर दिए. इसके बाद हिमांशू टुकड़ों को फेंकने के लिए अमीनाबाद से बर्तन वाला जूट का बैग और कोट कवर ले आया. जिसमें उसने गौरी के शरीर के टुकड़ों को 3 बार में ले जाकर पीजीआई के सूनसान इलाके में फेंक दिया.


एसएसपी को देनी पड़ी थी अजीबोगरीब सफाई : गौरी की हत्या की गुत्थी (murder case) लखनऊ पुलिस ने सुलझा ली थी, लेकिन गौरी का परिवार पुलिस की इस थ्योरी से सहमत नहीं थी. परिजनों का कहना था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस की थ्योरी में कोई सामंजस्य नहीं है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गौरी को मोटराइज्ड ब्लेड (motorized blade) से काटे जाने की पुष्टि की गई थी, जबकि पुलिस ने लकड़ी काटने आरी बरामद की है. जिस पर तत्कलीन एसएसपी यशस्वी यादव ने अजीबोगरीब तरीके से अपनी थ्योरी को सच साबित करने के लिए सफाई दी। यशस्वी यादव ने एक वीडियो जारी किया जिसमें उन्होंने ठीक उसी तरह की एक आरी ली जैसे दावा किया गया था कि वैसी ही आरी हिमांशु ने गौरी की लाश के टुकड़े किया थे. एसएसपी यशस्वी यादव ने उसी आरी से एक बकरे की हड्डी काट कर यह दिखाने की कोशिश की थी कि उस आरी से हड्डी काटी जा सकती है.

यह भी पढ़ें : गुजरात को देश को एक नई दिशा में ले जाना चाहिए : कन्हैया कुमार

लखनऊ : श्रद्धा हत्याकांड जैसा ही सात साल पहले दो फरवरी को लखनऊ में एक ऐसा मर्डर केस सामने आया था, जिसने पुलिस के होश उड़ा दिए थे. इस हत्याकांड के बारे में जिसने भी सुना, उसने यही कहा कि ऐसी दरिंदगी शायद हो कभी देखी होगी. ईटीवी भारत आपको उसी मर्डर केस के बारे में बताएगा जिसमें एक 20 साल की लड़की के 17 टुकड़े किए गए थे और उसके कातिल को पकड़ने के लिए पुलिस को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ गया था.



2 फरवरी 2015 को काफी ठंड थी. कोहरे को चीरते हुए लखनऊ पुलिस के सिपाही गश्त पर निकले हुए थे. इसी दौरान सिपाहियों को सुबह सात बजे शहीद पथ के नीचे पर किसी का पैर पड़ा दिखा. सिपाही शहीद पथ के नीचे उतरे और करीब से देखा तो उनके होश उड़ गए, पैर लड़की का था, लेकिन बाकी का शरीर वहां नहीं था. सिपाहियों ने तत्काल अपने उच्च अधिकारियों (higher officials) को सूचना दी और मौके पर डॉग स्क्वायड के साथ पुलिस बल पहुंचा. इसके बाद शुरू की बाकी शरीर की तलाश. करीब 6 घंटे की मशक्कत के बाद 2 बजे शहीद पथ से 250 मीटर दूर पुलिस को एक प्लास्टिक का बोरा (plastic bag) मिला. बोरा खुलवाया गया, तो सभी हक्के बक्के रह गए. बोरे के अंदर कई टुकड़ों में लड़की का शरीर था. वहां मौजूद कोई पुलिसकर्मी उस बोरे को देखने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहा था.

जानकारी देते संवाददात गगनदीप मिश्रा.
गौरी के रूप में हुई लाश की शिनाख्त : बोरे में लड़की का धड़-सिर व दोनों हाथ अलग-अलग पॉलीथिन में रखे गए थे. हालांकि लड़की के चेहरे की पहचान साफ साफ हो रही थी. पुलिस ने तत्परता दिखाई और कुछ ही देर में लाश की शिनाख्त 19 साल की अमीनाबाद की रहने वाली लॉ स्टूडेंट गौरी श्रीवास्तव (Gauri Srivastava, a law student from Aminabad) के रूप में हुई. गौरी एक दिन पहले ही अपने पिता शिशिर श्रीवास्तव का जैकेट ड्राइक्लीन को देने के लिए घर से निकली थी. घर से निकलते समय गौरी ने अपनी मां को बताया था कि वो मंदिर भी जाएगी. इसके बाद वह लापता हो गई थी. पुलिस की अब बारी थी उस व्यक्ति को ढूंढना जिसने गौरी के साथ यह दरिंदीगी की थी. तत्कलीन लखनऊ एसएसपी यशस्वी यादव (SSP Yashasvi Yadav) ने कातिल को पकड़ने के लिए 10 टीमें गठित कीं और पड़ताल शुरू हुई. पुलिस ने सबसे पहले गौरी के मोबाइल की कॉल व इंटरनेट लॉग डिटेल खंगालना शुरू किया. गौरी जिस इलाके में आखिरी बार देखी गई वहां से शहर के सभी मार्गों के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी खंगाले गए. गौरी के मोबाइल का इंटरनेट लॉग खंगालने पर पता चला कि नाका में उसने केवल वॉट्सएप पर चैट किया था. नाका के जिस सीसीटीवी में वह दिखाई दी थी, उसमें भी वह चलते-चलते फोन पर टाइप कर रही थी. पुलिस ने गौरी की फोन की लोकेशन की हिस्ट्री देखी तो पता चला कि गौरी एक बजे घर से निकलने के बाद करीब चार घंटे तक नाका, राजेंद्रनगर, कैसरबाग, अमीनाबाद और बांसमंडी में घूमती रही. इस दौरान कई बार उसका फोन स्विच ऑफ हुआ. शाम करीब पौने सात बजे फोन की लोकेशन ईको पार्क और उसके कुछ मिनट बाद खरिका तेलीबाग और सदर के मछली मोहाल में मिली.एक बाइक ने पुलिस को पहुंचाया हत्यारे के पास : पुलिस को सीसीटीवी फुटेज में गौरी एक बाइक पर दिखी, जिसे एक हेलमेट लगाए हुए लड़का चला रहा था. पुलिस ने संदिग्ध की फोटो जारी की. लड़का हेलमेट लगाए हुआ था, ऐसे में उसकी पहचान नहीं हो पा रही थी. इस दौरान पुलिस ने गौरी के करीबी दोस्तों से पूछताछ की तो सामने हिमांशू नाम के एक लड़के का नाम आया जो गौरी का प्रेमी बताया जा रहा था. इसके बाद गौरी हत्याकांड (Gauri murder case) की कड़ियां जुड़ने लगीं. हत्याकांड के केस को खुद तत्कलीन डीजीपी एके जैन (DGP AK Jain) मॉनिटरिंग कर रहे थे. एके जैन बताते हैं कि 5 दिन की कड़ी मेहनत के बाद पुलिस गौरी के कातिल तक पहुंच गई. गौरी के दोस्तों से बातचीत व सीसीटीवी कैमरे से मिले सुराग से पुलिस हिमांशू प्रजापति तक पहुंची. पूछताछ में हिमांशू टूट गया. उसने बताया कि वह गौरी को पिछले डेढ़ साल से प्यार करता था, लेकिन उसे शक था कि गौरी के कुछ और भी लड़कों से संबंध हैं. इसी शक में वह 1 फरवरी को दोपहर एक बजे गौरी को मिलने बाइक से आया. इसके बाद गौरी पीजीआई स्थित हिमांशू के घर चली गई, वहां दोनों झगड़ा हुआ था. झगडे़ के दौरान गौरी का मोबाइल चेक किया तो उसमें व्‍हाट्सएप के मैसेज में कुछ तस्वीरें देख हिमांशू आपा खो बैठा और उसने गौरी का गला दबा कर मार डाला.

तत्कलीन डीजीपी एके जैन के मुताबिक हिमांशू अब गौरी की लाश को ठिकाने लगाना चाह रहा था. इसके लिए उसने अपने दोस्त अनुज से एक आरी लाने के लिए कहा. अनुज ने लकड़ी काटने वाली आरी लाकर उसे दे दी और हिमांशू ने अकेले ही उसी आरी से गौरी की लाश के 17 टुकड़े कर दिए. इसके बाद हिमांशू टुकड़ों को फेंकने के लिए अमीनाबाद से बर्तन वाला जूट का बैग और कोट कवर ले आया. जिसमें उसने गौरी के शरीर के टुकड़ों को 3 बार में ले जाकर पीजीआई के सूनसान इलाके में फेंक दिया.


एसएसपी को देनी पड़ी थी अजीबोगरीब सफाई : गौरी की हत्या की गुत्थी (murder case) लखनऊ पुलिस ने सुलझा ली थी, लेकिन गौरी का परिवार पुलिस की इस थ्योरी से सहमत नहीं थी. परिजनों का कहना था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस की थ्योरी में कोई सामंजस्य नहीं है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गौरी को मोटराइज्ड ब्लेड (motorized blade) से काटे जाने की पुष्टि की गई थी, जबकि पुलिस ने लकड़ी काटने आरी बरामद की है. जिस पर तत्कलीन एसएसपी यशस्वी यादव ने अजीबोगरीब तरीके से अपनी थ्योरी को सच साबित करने के लिए सफाई दी। यशस्वी यादव ने एक वीडियो जारी किया जिसमें उन्होंने ठीक उसी तरह की एक आरी ली जैसे दावा किया गया था कि वैसी ही आरी हिमांशु ने गौरी की लाश के टुकड़े किया थे. एसएसपी यशस्वी यादव ने उसी आरी से एक बकरे की हड्डी काट कर यह दिखाने की कोशिश की थी कि उस आरी से हड्डी काटी जा सकती है.

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