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लखनऊ: विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के सामने होगी गाजियाबाद नगर निगम के अधिकारियों की पेशी ! - लखनऊ समाचार

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद नगर निगम के अधिकारियों को विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के सामने पेश होना पड़ सकता है. दरअसल गाजियाबाद नगर निगम की ओर से 17 फरवरी को सदस्यों की एक बैठक बुलाई गई थी. लेकिन विधानसभा का सत्र होने कारण कई सदस्य बैठक में शामिल नहीं हो सके. जिसके बाद सपा एमएलसी शतरुद्र प्रकाश ने ये मुद्दा विधान परिषद में उठाया.

शतरुद्र प्रकाश, सदस्य विधान परिषद समाजवादी पार्टी
शतरुद्र प्रकाश, सदस्य विधान परिषद समाजवादी पार्टी
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Published : Feb 20, 2020, 3:36 PM IST

लखनऊ: गाजियाबाद नगर निगम के अधिकारियों को विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के सामने पेश होना पड़ सकता है. दरअसल गाजियाबाद नगर निगम की ओर से 17 फरवरी को सदस्यों की एक बैठक बुलाई गई थी. लेकिन विधानसभा का सत्र होने कारण कई सदस्य बैठक शामिल नहीं हो सके. जिस पर नाराजगी जताते हुए सपा एमएलसी शतरुद्र प्रकाश ने बुधवार को इस मुद्दे को विधान परिषद में उठाया. जिसके बाद इस मुद्दे को विधान परिषद की कार्यवाही संचालित होने के दौरान नगर निगम की विशेष बैठक बुलाने का मामला विधान परिषद की विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया गया. अब समिति यह तय करेगी कि नगर निगम गाजियाबाद के अधिकारियों ने जानबूझकर सदन के सदस्यों की अवमानना की है या नहीं.

विशेषाधिकार समिति के सामने हो सकती है गाजियाबाद नगर निगम के अधिकारियों की पेशी


जाने क्या है पूरा मामला
नगर निगम गाजियाबाद की ओर से 17 फरवरी को सदस्यों की विशेष बैठक बुलाई गई थी. गाजियाबाद नगर निगम क्षेत्र में विधान परिषद के कई सदस्य निवास करते हैं. वे सभी निगम बोर्ड के भी सदस्य हैं. समाजवादी पार्टी के एमएलसी शतरुद्र प्रकाश ने विधान परिषद में यह मामला उठाया और सदन को इससे अवगत कराया. उन्होंने कहा कि विधान परिषद सत्र संचालन होने की वजह से नगर निगम के महत्वपूर्ण बैठक में कई सदस्य शामिल नहीं हो सके.

उन्होंने आरोप लगाया कि, नगर निगम के अधिकारियों ने जानबूझकर बैठक ऐसे समय पर बुलाई, जबकि विधानसभा और विधानपरिषद का सत्र संचालित हो रहा है. उन्होंने कहा कि, इस बारे में 13 फरवरी को एक शासनादेश भी जारी किया गया. इसके बावजूद 17 फरवरी को बैठक बुलाई गई.

इस विषय पर नेता सदन डॉक्टर दिनेश शर्मा ने कहा कि, नगर निगम के अधिकारियों ने अगर ऐसी कोई बैठक बुलाई तो वह नियम के विरुद्ध है. ऐसी बैठक को शून्य घोषित किया जाएगा. विपक्षों ने इस विषय पर एतराज जाहिर किया और कहा बैठक को शून्य घोषित किया जाएगा. लेकिन जिन अधिकारियों ने अवमानना की है उन पर क्या कार्रवाई की जाएगी.

इस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य तेज आवाज में बोलने लगे. शोर होने पर अधिष्ठाता ने मामला विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया. नेता सदन डॉक्टर दिनेश शर्मा ने मामला विशेषाधिकार समिति को सौंपी जाने का विरोध किया और कहा कि, अगर ऐसा किया जाता है तो नगर निगम की जिस बैठक को उन्होंने शून्य घोषित किया है वह वापस ले लिया जाएगा.

इसे भी पढ़ें:- उत्तर प्रदेश में राष्ट्रवादी कांग्रेस को करेंगे मजबूत: प्रफुल्ल पटेल

लखनऊ: गाजियाबाद नगर निगम के अधिकारियों को विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के सामने पेश होना पड़ सकता है. दरअसल गाजियाबाद नगर निगम की ओर से 17 फरवरी को सदस्यों की एक बैठक बुलाई गई थी. लेकिन विधानसभा का सत्र होने कारण कई सदस्य बैठक शामिल नहीं हो सके. जिस पर नाराजगी जताते हुए सपा एमएलसी शतरुद्र प्रकाश ने बुधवार को इस मुद्दे को विधान परिषद में उठाया. जिसके बाद इस मुद्दे को विधान परिषद की कार्यवाही संचालित होने के दौरान नगर निगम की विशेष बैठक बुलाने का मामला विधान परिषद की विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया गया. अब समिति यह तय करेगी कि नगर निगम गाजियाबाद के अधिकारियों ने जानबूझकर सदन के सदस्यों की अवमानना की है या नहीं.

विशेषाधिकार समिति के सामने हो सकती है गाजियाबाद नगर निगम के अधिकारियों की पेशी


जाने क्या है पूरा मामला
नगर निगम गाजियाबाद की ओर से 17 फरवरी को सदस्यों की विशेष बैठक बुलाई गई थी. गाजियाबाद नगर निगम क्षेत्र में विधान परिषद के कई सदस्य निवास करते हैं. वे सभी निगम बोर्ड के भी सदस्य हैं. समाजवादी पार्टी के एमएलसी शतरुद्र प्रकाश ने विधान परिषद में यह मामला उठाया और सदन को इससे अवगत कराया. उन्होंने कहा कि विधान परिषद सत्र संचालन होने की वजह से नगर निगम के महत्वपूर्ण बैठक में कई सदस्य शामिल नहीं हो सके.

उन्होंने आरोप लगाया कि, नगर निगम के अधिकारियों ने जानबूझकर बैठक ऐसे समय पर बुलाई, जबकि विधानसभा और विधानपरिषद का सत्र संचालित हो रहा है. उन्होंने कहा कि, इस बारे में 13 फरवरी को एक शासनादेश भी जारी किया गया. इसके बावजूद 17 फरवरी को बैठक बुलाई गई.

इस विषय पर नेता सदन डॉक्टर दिनेश शर्मा ने कहा कि, नगर निगम के अधिकारियों ने अगर ऐसी कोई बैठक बुलाई तो वह नियम के विरुद्ध है. ऐसी बैठक को शून्य घोषित किया जाएगा. विपक्षों ने इस विषय पर एतराज जाहिर किया और कहा बैठक को शून्य घोषित किया जाएगा. लेकिन जिन अधिकारियों ने अवमानना की है उन पर क्या कार्रवाई की जाएगी.

इस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य तेज आवाज में बोलने लगे. शोर होने पर अधिष्ठाता ने मामला विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया. नेता सदन डॉक्टर दिनेश शर्मा ने मामला विशेषाधिकार समिति को सौंपी जाने का विरोध किया और कहा कि, अगर ऐसा किया जाता है तो नगर निगम की जिस बैठक को उन्होंने शून्य घोषित किया है वह वापस ले लिया जाएगा.

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