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लखनऊ विश्वविद्यालय में 20 नवंबर से खुलेगा भू विज्ञान का म्यूजियम - लखनऊ में 20 से खुलेगा भूविज्ञान म्यूजियम

शताब्दी वर्ष समारोह के उपलक्ष्य में लखनऊ विश्वविद्यालय में 20 नवंबर से जूलॉजी डिपार्टमेंट (भूविज्ञान) का म्यूजियम को भी खोला जाएगा. भूविज्ञान के इस म्यूजियम में करोड़ों साल के अवशेष सहित बहुत सी ऐसी नायाब वस्तुएं हैं, जिसे आम लोग भी देख सकेंगे.

भूविज्ञान म्यूजियम, लखनऊ विश्वविद्यालय.
भूविज्ञान म्यूजियम, लखनऊ विश्वविद्यालय.
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Published : Nov 14, 2020, 10:25 AM IST

लखनऊः लखनऊ विश्वविद्यालय इस वर्ष अपना शताब्दी दिवस समारोह मना रहा है. इस शताब्दी वर्ष समारोह के उपलक्ष्य में 20 नवंबर से जूलॉजी डिपार्टमेंट (भू विज्ञान) का म्यूजियम को भी खोला जाएगा. प्रोफेसर अजय बाजपेई ने बताया कि जो चीजें हम बच्चों को किताब में दिखाते हैं, ब्लैकबोर्ड में रेखाअंकित करके पढ़ाते हैं वह असल में फील्ड में कैसी दिखती है, यह म्यूजियम में देखा जा सकता है.

प्रोफेसर अजय बाजपेई.

म्यूजियम में रखे गए हैं करोड़ों साल पुराने अवशेष
प्रो. अजय के अनुसार जूलॉजी डिपार्टमेंट का म्यूजियम अपने आपमें एक अनूठा स्थान है. यहां पर करोड़ों साल पुराने अवशेष हैं. जो पृथ्वी की कहानी है उसे संबंधित बहुत सारे यहां पर अवशेष है. इसको देखकर लोगों को एहसास होगा कि हकीकत में इतिहास क्या है. उन्होंने बताया कि इस म्यूजियम को 2017 में कंप्लीट किया गया था. इस समय लखनऊ विश्वविद्यालय में उत्तर भारत का बहुत महत्त्वपूर्ण संग्रहालय है. दुनिया के जो चंद जियोलॉजी म्यूजियम है, उनमें यह म्यूजियम शुमार है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस म्यूजियम की ख्याति हो चुकी है.

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भूविज्ञान म्यूजियम, लखनऊ विश्वविद्यालय.

शताब्दी वर्ष में मना रहे साइंस फेस्टिवल
प्रो. अजय बाजपेई ने बताया कि म्यूजियम में मिनरल्स, जेमस्टोंस, फॉसिल्स, स्ट्रक्चर है. म्यूजियम में भी बहुत सारी चीजें हैं जो प्रकृति से जुड़ती है, उससे संबंधित चीजों को यहां पर दर्शाया गया है. उन्होंने बताया कि इस शताब्दी वर्ष के समारोह के दौरान हमने कोशिश की है कि इस म्यूजियम के माध्यम से हम आउटरीच जन जन तक पहुंच सके. उन्होंने बताया कि शताब्दी वर्ष के दौरान 20 नवम्बर को साइंस फेस्टिवल भी मना रहे हैं. 20 नवंबर से हमारा म्यूजियम खुल जाएगा.

लखनऊः लखनऊ विश्वविद्यालय इस वर्ष अपना शताब्दी दिवस समारोह मना रहा है. इस शताब्दी वर्ष समारोह के उपलक्ष्य में 20 नवंबर से जूलॉजी डिपार्टमेंट (भू विज्ञान) का म्यूजियम को भी खोला जाएगा. प्रोफेसर अजय बाजपेई ने बताया कि जो चीजें हम बच्चों को किताब में दिखाते हैं, ब्लैकबोर्ड में रेखाअंकित करके पढ़ाते हैं वह असल में फील्ड में कैसी दिखती है, यह म्यूजियम में देखा जा सकता है.

प्रोफेसर अजय बाजपेई.

म्यूजियम में रखे गए हैं करोड़ों साल पुराने अवशेष
प्रो. अजय के अनुसार जूलॉजी डिपार्टमेंट का म्यूजियम अपने आपमें एक अनूठा स्थान है. यहां पर करोड़ों साल पुराने अवशेष हैं. जो पृथ्वी की कहानी है उसे संबंधित बहुत सारे यहां पर अवशेष है. इसको देखकर लोगों को एहसास होगा कि हकीकत में इतिहास क्या है. उन्होंने बताया कि इस म्यूजियम को 2017 में कंप्लीट किया गया था. इस समय लखनऊ विश्वविद्यालय में उत्तर भारत का बहुत महत्त्वपूर्ण संग्रहालय है. दुनिया के जो चंद जियोलॉजी म्यूजियम है, उनमें यह म्यूजियम शुमार है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस म्यूजियम की ख्याति हो चुकी है.

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भूविज्ञान म्यूजियम, लखनऊ विश्वविद्यालय.

शताब्दी वर्ष में मना रहे साइंस फेस्टिवल
प्रो. अजय बाजपेई ने बताया कि म्यूजियम में मिनरल्स, जेमस्टोंस, फॉसिल्स, स्ट्रक्चर है. म्यूजियम में भी बहुत सारी चीजें हैं जो प्रकृति से जुड़ती है, उससे संबंधित चीजों को यहां पर दर्शाया गया है. उन्होंने बताया कि इस शताब्दी वर्ष के समारोह के दौरान हमने कोशिश की है कि इस म्यूजियम के माध्यम से हम आउटरीच जन जन तक पहुंच सके. उन्होंने बताया कि शताब्दी वर्ष के दौरान 20 नवम्बर को साइंस फेस्टिवल भी मना रहे हैं. 20 नवंबर से हमारा म्यूजियम खुल जाएगा.

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