लखनऊ: राजधानी के मलिहाबाद में करीब 35 पटाखा कारोबारी दिवाली के मौके पर हर साल पटाखे की दुकान लगाकर साल भर की रोजी रोटी चलाते हैं. मगर इस साल अचानक एनजीटी की सख्ती के बाद पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी गई. पटाखों की बिक्री पर अचानक रोक लगने से कर्ज में डूब रहे पटाखा कारोबारी साल भर की रोटी बचाने के लिए अब तहसील और थाने के चक्कर लगाने को मजबूर हो गए हैं.
पटाखा कारोबारी लॉकडाउन के चलते बीते 6 महीने से घरों में बैठे हुए हैं. एक ढेले भर की भी कमाई नहीं हुई. दिवाली पर चार पैसे कमा लेंगे, यही सोचकर लाखों रुपये ग्रीन पटाखों पर लगा दिए. हर दुकान में 5 से 10 लाख रुपये के ग्रीन पटाखे भरे हुए हैं. अभी बमुश्किल 15 से 20 फीसदी ही पटाखे बिके हैं. बिक्री का वक्त आने ही वाला था कि प्रदेश के 13 शहरों में उत्तर प्रदेश सरकार ने पटाखों पर बैन लगा दिया है, जिसमें लखनऊ का भी नाम शामिल है.
पटाखा कारोबारियों ने बयां किया दर्द
मलिहाबाद के फुटपाथ पर दुकानें लगाने वाले अजमेरी, अजय राठौड़, लालू राठौर, दीपक ने बताया कि हम लोग बीवी के गहने गिरवी रखकर पटाखे बेचने के लिए लाए थे. अजमेरी ने बताया कि हमने लोन लेकर पटाखे लाए थे, मगर दिवाली से 2 दिन पहले प्रशासन की ओर से बन्दी का एलान होते ही हम लोगों की जान हलक में आ गई. हम लोग प्रशासन से यही मांग करते हैं कि जो भी पटाखे हम लोगों के पास बचे हैं, वो पटाखे कुछ पैसे कम करके वापस हो जाए, जिससे हम लोगों को राहत मिल सके.
पटाखा कारोबारी सरदार अहमद ने बताया कि करीब 35 लोग हर वर्ष औपचारिकता पूरी करने के बाद मलिहाबाद में पटाखा लगाकर साल भर की रोजी रोटी कमा लेते हैं, लेकिन अचानक एनजीटी ने पटाखा बिक्री पर रोक लगा दी, जिससे काफी नुकसान हो रहा है. इस बार पहले लॉकडाउन की वजह से कोई काम नहीं मिल पाया और जब कर्जा लेकर पटाखा की खरीदारी कर ली तो अब पटाखों पर रोक लग गई, जिससे हम पटाखा करोबारी कर्ज में डूबने के साथ ही भुखमरी की कगार पर पहुंच रहे है.
सरदार अहमद ने सरकार से मांग की है कि वह कोई हल निकाले, जिससे फंसी रकम पटाखों से निकाल कर पटाखा कारोबारी कर्ज में डूबने से बच सकें. प्रशासन की ओर से पटाखों की बिक्री पर रोक लगने के बाद ही मलिहाबाद के कारोबारी और फुटपाथ पर पटाखा बेचने वालों का दर्द जुबां पर आ गया कोई बीवी के गहने बेचकर तो कोई लोन लेकर पटाखे लाया था.