लखनऊ: नगरीय परिवार निदेशालय (directorate of urban transport uttar pradesh) से लखनऊ समेत कई अन्य शहरों में सिटी बसों की चेकिंग के लिए प्रवर्तन दलों की तैनाती से संबंधित एक एजेंडा तैयार किया गया. इस एजेंडे को बोर्ड बैठक में रखकर पास भी न कराया जा सका, इससे पहले ही जालसाजों के हाथ यह प्रारूप लग गया. एजेंडा लीक होना ही अपने आप में बड़ा सवाल है.
इसी प्रारूप के सहारे ठगों ने सिटी बस में यातायात निरीक्षक की भर्ती (Transport Inspector recruitment) को लेकर सीधे-सादे लोगों को ठगना शुरू कर दिया. बिना बोर्ड में प्रस्ताव पास हुए ही 3,00,000 रुपये तक की इस पोस्ट के लिए आवेदकों के सामने डिमांड रखी जाने लगी. कई भोले-भाले लोग इन जालसाजों के चक्कर में फंस भी गए. नगरीय परिवहन निदेशालय के अंदर ही साक्षात्कार भी करा लिए गए और अधिकारियों को इस बात की भनक भी नहीं लग पाई. "ईटीवी भारत" ने जब अधिकारियों को इस मामले से अवगत कराया तो जांच शुरू हुई है.
नगरीय परिवहन निदेशालय के उच्चाधिकारियों को खबर भी नहीं और उनके मातहत बड़े खेल को अंजाम देने में लगे हैं. लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (Lucknow City Transport Services Limited) की बसों की चेकिंग के लिए यातायात निरीक्षक की भर्ती का एजेंडा निदेशक मंडल की बैठक से पास भी नहीं हुआ. लेकिन, जालसाजों ने निदेशालय के लोगों की मिलीभगत से भर्ती निकाल दी. इसके लिए आवेदकों को लालच भी दिया जाने लगा. कई आवेदक इनके झांसे में भी आ गए और मौका उठाते हुए 20 सितंबर को नगरीय परिवहन निदेशालय के दफ्तर में साक्षात्कार भी करा लिया गया, क्योंकि निदेशालय के सीनियर अधिकारी निदेशक मंडल की बैठक में व्यस्त थे.
जालसाज उन लोगों को इस तरह लुभाया कि यातायात निरीक्षक के लिए हर माह 35,000 रुपये वेतन मिलेगा, चेकिंग के लिए एक चार पहिया गाड़ी दी जाएगी, साथ ही ऊपर से भी कमाई हो जाएगी. इसके लिए उन्हें 3,00,000 रुपये देने होंगे. बाकायदा नगरीय परिवहन निदेशालय तक इन लोगों की पहुंच थी। चौथे तल पर 20 सितंबर को इंटरव्यू कराया गया जब इंटरव्यू पूरा हो गया तो 3,00,000 रुपये जमा करने के लिए संबंधित व्यक्ति को फोन भी किया जाने लगा. लोग रुपये लेकर भी पहुंचे. लेकिन, जब पैसे देने से पहले नगरीय परिवहन निदेशालय से जानकारी जुटाई तो पता चला कि ऐसी कोई भर्ती निदेशालय ने नहीं निकाली है. कुछ आवेदक तो ठगी का शिकार होने से बच गए. लेकिन, कई इन जालसाजों के झांसे में भी आ चुके हैं. फिलहाल, अब इस मामले की जांच नगरीय परिवहन निदेशालय के निदेशक की तरफ से शुरू कराई गई है.
नगरीय परिवहन निदेशालय ने प्रवर्तन कार्य के लिए प्रबंधन दलों की भर्ती का जो एजेंडा तैयार किया, उसमें जिक्र किया गया कि जुलाई 2022 तक परिवहन निगम में कार्यरत यातायात अधीक्षक/ निरीक्षकों द्वारा नगरीय बसों की चेकिंग का कार्य किया जाता था. लेकिन, परिवहन निगम मुख्यालय द्वारा परिपत्र संख्या 519 चेकिंग सेल/ 2022, चेकिंग सेल/19 दिनांक 21/07/ 2022 के माध्यम से उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के यातायात अधीक्षक/यातायात निरीक्षक और सहायक यातायात निरीक्षकों को नगरीय बसों के निरीक्षण पर रोक लगा दी गई है. जिसे ध्यान में रखकर एसपीवी में प्रवर्तन दलों की संख्या बढ़ाया जाना आवश्यक हो गया है.
पूर्व में निधि प्रबंध समिति की बैठक 19/01/2016 में निदेशालय द्वारा प्रस्तुत एजेंडा 4जी प्रवर्तन नियंत्रण दल में 1140 बसों की चेकिंग के लिए प्रवर्तन दल का प्रस्ताव एक वर्ष के लिए अनुमोदित किया गया और इनके द्वारा कार्य किया गया था. उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में बस संचालन किया जाता है. जहां औसतन 25 बसों के लिए एक चेकिंग दल तैनात किया जा रहा है. नगरीय परिवहन में बसों की फ्रीक्वेंसी अत्यधिक है. इसी को ध्यान में रखकर 25 से 50 बसों के संचालन पर दो चेकिंग दल, 51 से 100 बसों के संचालन पर चार चेकिंग दल, 101 से 200 बसों के संचालन पर छह चेकिंग दल और 200 से अधिक बसों के संचालन पर आठ चेकिंग स्क्वायड बनाया जाना प्रस्तावित है. बाकायदा इस एजेंडे में इन सभी बसों के प्रवर्तन कार्य के लिए 457.80 लाख का व्यय भार संभावित जताया गया.
जालसाजों के चक्कर में फंसने से बचें: सीतापुर के नीतीश कुमार अवस्थी इन जालसाजी के झांसे में आ गए. उनका 20 सितंबर को नगरीय परिवहन निदेशालय के दफ्तर में साक्षात्कार भी हो गया. इसके बाद टीआई की भर्ती के लिए 3,00,000 रुपये की मांग की गई. एक अक्टूबर को जॉइनिंग लेटर भी देने के लिए कह दिया गया, लेकिन इस भर्ती पर जब नीतीश को शक हुआ तो उन्होंने निदेशालय से तहकीकात की, तो पता चला कि यह पूरी तरह से फर्जी है. बोर्ड का एजेंडा जरूर लीक हुआ. लेकिन उस पर मुहर ही नहीं लगी. लिहाजा, भर्ती हो ही नहीं सकती. इससे नीतीश तो जालसाजों की ठगी का शिकार होने से बच गए. लेकिन, सवाल खड़ा होता है कि निदेशालय के दफ्तर के अंदर आखिर साक्षात्कार कैसे हो गया? क्या यह अधिकारियों के बिना मिलीभगत के संभव है?
एटीके बिसेन क्या कहना है कि यह गंभीर मामला है. निदेशक की तरफ से पूरे मामले की जांच कराने के आदेश मिले हैं. गंभीरता से जांच की जा रही है. वहीं, नगरीय परिवहन निदेशालय के डायरेक्टर राजेंद्र पेंसिया का कहना है कि यह काफी गंभीर प्रकरण है. अगर निदेशालय के अंदर किसी ने भी साक्षात्कार लिया है तो इस मामले की गंभीरता से जांच कराएंगे. जो भी दोषी होगा, उस पर एफआईआर दर्ज कराई जाएगी. अगर निदेशालय का कोई भी अधिकारी या कर्मचारी इसके लिए जिम्मेदार होता है तो कड़ी कार्रवाई जरूर होगी.
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