लखनऊः डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्विद्यालय डीपीआईआईटी डिजिटल युग में एआई (AI) की चुनौतियों को लेकर राष्ट्रीय सम्मलेन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस सैयद कमर हसन रिज़वी ने कहा कि कैसे मानव और एआई के बीच की रेखा धुंधली होती जा रही है. मानव जैसे लेख उत्पन्न करने से लेकर आवाज़ और व्यवहार की नकल करने और रचनात्मक कार्यों का निर्माण करने तक एआई अब अधिक सक्षम हो गया है. इससे कॉपीराइट कानून और पेटेंट कानून से जुड़े मुद्दे उत्पन्न हो रहे हैं. विशिष्ट अतिथि डॉ राघवेंद्र जीआर रहे व मुख्य वक्ता सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता सौरभ तिवारी रहे.
चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय पटना व राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय असम के चेयर प्रोफेसर डॉ सुभाष चंद्र रॉय व डॉ पंकज कुमार सम्मिलित हुए. विशिष्ट अतिथि डॉ. राघवेंद्र जी आर ने बताया एआई एक उभरती हुई तकनीक है. यदि हम मशीन को आईपी अधिकार देते हैं, तो यह मानव कुशलता को क्षीण कर देगा. मुख्य वक्ता सौरभ तिवारी ने एआई का इतिहास कंप्यूटर युग से पहले का है. यह तकनीक है जो गतिशीलता को बदल रही है. ट्विटर पर 14 साल के बच्चे भी खाते बना सकते हैं जबकि डाटा संरक्षण अधिनियम में 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को बच्चा माना गया है. इससे देखा जा सकता है कि विभिन्न कानूनों में समानता की कमी है. कुलपति प्रो. डॉ अमरपाल सिंह ने सम्मेलन के विषय की सहारना की.
सम्मेलन में प्रतिष्ठित वक्त प्रो सुभाष चंद्र रॉय ने बताया कि आविष्कार और नवाचार हमेशा होते रहेंगे क्योंकि यह आवश्यकताएं हैं. डिजिटल युग में बौद्धिक संपदा (आई. पी.) चुनौतियों का सामना कर रही है. सामग्री ऑनलाइन उपलब्ध हैं, जिससे शोध पत्रों की नकल और पेस्ट करना आसान हो गया है. कार्यक्रम में चेयर अध्यक्ष प्रो. मनीष सिंह, डॉ. विकास भाटी, डॉ. अमन दीप सिंह, डॉ. मनीष बाजपाई, ऋषि शुक्ला, अरुणिमा सिंह, हिमांशी तिवारी समेत अन्य मौजूद रहे.
हर इंसानी काम की नकल कर रहा AI, कॉपीराइट-पेटेंट का क्या, विशेषज्ञों ने क्या चिंता जताई
Artificial Intelligence News: AI की चुनौती को लेकर डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्विद्यालय में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Nov 10, 2024, 1:00 PM IST
लखनऊः डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्विद्यालय डीपीआईआईटी डिजिटल युग में एआई (AI) की चुनौतियों को लेकर राष्ट्रीय सम्मलेन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस सैयद कमर हसन रिज़वी ने कहा कि कैसे मानव और एआई के बीच की रेखा धुंधली होती जा रही है. मानव जैसे लेख उत्पन्न करने से लेकर आवाज़ और व्यवहार की नकल करने और रचनात्मक कार्यों का निर्माण करने तक एआई अब अधिक सक्षम हो गया है. इससे कॉपीराइट कानून और पेटेंट कानून से जुड़े मुद्दे उत्पन्न हो रहे हैं. विशिष्ट अतिथि डॉ राघवेंद्र जीआर रहे व मुख्य वक्ता सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता सौरभ तिवारी रहे.
चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय पटना व राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय असम के चेयर प्रोफेसर डॉ सुभाष चंद्र रॉय व डॉ पंकज कुमार सम्मिलित हुए. विशिष्ट अतिथि डॉ. राघवेंद्र जी आर ने बताया एआई एक उभरती हुई तकनीक है. यदि हम मशीन को आईपी अधिकार देते हैं, तो यह मानव कुशलता को क्षीण कर देगा. मुख्य वक्ता सौरभ तिवारी ने एआई का इतिहास कंप्यूटर युग से पहले का है. यह तकनीक है जो गतिशीलता को बदल रही है. ट्विटर पर 14 साल के बच्चे भी खाते बना सकते हैं जबकि डाटा संरक्षण अधिनियम में 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को बच्चा माना गया है. इससे देखा जा सकता है कि विभिन्न कानूनों में समानता की कमी है. कुलपति प्रो. डॉ अमरपाल सिंह ने सम्मेलन के विषय की सहारना की.
सम्मेलन में प्रतिष्ठित वक्त प्रो सुभाष चंद्र रॉय ने बताया कि आविष्कार और नवाचार हमेशा होते रहेंगे क्योंकि यह आवश्यकताएं हैं. डिजिटल युग में बौद्धिक संपदा (आई. पी.) चुनौतियों का सामना कर रही है. सामग्री ऑनलाइन उपलब्ध हैं, जिससे शोध पत्रों की नकल और पेस्ट करना आसान हो गया है. कार्यक्रम में चेयर अध्यक्ष प्रो. मनीष सिंह, डॉ. विकास भाटी, डॉ. अमन दीप सिंह, डॉ. मनीष बाजपाई, ऋषि शुक्ला, अरुणिमा सिंह, हिमांशी तिवारी समेत अन्य मौजूद रहे.