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FCI में भर्ती के नाम पर पौने दो करोड़ की ठगी, 60 बेरोजगार बने शिकार - लखनऊ क्राइम समाचार

भारतीय खाद्य निगम में ग्रुप-सी के पदों पर भर्ती कराने का झांसा देकर जालसाजों ने करीब पौने दो करोड़ रुपये की ठगी कर ली. जालसाज इतने शातिर थे कि उन्होंने बारकोड लगे लिफाफे में फर्जी नियुक्ति पत्र भी सौंप दिए थे.

नौकरी के नाम पर ठगी
नौकरी के नाम पर ठगी
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Published : Jun 16, 2021, 3:26 AM IST

लखनऊ : भारतीय खाद्य निगम (FCI) में ग्रुप-सी पद पर भर्ती कराने का झांसा देकर खुद को FCI कर्मी बताकर जालसाजों ने 60 बेरोजगारों से करीब एक करोड़ 75 लाख रुपये हड़प लिए. जालसाजों ने नौकरी के इच्छुक युवकों को फर्जी नियुक्ति पत्र भी दिए. दो साल तक ठगों के झांसे में फंस कर बेरोजगारों ने नौकरी मिलने का इंतजार किया. इसके बाद पीड़ितों ने महानगर कोतवाली में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया. पुलिस मामले की जांच में जुट गई है.

नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी

इंस्पेक्टर महानगर प्रदीप सिंह के मुताबिक, इन्दिरानगर निवासी मनीष राय इंडो फार्म कम्पनी में कार्यरत थे. वहां उनके साथ सत्य प्रकाश त्रिपाठी भी काम करता था. सत्य प्रकाश के जरिए उनकी मुलाकात अभिषेक दुबे और नीरज पाण्डेय से वर्ष 2019 में हुई थी. बातचीत के दौरान अभिषेक ने बताया कि एफसीआई में ग्रुप सी पद के लिए भर्ती होनी है. यह भर्ती केवल साक्षात्कार के जरिए होगी. रुपये खर्च करने पर नियुक्ति हो जाएगी. आरोपियों ने मनीष की बात रवि प्रकाश, राकेश सिंह, राजन चौबे और उसकी पत्नी कविता से कराई थी. यह लोग एफसीआई लखनऊ और दिल्ली में तैनात होने का दावा करते थे.

दिल्ली स्थित एक दफ्तर में बुलाया

मनीष के कहने पर उनके भांजे राम मनोहर राय, अनीस राय, मुन्ना कुमार और राजकुमार ने आरोपियों से फोन पर बात की थी. इसके बाद उन्हें दिल्ली के बाराखम्भा स्थित एक दफ्तर में बुलाया गया था. वहां पर कविता चौबे और उसके पति राजन से मुलाकात हुई. दोनों लोगों ने ग्रुप सी पर भर्ती होने की बात कही, जिसकी वजह से मनीष के रिश्तेदारों को भरोसा हो गया. वर्ष 2019 में मनीष ने महानगर स्थित क्लासिक रेस्त्रां में नीरज पाण्डेय को 22 लाख रुपये दिए थे. इसके एक हफ्ते बाद ही आरोपियों ने अधिकारियों से नियुक्ति पत्र पर दस्तख्त कराने का दावा कर और रुपये मांगे थे. मनीष के मुताबिक करीब एक करोड़ 75 लाख रुपये 60 लोगों की नौकरी के लिए दिए गए थे.

बारकोड लगे लिफाफे में दिए थे नियुक्ति पत्र

जालसाजों ने वर्ष 2020 में पीड़ितों को नियुक्ति पत्र जारी किए थे, जिसके तहत 30 अक्टूबर तक ज्वाइनिंग करनी थी. इससे पहले नीरज और उसके साथियों ने युवकों को ट्रेनिंग के लिए प्रदेश के अलग-अलग जिलों में भेजा था. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद नियुक्ति पत्र दिया गया, जिसके लिफाफे पर बारकोड भी बना हुआ था. यह देख कर पीड़ितों को विश्वास हो गया. मनीष के अनुसार करीब दो साल तक 60 युवक ठगों के फेर में फंस कर नौकरी मिलने का इंतजार करते रहे, लेकिन उन्हें नियुक्ति नहीं मिली. परेशान होकर रुपये वापस मांगने पर आरोपी धमकी देने लगे.

इनके खिलाफ दर्ज किया गया मुकदमा

पीड़ित मनीष महानगर कोतवाली पहुंचे. इंस्पेक्टर प्रदीप सिंह के मुताबिक मनीष की तहरीर पर नीरज पाण्डेय, अभिषेक दुबे, रवि प्रकाश, राकेश सिंह, राजन चौबे, कविता चौबे, अनूप श्रीवास्तव, संजू श्रीवास्तव, जितेंद्र, राज रस्तोगी और अमरेंद्र सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी, जाली कागज तैयार करने और अमानत में खयानत की धारा में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है.

इसे भी पढ़ें - नौकरी के नाम पर की लाखों की ठगी, भाजपा नेता पर आरोप

लखनऊ : भारतीय खाद्य निगम (FCI) में ग्रुप-सी पद पर भर्ती कराने का झांसा देकर खुद को FCI कर्मी बताकर जालसाजों ने 60 बेरोजगारों से करीब एक करोड़ 75 लाख रुपये हड़प लिए. जालसाजों ने नौकरी के इच्छुक युवकों को फर्जी नियुक्ति पत्र भी दिए. दो साल तक ठगों के झांसे में फंस कर बेरोजगारों ने नौकरी मिलने का इंतजार किया. इसके बाद पीड़ितों ने महानगर कोतवाली में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया. पुलिस मामले की जांच में जुट गई है.

नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी

इंस्पेक्टर महानगर प्रदीप सिंह के मुताबिक, इन्दिरानगर निवासी मनीष राय इंडो फार्म कम्पनी में कार्यरत थे. वहां उनके साथ सत्य प्रकाश त्रिपाठी भी काम करता था. सत्य प्रकाश के जरिए उनकी मुलाकात अभिषेक दुबे और नीरज पाण्डेय से वर्ष 2019 में हुई थी. बातचीत के दौरान अभिषेक ने बताया कि एफसीआई में ग्रुप सी पद के लिए भर्ती होनी है. यह भर्ती केवल साक्षात्कार के जरिए होगी. रुपये खर्च करने पर नियुक्ति हो जाएगी. आरोपियों ने मनीष की बात रवि प्रकाश, राकेश सिंह, राजन चौबे और उसकी पत्नी कविता से कराई थी. यह लोग एफसीआई लखनऊ और दिल्ली में तैनात होने का दावा करते थे.

दिल्ली स्थित एक दफ्तर में बुलाया

मनीष के कहने पर उनके भांजे राम मनोहर राय, अनीस राय, मुन्ना कुमार और राजकुमार ने आरोपियों से फोन पर बात की थी. इसके बाद उन्हें दिल्ली के बाराखम्भा स्थित एक दफ्तर में बुलाया गया था. वहां पर कविता चौबे और उसके पति राजन से मुलाकात हुई. दोनों लोगों ने ग्रुप सी पर भर्ती होने की बात कही, जिसकी वजह से मनीष के रिश्तेदारों को भरोसा हो गया. वर्ष 2019 में मनीष ने महानगर स्थित क्लासिक रेस्त्रां में नीरज पाण्डेय को 22 लाख रुपये दिए थे. इसके एक हफ्ते बाद ही आरोपियों ने अधिकारियों से नियुक्ति पत्र पर दस्तख्त कराने का दावा कर और रुपये मांगे थे. मनीष के मुताबिक करीब एक करोड़ 75 लाख रुपये 60 लोगों की नौकरी के लिए दिए गए थे.

बारकोड लगे लिफाफे में दिए थे नियुक्ति पत्र

जालसाजों ने वर्ष 2020 में पीड़ितों को नियुक्ति पत्र जारी किए थे, जिसके तहत 30 अक्टूबर तक ज्वाइनिंग करनी थी. इससे पहले नीरज और उसके साथियों ने युवकों को ट्रेनिंग के लिए प्रदेश के अलग-अलग जिलों में भेजा था. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद नियुक्ति पत्र दिया गया, जिसके लिफाफे पर बारकोड भी बना हुआ था. यह देख कर पीड़ितों को विश्वास हो गया. मनीष के अनुसार करीब दो साल तक 60 युवक ठगों के फेर में फंस कर नौकरी मिलने का इंतजार करते रहे, लेकिन उन्हें नियुक्ति नहीं मिली. परेशान होकर रुपये वापस मांगने पर आरोपी धमकी देने लगे.

इनके खिलाफ दर्ज किया गया मुकदमा

पीड़ित मनीष महानगर कोतवाली पहुंचे. इंस्पेक्टर प्रदीप सिंह के मुताबिक मनीष की तहरीर पर नीरज पाण्डेय, अभिषेक दुबे, रवि प्रकाश, राकेश सिंह, राजन चौबे, कविता चौबे, अनूप श्रीवास्तव, संजू श्रीवास्तव, जितेंद्र, राज रस्तोगी और अमरेंद्र सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी, जाली कागज तैयार करने और अमानत में खयानत की धारा में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है.

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