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नौकरी के नाम पर ठगी के लिए बनाई थी मार्केटिंग टीम, महाठग प्रियंका के गिरफ्तार गुर्गे ने उगले कई राज - team of fraudsters

आयकर विभाग में नौकरी दिलाने की दावा करके युवक-युवतियों से ठगी के मामले में पुलिस ने मास्टर माइंड प्रियंका मिश्रा के एक और सहयोगी सुरेंद्र को गाजियाबाद से गिरफ्तार कर लिया है. सुरेंद्र 25 लड़कों व लड़कियों की एक टीम के जरिए बेरोजगार युवक-युवतियों को अपने जाल में फंसा कर प्रियंका से मिलवाता था.

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जालसाज सुरेंद्र और प्रियंका मिश्रा.
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Published : Jan 6, 2023, 9:46 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अब तक 100 से अधिक बेरोजगारों को इनकम टैक्स विभाग में नौकरी (job in income tax department) दिलाने के नाम पर ठगने वाले जालसाज प्रियंका मिश्रा के साथी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया है. आरोपी ने शिकार की तलाश के लिए राज्य भर में अपने अंडर में 25 से अधिक युवक युवतियों की एक टीम बना रखी थी, जो शिकार फंसा कर महाठग प्रियंका मिश्र के पास ले जाते थे. हजरतगंज पुलिस के मुताबिक आरोपी सुरेंद्र को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया है.

हजरतगंज इंस्पेक्टर (Hazratganj Inspector Lucknow) अखिलेश मिश्रा ने बताया कि 23 नवंबर को इनकम टैक्स कार्यालय में आयकर निरिक्षक पद के लिए फर्जी इंटरव्यू लेने वाली जालसाज प्रियंका मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद से ही उसके अन्य साथियों की तलाश की जा रही थी. पूछताछ में सामने आया था कि विजयनगर गाजियाबाद निवासी सुरेंद्र कुमार भी फर्जी इंटरव्यू लेने के वक़्त प्रियंका के साथ इनकम टैक्स कार्यालय की कैंटीन में मौजूद था. पुलिस व इनकम टैक्स के अधिकारियों को आते देख वह दिल्ली भाग गया था. गुरुवार को उसे उसी के घर से धर दबोचा गया है.

पूछताछ के दौरान आरोपी सुरेंद्र ने बताया कि वह प्रियंका मिश्रा के लिए शिकार ढूंढने का काम करता था. इसके लिए उसने 25 लड़कों व लड़कियों को भी नौकरी में रखा था. इन लड़कों और लड़कियों को एक हफ्ते की ट्रेनिंग भी दी थी. ट्रेनिंग के बाद सभी युवक युवतियों को अलग-अलग जिलों में भेजा जाता था. इंस्पेक्टर ने बताया कि अब तक प्रियंका और उसके दो जालसाज साथी गिरफ्तार किए जा चुके हैं.

लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के प्रवक्ता व डीसीपी सेंट्रल अपर्णा रजत कौशिक (DCP Central Aparna Rajat Kaushik) ने बताया कि अभी ठग प्रियंका मिश्रा के सरपरस्त के साथ-साथ उन लोगों की भी तलाश की जा रही है कि जिनके जरिए यह जालसाजी का गिरोह चला रही थी. प्रियंका ने अपने गैंग में तथाकथित मीडियाकर्मियों, वकीलों, पूर्व व मौजूदा सरकारी कर्मचारियों को भर्ती कर रखा था. उसने सभी को उनकी अलग अलग जिम्मेदारी दे रखी थी. जिसमें पत्रकारों व मौजूदा सरकारी कर्मचारियों की मदद से कार्यालयों में एन्ट्री करती थी. पूर्व सरकारी कर्मचारी उसे अधिकारीयों की डिटेल, गोपनीय जानकारी मुहैया कराते थे. इसके अलावा वकील का वह उस वक्त प्रयोग करती थी, जब वह पुलिस के चुंगल में फंस जाती थी.

दरअसल, यूपी के शाहजहांपुर की रहने वाली प्रियंका मिश्रा 23 नवंबर 2022 को लखनऊ स्थित आयकर विभाग के कार्यालय में आयकर इंस्पेक्टर के पद पर नौकरी के लिए फर्जी इंटरव्यू लेते हुए पकड़ी गई थी. प्रियंका मिश्रा ने इनकम टैक्स ऑफिस की कैंटीन में अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया था. गिरफ्तारी के बाद प्रियंका से हुई पूछताछ के आधार पर डीसीपी ने बताया कि प्रियंका मिश्रा ने कबूल किया कि उसने आयकर विभाग के सहारे पैसे कमाने के लिए लखनऊ में आयकर विभाग में संविदा के पद पर नौकरी की थी. यहां अधिकारियों के तौर तरीकों को सीखने के साथ साथ वह सभी के नाम और डिटेल का डाटा बेस बनाने लगी थी. इसी दौरान प्रियंका ने खुद को सहायक कर आयुक्त बताना शुरू कर दिया. वह लोगों से ये बताने लगी कि उसके संपर्क दिल्ली स्थित आयकर विभाग के अधिकारियों से हैं. जिससे वो किसी की भी नौकरी लगवा सकती है. जब उसके पास नौकरी के लिए सिफारिशें आने लगीं तो संविदा की नौकरी छोड़ लोगों को फर्जी नियुक्ति पत्र देने का फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अब तक 100 से अधिक बेरोजगारों को इनकम टैक्स विभाग में नौकरी (job in income tax department) दिलाने के नाम पर ठगने वाले जालसाज प्रियंका मिश्रा के साथी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया है. आरोपी ने शिकार की तलाश के लिए राज्य भर में अपने अंडर में 25 से अधिक युवक युवतियों की एक टीम बना रखी थी, जो शिकार फंसा कर महाठग प्रियंका मिश्र के पास ले जाते थे. हजरतगंज पुलिस के मुताबिक आरोपी सुरेंद्र को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया है.

हजरतगंज इंस्पेक्टर (Hazratganj Inspector Lucknow) अखिलेश मिश्रा ने बताया कि 23 नवंबर को इनकम टैक्स कार्यालय में आयकर निरिक्षक पद के लिए फर्जी इंटरव्यू लेने वाली जालसाज प्रियंका मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद से ही उसके अन्य साथियों की तलाश की जा रही थी. पूछताछ में सामने आया था कि विजयनगर गाजियाबाद निवासी सुरेंद्र कुमार भी फर्जी इंटरव्यू लेने के वक़्त प्रियंका के साथ इनकम टैक्स कार्यालय की कैंटीन में मौजूद था. पुलिस व इनकम टैक्स के अधिकारियों को आते देख वह दिल्ली भाग गया था. गुरुवार को उसे उसी के घर से धर दबोचा गया है.

पूछताछ के दौरान आरोपी सुरेंद्र ने बताया कि वह प्रियंका मिश्रा के लिए शिकार ढूंढने का काम करता था. इसके लिए उसने 25 लड़कों व लड़कियों को भी नौकरी में रखा था. इन लड़कों और लड़कियों को एक हफ्ते की ट्रेनिंग भी दी थी. ट्रेनिंग के बाद सभी युवक युवतियों को अलग-अलग जिलों में भेजा जाता था. इंस्पेक्टर ने बताया कि अब तक प्रियंका और उसके दो जालसाज साथी गिरफ्तार किए जा चुके हैं.

लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के प्रवक्ता व डीसीपी सेंट्रल अपर्णा रजत कौशिक (DCP Central Aparna Rajat Kaushik) ने बताया कि अभी ठग प्रियंका मिश्रा के सरपरस्त के साथ-साथ उन लोगों की भी तलाश की जा रही है कि जिनके जरिए यह जालसाजी का गिरोह चला रही थी. प्रियंका ने अपने गैंग में तथाकथित मीडियाकर्मियों, वकीलों, पूर्व व मौजूदा सरकारी कर्मचारियों को भर्ती कर रखा था. उसने सभी को उनकी अलग अलग जिम्मेदारी दे रखी थी. जिसमें पत्रकारों व मौजूदा सरकारी कर्मचारियों की मदद से कार्यालयों में एन्ट्री करती थी. पूर्व सरकारी कर्मचारी उसे अधिकारीयों की डिटेल, गोपनीय जानकारी मुहैया कराते थे. इसके अलावा वकील का वह उस वक्त प्रयोग करती थी, जब वह पुलिस के चुंगल में फंस जाती थी.

दरअसल, यूपी के शाहजहांपुर की रहने वाली प्रियंका मिश्रा 23 नवंबर 2022 को लखनऊ स्थित आयकर विभाग के कार्यालय में आयकर इंस्पेक्टर के पद पर नौकरी के लिए फर्जी इंटरव्यू लेते हुए पकड़ी गई थी. प्रियंका मिश्रा ने इनकम टैक्स ऑफिस की कैंटीन में अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया था. गिरफ्तारी के बाद प्रियंका से हुई पूछताछ के आधार पर डीसीपी ने बताया कि प्रियंका मिश्रा ने कबूल किया कि उसने आयकर विभाग के सहारे पैसे कमाने के लिए लखनऊ में आयकर विभाग में संविदा के पद पर नौकरी की थी. यहां अधिकारियों के तौर तरीकों को सीखने के साथ साथ वह सभी के नाम और डिटेल का डाटा बेस बनाने लगी थी. इसी दौरान प्रियंका ने खुद को सहायक कर आयुक्त बताना शुरू कर दिया. वह लोगों से ये बताने लगी कि उसके संपर्क दिल्ली स्थित आयकर विभाग के अधिकारियों से हैं. जिससे वो किसी की भी नौकरी लगवा सकती है. जब उसके पास नौकरी के लिए सिफारिशें आने लगीं तो संविदा की नौकरी छोड़ लोगों को फर्जी नियुक्ति पत्र देने का फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया.

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