लखनऊः राजधानी में सरकार की नाक के नीचे भू-माफियाओं ने खेल खेला है. यहां सिस्टम की मिली भगत से हजारों करोड़ रुपये की सरकारी जमीनों की खरीद फरोख्त की गई. वहीं, लखनऊ के बाहर बन रही आउटर रिंग रोड के मुआवजे वितरण के दौरान इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. डीएम सूर्यपाल गंगवार ने बताया कि इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं, जो भी दोषी पाया जाएगा. उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
दरअसल, लखनऊ में आउटर रिंग रोड का निर्माण किया जा रहा है. इसके लिए सरोजनीनगर इलाके में भी जमीनों का अधिग्रहण किया गया, जिसके एवज में मुआवजा भी बांटा जा रहा है. इसी बीच सरोजनीनगर के पंसारी ग्राम पंचायत के प्रधान उमेश पटेल और नटकुर की पूर्व प्रधान सावित्री देवी ने मुआवजा वितरण में धांधली के आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि सरोजनी नगर तहसील के नटकुर इलाके में ऊसर, बंजर, खलिहान, चारागाह के लिए सुरक्षित जमीन को भू माफिया जाली दस्तावेजों के सहारे अपने लोगों के नाम दिखा कर मुआवजा वसूल रहे हैं. इस पूरे खेल को राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से अंजाम दिया गया. आरोप है कि करीब एक करोड़ 25 लाख रुपये प्रति बीघा के हिसाब से मुआवजा दिया गया है. ऐसे में 125 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया. इस प्रकरण के खुलासे के बाद जिलाधिकारी की तरफ से मुआवजा बांटने पर तत्काल रोक लगा दी गई है.
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जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार ने बताया कि तहसील सरोजनीनगर स्थित ग्राम नटकुर की गाटा संख्या 610 का मुआवजा जारी करने के सम्बंधित शिकायतों के सम्बंध में अवगत कराया जाता है कि उक्त गाटा संख्या के अभिलेखों की जांच में पता चला है कि CH41 (चकबंदी से पूर्व की खतौनी) में उक्त गाटा ऊसर में दर्ज है, लेकिन CH45 (चकबंदी के बाद कि पहली खतौनी) में उक्त गाटा व्यक्तिगत नामो में दर्ज है. उक्त प्रकरण के संबंध में प्राप्त शिकायत का संज्ञान लेते हुए प्रकरण का दुबारा सत्यापन कराने के निर्देश दिए गए ताकि मुआवजा वितरण में कोई अनियमितता न रहने पाए.
गौरतलब है कि, सरोजनीनगर तहसील के स्तर पर जब इन मामलों की फाइल खोली गई तो कई और प्रकरण भी सामने आए हैं. इनके अलावा भी कई अन्य सरकारी जमीनों का सौदा दिए जाने का खुलासा हुआ है. जानकारों की माने तो, प्रशासनिक अधिकारियों की मिली भगत से इस पूरे खेल हो अंजाम दिया गया है. इसमें, सिर्फ नटकुर ही नहीं, बल्कि कई अन्य गांवों की जमीनों का भी सौदा दिया गया है.
100 बीघे जमीन फर्जीवाड़े और मुआवजे पर ये सवाल उठाए गए
1- जब अपर जिलाधिकारी (भू.आ.) द्वारा तहसील से रिपोर्ट मांगी गई थी तो रिपोर्ट आने से पहले भुगतान क्यों किया?
2- CH41 (चकबंदी से पूर्व की खतौनी) मे गाटा संख्या 610, का रकबा 25 बीघा ऊसर जमीन कैसे बनी 37 बीघा सी.एच.45 ?
3- कार्यालय में उपलब्ध आवंटन पत्रावली में उक्त गाटे का आवंटन नहीं है.
4-तहसील रिपोर्ट दिनांक 6 जून 2022 के अनुसार जिल्द बंदोबस्त में लाल स्याही मे अंकित आदेश संदिग्ध एवं फर्जी है.
5- फसली 1359 की खतौनी में उक्त सभी खाते उसर, बंजर, खलियान व चारागाह दर्ज अभिलेख किसी सीरदार खाते का उल्लेख नहीं है फिर भू-माफिया लोगों के नाम जमीन कैसे आयी ?
6- गांव के बाहर के निवासियों को 100 बीघे से अधिक रकबे की भूमि कौन से आधार पर भू माफियाओं के नाम की गई? जबकि आवंटन ग्राम वासियों को ही होता है!
7- तत्कालीन तहसीलदार मणिलाल मिश्रा के शपथ पत्र के अवलोकन से स्पष्ट है कि तत्समय उप जिलाधिकारी सदर महोदय के द्वारा जांच उपरांत सभी फर्जी इंद्राजो को निरस्त किया गया, चकबंदी कर्ता लल्लू सिंह के फर्जी हस्ताक्षर से आकार 45 मे गोल-मोल किया गया.
8- फसली 1359 की खतौनी बराती लाल लेखपाल द्वारा बनाई गई फर्जी इंद्राज किए गए थे जिसे तत्कालीन परगना अधिकारी सदर द्वारा उक्त लेखपाल के घर औचक छापा मारकर बरामद खतौनी में फर्जी जोड़े गए इंद्राज जिसे तत्काल निरस्त कर उनके विरुद्ध धारा 218 आईपीसी में f.i.r कराई गई.
9- राजस्व परिषद के पूर्व कर्मी विवेकानंद डोबरियाल जैसे भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी खाते खारिज नहीं हो सके.
10- गाटा संख्या 608 जो चारागाह की भूमि है,को आजाद इंजीनियरिंग कॉलेज द्वारा हड़पकर उस जमीन पर बनाई गई बिल्डिंग को ध्वस्त कर भूमि कब कब्जा मुक्त होगी ?
11- न्यू तहसील सरोजनी नगर के बगल में स्थित हरिजन गोधनलाल की भूमि गाटा संख्या 642 स एक बीघे पर उक्त भू-माफिया हड़पने पर आमादा है, जबकि तहसील अधिकारियों के द्वारा चिन्हित कर नजरी नक्शा सहित पुलिस की मौजूदगी पर काबिज कराने का आदेश भी जारी किया गया था, किन्तु भू-माफिया काबिज नहीं होने दे रहे हैं?
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