बोलपुर: पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल विश्व भारती विश्वविद्यालय की छह इमारतों के समूह में सबसे पुरानी इमारत जल्द ही पर्यटकों के लिए खोल दी जाएगी. इस इमारत का जीर्णोद्वार कर रही भारतीय पुरातत्व सोसायटी (एएसआई) ने काम पूरा होने के बाद अब इसे विश्वविद्यालय के अधिकारियों को सौंप दिया है.
पर्यटक अब प्रतिष्ठित शांतिनिकेतन हाउस का दौरा कर सकते हैं. रवींद्रनाथ टैगोर के शांतिनिकेतन को पिछले साल सितंबर में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था. हालांकि, जीर्णोद्धार के कारण शांतिनिकेतन गृह पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया था. वहीं, इस विषय पर विश्व भारती के रवींद्र भवन के निदेशक अमल पाल ने ईटीवी भारत को बताया कि, एएसआई की तरफ से शुरू किया गया शांतिनिकेतन गृह का जीर्णोद्धार कार्य काफी समय से चल रहा था. अब यहां का काम पूरा हो गया है और उसे आधिकारिक तौर पर विश्व भारती को सौंप दिया गया है.
हालांकि, पर्यटकों को इस भवन में जाने की अनुमति देने की अंतिम मंजूरी विश्वविद्यालय के सुरक्षा अधिकारियों और अन्य विशेषज्ञों के साथ चर्चा के बाद ली जाएगी. कोविड-19 महामारी फैलने के बाद से विश्वविद्यालय परिसर के अंदर सुविधाओं तक आम लोगों की पहुंच पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. वहीं, छात्रों ने अधिकारियों से यह भी शिकायत की थी कि परिसर के मुख्य क्षेत्र में पर्यटकों की मुफ्त आवाजाही से उनकी पढ़ाई में बाधा आ रही है.
हालांकि, अब पर्यटकों को धीरे-धीरे विश्वविद्यालय परिसर के परिधीय क्षेत्र और रवींद्र भवन संग्रहालय में भी जाने की अनुमति दी जा रही है. पर्यटक पांच घरों; उदयन, उदिची, श्यामोली, कोणार्क और पुनाश्चा को भी देख सकते हैं, जिनका उपयोग टैगोर ने शांतिनिकेतन में अपने प्रवास के दौरान किया करते थे. वहीं, श्रृंखला का छठा, शांतिनिकेतन गृह, अब सूची में जोड़ा जाएगा.
विश्वविद्यालय के पास उपलब्ध रिकॉर्ड बताते हैं कि सभी घरों में से, शांतिनिकेतन गृह एकमात्र ऐसी संरचना थी जो रायपुर के जमींदार प्रताप नारायण सिंह के युग की है. यह महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर के बोलपुर पहुंचने और एक आश्रम स्थापित करने से भी पहले की बात है. जिसे बाद में शांतिनिकेतन के रूप में जाना जाने लगा.
द्विपेंद्रनाथ टैगोर और आचार्य शिवनाथ शास्त्री और प्रताप चंद्र मजूमदार जैसे साहित्यकार शांतिनिकेतन गृह में रह चुके हैं. इस इमारत ने शांतिनिकेतन की अपनी यात्राओं के दौरान महात्मा गांधी, मदनमोहन मालवीय, जदुनाथ सरकार और अन्य जैसे राष्ट्रीय नेताओं की भी मेजबानी की है. आज तक, शांतिनिकेतन गृह की बालकनी से शहनाई बजने के बाद वार्षिक पौष मेले की घोषणा की जाती है.
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