लखनऊ : एलयू की पूर्व कुलपति डॉ. रूपरेखा वर्मा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति लखनऊ की सड़कों पर राहगीरों को पर्चे बांटते हुए नजर आ रही हैं. यह वीडियो चर्चा का विषय बना हुआ है, वायरल वीडियो में पूर्व कुलपति सड़कों पर 1857 की क्रांति के पर्चे बांट रही हैं.
प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा द्वारा बांटे जा रहे पर्चे 1857 की क्रांति के घटनाक्रम से जुड़े हुए हैं. वर्ष 1857 की क्रांति में लखनऊ के चिनहट इलाके की भूमिका इस आंदोलन में रही है. इसलिए पर्चे बांटने के लिए चिनहट को ही चुना गया. इन पर्चों के ऊपर एक लाइन लिखी है 'नफरत की लाठी तोड़ो, आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों'. इस पर्चे के अंत में लिखा गया है कि आइए इस शुरुआत में अपना साथ दीजिए. खुद जुड़िए और और औरों को जोड़िए. जुल्म जब बढ़ते हैं-फूल और खिलते हैं.
लखनऊ यूनीवर्सिटी की पूर्व कुलपति डॉ. रूपरेखा वर्मा का सड़क पर पर्चे बांटने का वीडियो खूब सुर्खियां बटोर रहा है. बांटे जा रहे पर्चे 1857 की क्रांति से जुड़े हैं. इसके अलावा एलयू की पूर्व कुलपति ने इन पर्चों के माध्यम से कई सवाल उठाए हैं. पर्चों में लिखा कि फेसबुक, व्हाट्सएप और टीवी चैनल पर जिस हिसाब से एक दूसरे के खान-पान, पहनावे, यहां तक कि रंगों और नामों से नफरत देखने को मिल रही है. उसे देखकर यकीन नहीं होता कि कभी हमारा निरक्षर मुल्क भी इससे कहीं ज्यादा समझदार था. जैसे आज का पढ़ा-लिखा मिडिल क्लॉस है. इन्हीं दिनों में हिन्दू-मुसलमान, किसानों, मजदूरों, महिलाओं-बच्चों की आम जनता यानी हर जाति धर्म के लोगों ने अपनी एकता और भाईचारे के दम पर पूरी दुनिया में कहीं न हारने वाली हेनरी लॉरेंस की गोरी फौज को लखनऊ में ध्वस्त कर दिया था.
आखिर क्यों बांट रहीं हैं पूर्व कुलपति सड़कों पर पर्चे ?
ईटीवी भारत की टीम ने लखनऊ विश्वविद्याल की पूर्व कुलपति द्वारा सड़क पर पर्चे बांटने के संबंध में उनसे फोन से बातचीत की.