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राजीव गांधी पुण्यतिथि विशेष: जानिए आईटी क्रांति से लेकर आत्मघाती हमले तक की पूरी कहानी

देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज 30वीं पुण्यतिथि है. राजीव गांधी देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे हैं. उन्होंने जो रिकॉर्ड बनाया है वह शायद ही कोई पार्टी तोड़ पाएगी. इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में क्रांति से लेकर उनपर हुए आत्मघाती हमले तक की जानिए पूरी कहानी...

राजीव गांधी पुण्यतिथि विशेष
राजीव गांधी पुण्यतिथि विशेष
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Published : May 21, 2021, 3:14 PM IST

Updated : May 21, 2021, 9:54 PM IST

लखनऊ: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर देश उन्हें नमन कर रहा है. देश में इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी का जनक राजीव गांधी को ही माना जाता है. वे भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे. 40 साल की आयु में उन्होंने पीएम का पद संभाला. अपने कांग्रेस अध्यक्ष के कार्यकाल में कांग्रेस के नाम राजीव ने ऐसा रिकॉर्ड बनाया जो आजादी के बाद से हुए चुनावों से लेकर अब तक बरकरार है. अब शायद कोई चमत्कार ही हो तभी उनका बनाया ये रिकॉर्ड टूट पाए. कांग्रेस के गठन से लेकर अब तक कोई अध्यक्ष ऐसा नहीं हुआ जो राजीव गांधी के बनाए इस रिकॉर्ड के आसपास भी पार्टी को ले जाने में सफल हो पाया हो.

राजीव गांधी पुण्यतिथि विशेष

जब राजीव की सरकार आई तो सारे रिकॉर्ड हुए धराशाई

दरअसल, वह साल था 1984, जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान एक युवा के हाथों के सौंपी गई. राजीव की मां और देश की पीएम इंदिरा गांधी का स्वर्गवास हो चुका था और देशवासियों के आह्वान पर राजीव ने राजनीति में कदम रखा. 1984 में देश में लोकसभा चुनाव हुआ और कांग्रेस ने जीत के पिछले सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर डाले. इंदिरा की सहानुभूति और लोगों में राजीव के प्रति अपनापन इस कदर सामने आया कि लोकसभा चुनाव के इतिहास में रिकॉर्ड कायम हो गया. 404 सीट और 49.1 प्रतिशत मतों के साथ कायम हुए जीत के इस रिकॉर्ड के बाद 40 साल के राजीव देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने. कांग्रेसी अध्यक्ष के रूप में यह ऐसा रिकॉर्ड था जो आजादी के बाद से देश में हुए पहले लोकसभा चुनाव से लेकर आज तक कायम है.

1989 और 1991 में कांग्रेस का प्रतिशत गिरा

हालांकि राजीव के अध्यक्ष रहते ही आगे के सालों में हुए चुनाव में सीटों के साथ ही जीत के प्रतिशत का ग्राफ भी गिरने लगा था. 1989 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी ही थे और तब कांग्रेस को 197 सीटें और 39.3 प्रतिशत मत ही मिले थे. इसके बाद जब 1991 में चुनाव हुए तो कांग्रेस की सीटें तो 197 से 244 पहुंच गईं, लेकिन मतों का प्रतिशत लगभग तीन प्रतिशत नीचे गिर कर 36.6 प्रतिशत ही रह गया. साल 1991 में ही राजनीति का ये चमकता सितारा आसमान में विलीन हो गया.

इससे पहले इनके नाम था रिकॉर्ड
राजीव गांधी के अलावा यूएन. ढेबर ही कांग्रेस के एकमात्र ऐसे राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे जिनके कार्यकाल में कांग्रेस ने साल 1957 में जीत का रिकॉर्ड कायम किया था. तब कांग्रेस ने 47.7 प्रतिशत मतों के साथ 371 लोकसभा सीटें जीती थीं और लगभग 27 साल तक यह रिकॉर्ड कायम रहा था. राजीव गांधी ने 1984 में 400 से ज्यादा सीटें जीत कर इस रिकॉर्ड को तोड़ा था.

राजीव के बाद कांग्रेस की हालत हुई बदतर

जब राजीव गांधी की मृत्यु हो गई तो उसके बाद कांग्रेस को मिले मतों का ग्राफ ऊपर चढ़ा ही नहीं. अब कांग्रेस की स्थिति दिन-प्रतिदिन बदतर ही होती जा रही है. फिर चाहे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान राजीव की पत्नी सोनिया गांधी और बेटे राहुल गांधी ने ही क्यों न संभाली हो, लेकिन देश के लोगों का दिल जीतने में राजीव की तरह कोई भी कामयाब नहीं हो पा रहा है. शायद इसीलिए राजीव का बनाया हुआ रिकॉर्ड दशकों से कायम है.

पिता का सपना साकार करने में जुटी भाई-बहन की जोड़ी

पिता राजीव गांधी के गोल्डन पीरियड की तरह ही एक बार फिर कांग्रेस पार्टी का गोल्डन पीरियड वापस आए, इसे लेकर उनके बेटे राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी पुरजोर कोशिश में जुटे हैं. हालांकि नतीजा अभी उनके पक्ष में आता नजर नहीं आ रहा है. उन्हें लगातार हार का सामना ही करना पड़ रहा है. कांग्रेसियों को उम्मीद है कि एक न एक दिन कांग्रेस पार्टी फिर से सत्ता के शिखर पर काबिज होगी. हालांकि राजीव गांधी का रिकॉर्ड तोड़ पाने में सफल होगी, इसकी उम्मीद फिलहाल कांग्रेसियों को भी नहीं लग रही.

आज कहां स्टैंड करती है कांग्रेस
निश्चित रूप से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने जो बागडोर संभाली है इसमें हार-जीत नहीं जोड़नी चाहिए. राजनीति में यह एक कारण होता है. उन कारणों की कांग्रेस ने समीक्षा भी की है और वह जो स्वर्णिम काल कांग्रेस का रहा है, उसे देश की जनता पुनः कांग्रेस के नेतृत्व में लाने का काम करेगी. जिस तरीके का वातावरण निर्मित किया गया है उसमें कांग्रेस कहां है यह अभी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए हैं उसमें देख लीजिए. कांग्रेस की विधानसभा में सीटें कितनी हैं और वर्तमान केंद्र सरकार यानी भारतीय जनता पार्टी की कितनी हैं. जब इसका तुलनात्मक अध्ययन करेंगे तो कांग्रेस हर जगह पर दिखाई देगी. यह एक परसेप्शन बनाने का प्रयास किया गया है जो परसेप्शन नकारात्मक राजनीति की ओर ले जाता है. कांग्रेस कल भी देश की जनता के दिलों में थी और आज भी है. राजनीति में हार-जीत और उतार-चढ़ाव लगे रहते हैं. देश की आत्मा कांग्रेस में और कांग्रेस की आत्मा देश में बसती है, यह स्पष्ट है.

राजीव गांधी का योगदान

मां इंदिरा गांधी की आकस्मिक मौत के बाद लोकसभा चुनाव में देश के इतिहास में सबसे बड़ा जनादेश प्राप्त करके राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री बने थे. राजनीति में आने से पूहले और राजीव गांधी पेशे से पायलट थे. देहरादून के वेल्हम ब्यॉज स्कूल और दून स्कूल से स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने लंदन के इम्पीरियल कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भारत में टेलीकॉम और सूचना क्रांति का सूत्रधार माना जाता है. उन्होंने उच्च शिक्षा के आधुनिकीकरण और विस्तार के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की. ग्रामीण बच्चों के बेहतर शिक्षा के लिए नवोदय विद्यालयों के शुभारंभ का श्रेय भी राजीव गांधी को जाता है.


मतदान के लिए कम की उम्र सीमा

राष्ट्र निर्माण के लिए युवाशक्ति के महत्व को मान्यता देकर मतदान उम्र सीमा 21 से घटाकर 18 साल करने का फैसला भी उनके कार्यकाल में हुआ. देश आज राजीव गांधी के योगदान को उनकी पुण्यतिथि पर नमन कर रहा है.



इसे भी पढ़ें:लॉकडाउन में कम्युनिटी किचन बंद, गुरुद्वारे भर रहे हैं श्रमिकों का पेट

लखनऊ: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर देश उन्हें नमन कर रहा है. देश में इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी का जनक राजीव गांधी को ही माना जाता है. वे भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे. 40 साल की आयु में उन्होंने पीएम का पद संभाला. अपने कांग्रेस अध्यक्ष के कार्यकाल में कांग्रेस के नाम राजीव ने ऐसा रिकॉर्ड बनाया जो आजादी के बाद से हुए चुनावों से लेकर अब तक बरकरार है. अब शायद कोई चमत्कार ही हो तभी उनका बनाया ये रिकॉर्ड टूट पाए. कांग्रेस के गठन से लेकर अब तक कोई अध्यक्ष ऐसा नहीं हुआ जो राजीव गांधी के बनाए इस रिकॉर्ड के आसपास भी पार्टी को ले जाने में सफल हो पाया हो.

राजीव गांधी पुण्यतिथि विशेष

जब राजीव की सरकार आई तो सारे रिकॉर्ड हुए धराशाई

दरअसल, वह साल था 1984, जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान एक युवा के हाथों के सौंपी गई. राजीव की मां और देश की पीएम इंदिरा गांधी का स्वर्गवास हो चुका था और देशवासियों के आह्वान पर राजीव ने राजनीति में कदम रखा. 1984 में देश में लोकसभा चुनाव हुआ और कांग्रेस ने जीत के पिछले सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर डाले. इंदिरा की सहानुभूति और लोगों में राजीव के प्रति अपनापन इस कदर सामने आया कि लोकसभा चुनाव के इतिहास में रिकॉर्ड कायम हो गया. 404 सीट और 49.1 प्रतिशत मतों के साथ कायम हुए जीत के इस रिकॉर्ड के बाद 40 साल के राजीव देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने. कांग्रेसी अध्यक्ष के रूप में यह ऐसा रिकॉर्ड था जो आजादी के बाद से देश में हुए पहले लोकसभा चुनाव से लेकर आज तक कायम है.

1989 और 1991 में कांग्रेस का प्रतिशत गिरा

हालांकि राजीव के अध्यक्ष रहते ही आगे के सालों में हुए चुनाव में सीटों के साथ ही जीत के प्रतिशत का ग्राफ भी गिरने लगा था. 1989 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी ही थे और तब कांग्रेस को 197 सीटें और 39.3 प्रतिशत मत ही मिले थे. इसके बाद जब 1991 में चुनाव हुए तो कांग्रेस की सीटें तो 197 से 244 पहुंच गईं, लेकिन मतों का प्रतिशत लगभग तीन प्रतिशत नीचे गिर कर 36.6 प्रतिशत ही रह गया. साल 1991 में ही राजनीति का ये चमकता सितारा आसमान में विलीन हो गया.

इससे पहले इनके नाम था रिकॉर्ड
राजीव गांधी के अलावा यूएन. ढेबर ही कांग्रेस के एकमात्र ऐसे राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे जिनके कार्यकाल में कांग्रेस ने साल 1957 में जीत का रिकॉर्ड कायम किया था. तब कांग्रेस ने 47.7 प्रतिशत मतों के साथ 371 लोकसभा सीटें जीती थीं और लगभग 27 साल तक यह रिकॉर्ड कायम रहा था. राजीव गांधी ने 1984 में 400 से ज्यादा सीटें जीत कर इस रिकॉर्ड को तोड़ा था.

राजीव के बाद कांग्रेस की हालत हुई बदतर

जब राजीव गांधी की मृत्यु हो गई तो उसके बाद कांग्रेस को मिले मतों का ग्राफ ऊपर चढ़ा ही नहीं. अब कांग्रेस की स्थिति दिन-प्रतिदिन बदतर ही होती जा रही है. फिर चाहे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान राजीव की पत्नी सोनिया गांधी और बेटे राहुल गांधी ने ही क्यों न संभाली हो, लेकिन देश के लोगों का दिल जीतने में राजीव की तरह कोई भी कामयाब नहीं हो पा रहा है. शायद इसीलिए राजीव का बनाया हुआ रिकॉर्ड दशकों से कायम है.

पिता का सपना साकार करने में जुटी भाई-बहन की जोड़ी

पिता राजीव गांधी के गोल्डन पीरियड की तरह ही एक बार फिर कांग्रेस पार्टी का गोल्डन पीरियड वापस आए, इसे लेकर उनके बेटे राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी पुरजोर कोशिश में जुटे हैं. हालांकि नतीजा अभी उनके पक्ष में आता नजर नहीं आ रहा है. उन्हें लगातार हार का सामना ही करना पड़ रहा है. कांग्रेसियों को उम्मीद है कि एक न एक दिन कांग्रेस पार्टी फिर से सत्ता के शिखर पर काबिज होगी. हालांकि राजीव गांधी का रिकॉर्ड तोड़ पाने में सफल होगी, इसकी उम्मीद फिलहाल कांग्रेसियों को भी नहीं लग रही.

आज कहां स्टैंड करती है कांग्रेस
निश्चित रूप से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने जो बागडोर संभाली है इसमें हार-जीत नहीं जोड़नी चाहिए. राजनीति में यह एक कारण होता है. उन कारणों की कांग्रेस ने समीक्षा भी की है और वह जो स्वर्णिम काल कांग्रेस का रहा है, उसे देश की जनता पुनः कांग्रेस के नेतृत्व में लाने का काम करेगी. जिस तरीके का वातावरण निर्मित किया गया है उसमें कांग्रेस कहां है यह अभी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए हैं उसमें देख लीजिए. कांग्रेस की विधानसभा में सीटें कितनी हैं और वर्तमान केंद्र सरकार यानी भारतीय जनता पार्टी की कितनी हैं. जब इसका तुलनात्मक अध्ययन करेंगे तो कांग्रेस हर जगह पर दिखाई देगी. यह एक परसेप्शन बनाने का प्रयास किया गया है जो परसेप्शन नकारात्मक राजनीति की ओर ले जाता है. कांग्रेस कल भी देश की जनता के दिलों में थी और आज भी है. राजनीति में हार-जीत और उतार-चढ़ाव लगे रहते हैं. देश की आत्मा कांग्रेस में और कांग्रेस की आत्मा देश में बसती है, यह स्पष्ट है.

राजीव गांधी का योगदान

मां इंदिरा गांधी की आकस्मिक मौत के बाद लोकसभा चुनाव में देश के इतिहास में सबसे बड़ा जनादेश प्राप्त करके राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री बने थे. राजनीति में आने से पूहले और राजीव गांधी पेशे से पायलट थे. देहरादून के वेल्हम ब्यॉज स्कूल और दून स्कूल से स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने लंदन के इम्पीरियल कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भारत में टेलीकॉम और सूचना क्रांति का सूत्रधार माना जाता है. उन्होंने उच्च शिक्षा के आधुनिकीकरण और विस्तार के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की. ग्रामीण बच्चों के बेहतर शिक्षा के लिए नवोदय विद्यालयों के शुभारंभ का श्रेय भी राजीव गांधी को जाता है.


मतदान के लिए कम की उम्र सीमा

राष्ट्र निर्माण के लिए युवाशक्ति के महत्व को मान्यता देकर मतदान उम्र सीमा 21 से घटाकर 18 साल करने का फैसला भी उनके कार्यकाल में हुआ. देश आज राजीव गांधी के योगदान को उनकी पुण्यतिथि पर नमन कर रहा है.



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Last Updated : May 21, 2021, 9:54 PM IST
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