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KGMU में मृतक आश्रित कोटे में फर्जीवाड़ा, 1 और कर्मी बर्खास्त - लिपिक आनंद मिश्रा बर्खास्त

राजधानी लखनऊ स्थित केजीएमयू (KGMU) में मृतक आश्रित कोटे में धांधली की जड़े गहरी हैं. जहां केजीएमयू में कर्मियों-डॉक्टरों की भर्ती के कई घपले उजागर हुए हैं. ऐसे ही एक मामले में 2004 में तथ्यों को छिपाकर नौकरी पाए लिपिक आनंद मिश्रा को नौकरी के 18 साल बाद बर्खास्त कर दिया गया है.

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Published : Jun 7, 2022, 6:55 AM IST

लखनऊ: केजीएमयू(KGMU) में मृतक आश्रित कोटे में धांधली की जड़े गहरी हैं. सिस्टम में पैठ बना चुके इन कर्मियों पर कार्रवाई करने में हिचक रहे हैं. ऐसे में बार-बार शासन में शिकायत पहुंचने के बाद एक और कर्मी पर गाज गिरानी पड़ी. कुलसचिव ने नौकरी के 18 साल बाद कर्मी की सेवा समाप्त कर दी है.

केजीएमयू में कर्मियों-डॉक्टरों की भर्ती के कई घपले उजागर हुए हैं. इसमें कुछ पर कार्रवाई हुईं. वहीं, अधिकतर की जांचें ठंडे बस्ते में चली गई. मामला कोर्ट तक पहुंचने पर संस्थान प्रशासन ने जांच शुरू की. ऐसे में एक के बाद एक घपला उजागर हो रहा है. इस दरमियान भी कुछ चहेतों की फाइल दबा दी गई. इसको लेकर शासन में शिकायत की गई. लिहाजा, फिर से कार्रवाई की फाइल चलाई गई. अब 2004 में तथ्यों को छिपाकर नौकरी पाए लिपिक आनंद मिश्रा को बर्खास्त कर दिया गया है.

9 कर्मियों के फर्जीवाड़े की शिकायत
19 व 22 जून 2021 को मृतक आश्रित कोटे में तथ्य छिपाकर नौकरी करने वाले 2 कर्मी को टर्मिनेट किया गया. वहीं 24 जून 2021 को 2 और कर्मचारी की सेवा समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया गया. यह जांच 2002 के बाद मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाए 9 कर्मियों के खिलाफ चल रही है.

पहले इन पर गिरी गाज

  • 16 साल बाद किया बर्खास्त
    22 जून को 16 साल बाद कुलसचिव आशुतोष कुमार द्विवेदी ने सफाई कर्मचारी कुमारी काले की बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया. जांच रिपोर्ट के मुताबिक कुमारी काले की नौकरी कर रहीं मां की मृत्यु 2005 में हुई थी. वहीं उनके पिता भी केजीएमयू में नौकरी कर रहे थे. इसके बावजूद कुमारी काले ने पिता के केजीएमयू में नौकरी करने का तथ्य छिपा लिया. वहीं, अपनी माता के निधन के बाद मृतक आश्रित कोटे से नौकरी ज्वॉइन कर ली. ऐसे में नियुक्ति को अवैध मान कर नौकरी के 16 साल बाद बर्खास्त कर दिया गया.
  • एक कर्मी सेवाकाल के 13 वें साल बर्खास्त
    सुमित कुमार केजीएयू(KGMU) में वाटर कैरियर पद पर तैनात थे. उन्होंने मृतक आश्रित कोटे में 2007 में आवेदन किया था. वर्ष 2008 को नौकरी मिली. कुलसचिव आशुतोष कुमार ने 19 जून 2021 को कर्मी सुमित वर्मा के टर्मिनेशन के आदेश जारी किए. इसमें जांच रिपोर्ट का हवाला दिया गया. रिपोर्ट के मुताबिक सुमित की मां बालरोग विभाग में सेवारत थीं. बावजूद यह तथ्य छिपाकर मृतक आश्रित की अनुकम्पा के आधार पर नौकरी हासिल की गई. ऐसे में यह गलत है.

    इसे भी पढे़ं- केजीएमयू में दवाओं के लिए करोड़ों का बजट देती है सरकार, फिर भी मरीजों को मिल रही आधी-अधूरी दवाएं

लखनऊ: केजीएमयू(KGMU) में मृतक आश्रित कोटे में धांधली की जड़े गहरी हैं. सिस्टम में पैठ बना चुके इन कर्मियों पर कार्रवाई करने में हिचक रहे हैं. ऐसे में बार-बार शासन में शिकायत पहुंचने के बाद एक और कर्मी पर गाज गिरानी पड़ी. कुलसचिव ने नौकरी के 18 साल बाद कर्मी की सेवा समाप्त कर दी है.

केजीएमयू में कर्मियों-डॉक्टरों की भर्ती के कई घपले उजागर हुए हैं. इसमें कुछ पर कार्रवाई हुईं. वहीं, अधिकतर की जांचें ठंडे बस्ते में चली गई. मामला कोर्ट तक पहुंचने पर संस्थान प्रशासन ने जांच शुरू की. ऐसे में एक के बाद एक घपला उजागर हो रहा है. इस दरमियान भी कुछ चहेतों की फाइल दबा दी गई. इसको लेकर शासन में शिकायत की गई. लिहाजा, फिर से कार्रवाई की फाइल चलाई गई. अब 2004 में तथ्यों को छिपाकर नौकरी पाए लिपिक आनंद मिश्रा को बर्खास्त कर दिया गया है.

9 कर्मियों के फर्जीवाड़े की शिकायत
19 व 22 जून 2021 को मृतक आश्रित कोटे में तथ्य छिपाकर नौकरी करने वाले 2 कर्मी को टर्मिनेट किया गया. वहीं 24 जून 2021 को 2 और कर्मचारी की सेवा समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया गया. यह जांच 2002 के बाद मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाए 9 कर्मियों के खिलाफ चल रही है.

पहले इन पर गिरी गाज

  • 16 साल बाद किया बर्खास्त
    22 जून को 16 साल बाद कुलसचिव आशुतोष कुमार द्विवेदी ने सफाई कर्मचारी कुमारी काले की बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया. जांच रिपोर्ट के मुताबिक कुमारी काले की नौकरी कर रहीं मां की मृत्यु 2005 में हुई थी. वहीं उनके पिता भी केजीएमयू में नौकरी कर रहे थे. इसके बावजूद कुमारी काले ने पिता के केजीएमयू में नौकरी करने का तथ्य छिपा लिया. वहीं, अपनी माता के निधन के बाद मृतक आश्रित कोटे से नौकरी ज्वॉइन कर ली. ऐसे में नियुक्ति को अवैध मान कर नौकरी के 16 साल बाद बर्खास्त कर दिया गया.
  • एक कर्मी सेवाकाल के 13 वें साल बर्खास्त
    सुमित कुमार केजीएयू(KGMU) में वाटर कैरियर पद पर तैनात थे. उन्होंने मृतक आश्रित कोटे में 2007 में आवेदन किया था. वर्ष 2008 को नौकरी मिली. कुलसचिव आशुतोष कुमार ने 19 जून 2021 को कर्मी सुमित वर्मा के टर्मिनेशन के आदेश जारी किए. इसमें जांच रिपोर्ट का हवाला दिया गया. रिपोर्ट के मुताबिक सुमित की मां बालरोग विभाग में सेवारत थीं. बावजूद यह तथ्य छिपाकर मृतक आश्रित की अनुकम्पा के आधार पर नौकरी हासिल की गई. ऐसे में यह गलत है.

    इसे भी पढे़ं- केजीएमयू में दवाओं के लिए करोड़ों का बजट देती है सरकार, फिर भी मरीजों को मिल रही आधी-अधूरी दवाएं
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