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ड्रोन की मदद से हो सकेगी खाने की डिलीवरी, जानें खासियत - डीन डॉ. एलएस अवस्थी

यूपी की राजधानी लखनऊ में छात्रों ने कम कीमत और बेहतर कार्य क्षमता वाले ड्रोन तैयार किया है. दावा है कि इस ड्रोन को 80 हजार रुपये के खर्च पर तैयार किया गया है. जबकि इसी क्षमता के बाजार में उपलब्ध ड्रोन की कीमत 3 लाख रुपये तक है.

प्रतिकात्मक चित्र.
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Published : Aug 14, 2021, 5:15 AM IST

लखनऊ: शादी बारात में ड्रोन से फोटो लेते हुए आपने कई बार देखा होगा, लेकिन अब यही ड्रोन आपके घरों में खाने की होम डिलीवरी में भी काम आएगा. लखनऊ के छात्रों ने ऐसा एक ड्रोन तैयार किया है. इसकी खासियत कम कीमत और बेहतर कार्य क्षमता है. लखनऊ पब्लिक कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज के छात्रों ने इसे तैयार किया है. कॉलेज के डीन डॉ. एलएस अवस्थी बताते हैं कि इस ड्रोन को उन्होंने करीब 80 हजार रुपए में तैयार किया है. जबकि बाजार में मिलने वाले इसी स्पेसिफिकेशन की ड्रोन की कीमत करीब ढाई से तीन लाख रुपये होती है.

उन्होंने बताया कि यह ड्रोन अपनी रेंज में ही काम करता है यानी रेंज से बाहर निकलने पर वापस अपनी जगह पर आ जाता है. मॉनिटर की मदद से इसकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है. उन्होंने बताया कि इसकी क्षमता को और बेहतर बनाने पर काम किया जा रहा है. आने वाले समय में यह एक से डेढ़ किलो के वजन के सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में भी सक्षम होगा. लंच बॉक्स को लाने ले जाने की क्षमता इसमें विकसित की जा रही है.

जानकारी देते डीन डॉ. एलएस अवस्थी.

डीन डॉ. एलएस अवस्थी बताते हैं कि कॉलेज के छात्र रजत और अपवायन सिन्हा ने इस ड्रोन को तैयार किया है. इसके संबंध में सिडबी के साथ समझौता हुआ है. इस उत्पाद के व्यवसाई के इस्तेमाल को लेकर सभी कानूनी प्रक्रिया को पूरा किया जा रहा है. उसके बाद ही इसे बाजार में उतारा जाएगा.

ड्रोन का इस्तेमाल बीते कुछ समय से काफी पॉपुलर हो गया है. फोटोग्राफी से लेकर छोटे-छोटे सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में इसका काफी इस्तेमाल किया जा रहा है. इसकी गलत इस्तेमाल की आशंकाओं को देखते हुए सिविल एविएशन मंत्रालय की तरफ से कुछ दिशा-निर्देश भी जारी किए गए. Unmanned aircraft system rules, 2021 में इसके इस्तेमाल को लेकर गाइडलाइंस तैयार की गई है. ड्रोन के वजन और साइज के हिसाब से इसे अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है.

नैनो ड्रोन: यह ढाई सौ ग्राम से कम वजन वाले ड्रोन होते हैं और इन को उड़ाने के लिए किसी तरह के लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ती.

माइक्रो ड्रोन: इसका वजन ढाई सौ ग्राम से ज्यादा लेकिन 2 किलो से कम होता है. इसे उड़ाने के लिए परमिशन की जरूरत होती है. ड्रोन पायलट को भी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर को फॉलो करना पड़ता है.

स्मॉल ड्रोन: इसका वजन 2 किलो से ज्यादा लेकिन 25 किलो से कम होता है. माइक्रोन की तरह इसे भी उड़ाने के लिए परमिशन की जरूरत होती है.

मीडियम ड्रोन: इसका वजन 25 किलो से ज्यादा लेकिन 150 किलो से कम होता है.

लार्ज ड्रोन: इसका वजन 150 किलोग्राम से ज्यादा होता है.

नैनू केटेगरी के अलावा किसी भी तरह के रूम को उड़ाने के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है. अगर बिना अनुमति ड्रोन उड़ाते हुए पकड़े जाने पर ₹25000 के जुर्माने की व्यवस्था है. नो ऑपरेशन एरिया में ड्रोन उड़ाने पर ₹50,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.

ड्रोन उड़ाने के लिए दो तरह के लाइसेंस दिए जाते हैं. पहला स्टूडेंट रिमोट पायलट लाइसेंस और दूसरा रिमोट पायलट लाइसेंस. कमर्शियल एक्टिविटी के लिए ड्रोन उड़ाने वाले ऑपरेटर की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए. कम से कम 10 वीं पास या उसके बराबर की डिग्री किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से प्राप्त होनी चाहिए.

इसे भी पढे़ं- यूपी के डिफेंस कॉरिडोर में बनेंगे ड्रोन, दो कंपनियां कर रहीं 581 करोड़ का निवेश

लखनऊ: शादी बारात में ड्रोन से फोटो लेते हुए आपने कई बार देखा होगा, लेकिन अब यही ड्रोन आपके घरों में खाने की होम डिलीवरी में भी काम आएगा. लखनऊ के छात्रों ने ऐसा एक ड्रोन तैयार किया है. इसकी खासियत कम कीमत और बेहतर कार्य क्षमता है. लखनऊ पब्लिक कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज के छात्रों ने इसे तैयार किया है. कॉलेज के डीन डॉ. एलएस अवस्थी बताते हैं कि इस ड्रोन को उन्होंने करीब 80 हजार रुपए में तैयार किया है. जबकि बाजार में मिलने वाले इसी स्पेसिफिकेशन की ड्रोन की कीमत करीब ढाई से तीन लाख रुपये होती है.

उन्होंने बताया कि यह ड्रोन अपनी रेंज में ही काम करता है यानी रेंज से बाहर निकलने पर वापस अपनी जगह पर आ जाता है. मॉनिटर की मदद से इसकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है. उन्होंने बताया कि इसकी क्षमता को और बेहतर बनाने पर काम किया जा रहा है. आने वाले समय में यह एक से डेढ़ किलो के वजन के सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में भी सक्षम होगा. लंच बॉक्स को लाने ले जाने की क्षमता इसमें विकसित की जा रही है.

जानकारी देते डीन डॉ. एलएस अवस्थी.

डीन डॉ. एलएस अवस्थी बताते हैं कि कॉलेज के छात्र रजत और अपवायन सिन्हा ने इस ड्रोन को तैयार किया है. इसके संबंध में सिडबी के साथ समझौता हुआ है. इस उत्पाद के व्यवसाई के इस्तेमाल को लेकर सभी कानूनी प्रक्रिया को पूरा किया जा रहा है. उसके बाद ही इसे बाजार में उतारा जाएगा.

ड्रोन का इस्तेमाल बीते कुछ समय से काफी पॉपुलर हो गया है. फोटोग्राफी से लेकर छोटे-छोटे सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में इसका काफी इस्तेमाल किया जा रहा है. इसकी गलत इस्तेमाल की आशंकाओं को देखते हुए सिविल एविएशन मंत्रालय की तरफ से कुछ दिशा-निर्देश भी जारी किए गए. Unmanned aircraft system rules, 2021 में इसके इस्तेमाल को लेकर गाइडलाइंस तैयार की गई है. ड्रोन के वजन और साइज के हिसाब से इसे अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है.

नैनो ड्रोन: यह ढाई सौ ग्राम से कम वजन वाले ड्रोन होते हैं और इन को उड़ाने के लिए किसी तरह के लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ती.

माइक्रो ड्रोन: इसका वजन ढाई सौ ग्राम से ज्यादा लेकिन 2 किलो से कम होता है. इसे उड़ाने के लिए परमिशन की जरूरत होती है. ड्रोन पायलट को भी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर को फॉलो करना पड़ता है.

स्मॉल ड्रोन: इसका वजन 2 किलो से ज्यादा लेकिन 25 किलो से कम होता है. माइक्रोन की तरह इसे भी उड़ाने के लिए परमिशन की जरूरत होती है.

मीडियम ड्रोन: इसका वजन 25 किलो से ज्यादा लेकिन 150 किलो से कम होता है.

लार्ज ड्रोन: इसका वजन 150 किलोग्राम से ज्यादा होता है.

नैनू केटेगरी के अलावा किसी भी तरह के रूम को उड़ाने के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है. अगर बिना अनुमति ड्रोन उड़ाते हुए पकड़े जाने पर ₹25000 के जुर्माने की व्यवस्था है. नो ऑपरेशन एरिया में ड्रोन उड़ाने पर ₹50,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.

ड्रोन उड़ाने के लिए दो तरह के लाइसेंस दिए जाते हैं. पहला स्टूडेंट रिमोट पायलट लाइसेंस और दूसरा रिमोट पायलट लाइसेंस. कमर्शियल एक्टिविटी के लिए ड्रोन उड़ाने वाले ऑपरेटर की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए. कम से कम 10 वीं पास या उसके बराबर की डिग्री किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से प्राप्त होनी चाहिए.

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