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UP Vegetable Price : यूपी में सब्जियों के दाम में उतार चढ़ाव, जानिए वजह - सब्जियों के दाम में काफी उतार चढ़ाव

बीते दिनों से सब्जियों के दाम में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है, जिसके चलते आम आदमी का बजट बिगड़ता जा रहा है. आइये जानते हैं सब्जियों के दाम बढ़ने का कारण...

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Published : Mar 29, 2023, 6:54 AM IST

लखनऊ : आम आदमी का बजट लगातार बिगड़ता जा रहा है, चाहे सब्जियां हो या फिर अनाज, खेत से किचन तक पहुंचने की प्रक्रिया में इनके दाम जमीन से आसमान तक पहुंच जाते हैं. खेत से लेकर मंडी, फिर थोक व्यापारी और फुटकर व्यापारी तक पहुंचने में सब्जियों और अनाज के दाम कई गुना बढ़ जाते हैं. आइये जानते हैं 29 मार्च को क्या रहे सब्जियों के दाम.


कैसे बढ़ जाते हैं सब्जियों के दाम

उत्तर प्रदेश की अगर बात करें तो यहां पर मंडी समितियों में किसान के सामान पर 2.5 परसेंट लिया जाता था और आढ़ती भी अपना 2.5 परसेंट लेते हैं, यानि की समान का कुल दाम का 5 प्रतिशत दाम अपने आप बढ़ जाता है. किसानों को सहूलियत देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मंडी समिति के 2.5 प्रतिशत को कम करके 1.5 प्रतिशत कर दिया है, जिसके बाद किसानों को अब कुल दाम का 5 प्रतिशत की जगह 4 प्रतिशत ही देना होता है. इसके बावजूद खेत से निकलने वाला सामान जब आम जनता के किचन तक पहुंचता है तो उसका दाम आसमान तक पहुंच जाता है. मंडी समितियों में किसान के अनाज को बड़े और थोक विक्रेता व्यापारियों को बेचा जाता है और उनके साथ-साथ फुटकर व्यापारी भी सामान लेकर जाते हैं जो अपने ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा और साथ-साथ सामान को बेचने की पैकेजिंग के साथ सामान का दाम वसूल करते हैं.

ये भी हैं मुख्य कारण

खेत से लेकर किचन तक इन लंबी कड़ियों के चलते जिन सामान के दाम उदाहरण के तौर पर 10 रुपए हैं वह बढ़ते-बढ़ते 25 से 30 रुपए पहुंच जाते हैं. साथ ही कई बार खराब मौसम, ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल और पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम यह सभी बड़े कारण बन जाते हैं, जिसके चलते सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी देखने को मिलती है.


ऐसे बढ़ जाते हैं दाम : मंडी के आढ़ती एसपी यादव ने बताया कि 'किसान जब अपने सामान को लेकर मंडी पहुंचता है तो वह उसमें खेत में लगने वाले दाम, लेबर का पैसा और मंडी तक लाने का शुल्क सभी जोड़कर यहां पहुंचाता है. यहां पर किसानों से आढ़ती ढाई परसेंट लेते हैं और मंडी समिति डेढ़ परसेंट लेती है, जिसके बाद सामान के दाम बढ़ने लगते हैं.'

सब्जियों के भाव प्रति किलो (मंडी भाव)

टमाटर- 11 रुपये प्रति किलो

मटर- 15 रुपये प्रति किलो

नींबू- 120 रुपये प्रति किलो

बैंगन- 15 रुपये प्रति किलो

गाजर- 12 रुपये प्रति किलो

सेम- 30 रुपये प्रति किलो

शिमला मिर्च- 18 रुपये प्रति किलो

धनिया- 20 रुपये प्रति किलो

भिंडी- 55 रुपये प्रति किलो

अदरक-40 रुपये प्रति किलो

लौकी- 18 रुपये प्रति किलो

प्याज-15 रुपये प्रति किलो

खीरा- 14 रुपये प्रति किलो

कद्दू- 10 रुपये प्रति किलो

फूल गोभी-10 रुपये प्रति पीस

आलू नया- 5 रुपये प्रति किलो

आलू पुराना- 6 रुपये प्रति किलो

पालक - 20 रुपये प्रति किलो

करेला - 40 रुपये प्रति किलो

तोरई - 40 रुपये प्रति किलो

लहसुन - 80 रुपये प्रति किलो

परवल-70 रुपये प्रति किलो

यह भी पढ़ें : High Court News : देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश में सजा काट रहे अभियुक्त को जमानत

लखनऊ : आम आदमी का बजट लगातार बिगड़ता जा रहा है, चाहे सब्जियां हो या फिर अनाज, खेत से किचन तक पहुंचने की प्रक्रिया में इनके दाम जमीन से आसमान तक पहुंच जाते हैं. खेत से लेकर मंडी, फिर थोक व्यापारी और फुटकर व्यापारी तक पहुंचने में सब्जियों और अनाज के दाम कई गुना बढ़ जाते हैं. आइये जानते हैं 29 मार्च को क्या रहे सब्जियों के दाम.


कैसे बढ़ जाते हैं सब्जियों के दाम

उत्तर प्रदेश की अगर बात करें तो यहां पर मंडी समितियों में किसान के सामान पर 2.5 परसेंट लिया जाता था और आढ़ती भी अपना 2.5 परसेंट लेते हैं, यानि की समान का कुल दाम का 5 प्रतिशत दाम अपने आप बढ़ जाता है. किसानों को सहूलियत देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मंडी समिति के 2.5 प्रतिशत को कम करके 1.5 प्रतिशत कर दिया है, जिसके बाद किसानों को अब कुल दाम का 5 प्रतिशत की जगह 4 प्रतिशत ही देना होता है. इसके बावजूद खेत से निकलने वाला सामान जब आम जनता के किचन तक पहुंचता है तो उसका दाम आसमान तक पहुंच जाता है. मंडी समितियों में किसान के अनाज को बड़े और थोक विक्रेता व्यापारियों को बेचा जाता है और उनके साथ-साथ फुटकर व्यापारी भी सामान लेकर जाते हैं जो अपने ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा और साथ-साथ सामान को बेचने की पैकेजिंग के साथ सामान का दाम वसूल करते हैं.

ये भी हैं मुख्य कारण

खेत से लेकर किचन तक इन लंबी कड़ियों के चलते जिन सामान के दाम उदाहरण के तौर पर 10 रुपए हैं वह बढ़ते-बढ़ते 25 से 30 रुपए पहुंच जाते हैं. साथ ही कई बार खराब मौसम, ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल और पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम यह सभी बड़े कारण बन जाते हैं, जिसके चलते सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी देखने को मिलती है.


ऐसे बढ़ जाते हैं दाम : मंडी के आढ़ती एसपी यादव ने बताया कि 'किसान जब अपने सामान को लेकर मंडी पहुंचता है तो वह उसमें खेत में लगने वाले दाम, लेबर का पैसा और मंडी तक लाने का शुल्क सभी जोड़कर यहां पहुंचाता है. यहां पर किसानों से आढ़ती ढाई परसेंट लेते हैं और मंडी समिति डेढ़ परसेंट लेती है, जिसके बाद सामान के दाम बढ़ने लगते हैं.'

सब्जियों के भाव प्रति किलो (मंडी भाव)

टमाटर- 11 रुपये प्रति किलो

मटर- 15 रुपये प्रति किलो

नींबू- 120 रुपये प्रति किलो

बैंगन- 15 रुपये प्रति किलो

गाजर- 12 रुपये प्रति किलो

सेम- 30 रुपये प्रति किलो

शिमला मिर्च- 18 रुपये प्रति किलो

धनिया- 20 रुपये प्रति किलो

भिंडी- 55 रुपये प्रति किलो

अदरक-40 रुपये प्रति किलो

लौकी- 18 रुपये प्रति किलो

प्याज-15 रुपये प्रति किलो

खीरा- 14 रुपये प्रति किलो

कद्दू- 10 रुपये प्रति किलो

फूल गोभी-10 रुपये प्रति पीस

आलू नया- 5 रुपये प्रति किलो

आलू पुराना- 6 रुपये प्रति किलो

पालक - 20 रुपये प्रति किलो

करेला - 40 रुपये प्रति किलो

तोरई - 40 रुपये प्रति किलो

लहसुन - 80 रुपये प्रति किलो

परवल-70 रुपये प्रति किलो

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