लखनऊ : राजधानी स्थित कुकरैल संरक्षित वन क्षेत्र में देश का पहला नाइट सफारी (first night safari in Lucknow) बनाए जाने के लिए सर्वे का काम शुरू हो चुका है. सरकार के इस कदम से न सिर्फ वन का संरक्षण होगा, बल्कि वन्यजीवों को प्राकृतिक वास भी मिल सकेगा. राजधानी के शहरी क्षेत्र से सटे यह कुकरैल वन का कुल क्षेत्रफल 2027.46 हेक्टेयर है. इसमें से 500 एकड़ वन क्षेत्र में नाइट सफारी और प्राणी उद्यान बनाया जाना है. सरकार की योजना है कि कुकरैल नाइट सफारी के पर्यटकों को विश्व स्तरीय ईको पर्यटन सुविधाएं प्रदान की जाएं. राजधानी के इंदिरा नगर क्षेत्र से सटा यह जंगल प्राकृतिक आभा समेटे है. आबादी से सटे होने के कारण वन क्षेत्र का अतिक्रमण और कब्जे आदि की शिकायतें बनी रहती थीं. नाइट सफारी बन जाने के बाद यह संकट समाप्त हो जाएगा, क्योंकि ऐसी स्थिति में सरकार इसे चारों ओर से सुरक्षित करेगी. यही नहीं जंगल में लगे हजारों विशाल वृक्ष राजधानी की पचास लाख से भी ज्यादा आबादी को बेहतर ऑक्सीजन मुहैया कराते रहेंगे. सफारी में वन्य जीव पिंजरे की जगह स्वच्छंद रखे जाते हैं, इसलिए सरकार का यह फैसला जीवों के लिए भी हितकर है.
17 अगस्त 2022 को राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कैबिनेट बैठक में कुकरैल को नाइट सफारी (first night safari in Lucknow) बनाने और चिड़ियाघर कुकरैल में ही शिफ्ट करने का फैसला किया था. सरकार ने बताया था कि यह देश का पहला नाइट सफारी और जैव विविधता पार्क होगा. नए साल में विगत दिवस भूमि उपयोग का निर्धारण करने के लिए एक डिजिटल सर्वेक्षण शुरू हो गया है. उम्मीद की जा रही है कि बहुत जल्द यह काम पूरा होगा और नाइट सफारी को गति मिलेगी. सिंगापुर की तर्ज पर यह नाइट सफारी बनाया जा रहा है. कुकरैल के कुल क्षेत्रफल 2,027.46 हेक्टेयर में से 350 एकड़ में नाइट सफारी बनाई जाएगी और 150 एकड़ में प्राणि उद्यान का निर्माण होगा. यहां के 75-75 एकड़ में बाघ और तेंदुआ सफारी तथा 60 एकड़ में भालू सफारी बनाई जाएगी. इस नाइट सफारी में ट्रेन और जीप की सवारी भी कराई जाएगी. इसके लिए यहां माउंटेन बाइट ट्रैकिंग, ट्री टॉप रेस्टोरेंट, कैनोपी वाक, कैंपिग गतिविधियां, दीवार पर्वतारोहण, नेचर ट्रेल और फूड कोर्ट आदि की सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी.
गौरतलब है कि वर्तमान समय में कुकरैल में एक घड़ियाल प्रजनन केंद्र, कछुआ अनुसंधान और बचाव केंद्र, वन विश्राम गृह और बच्चों के लिए पार्क मौजूद है. घोषणा के वक्त वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना ने कहा था कि '2023 के अंत तक हजरतगंज से चिड़ियाघर को कुकरैल शिफ्ट करने के साथ ही नाइट सफारी का काम पूरा कर लिया जाए, यानी इसी वर्ष के अंत तक राजधानी वासियों का नाइट सफारी का सपना पूरा हो सकता है. बताया जा रहा है कि परियोजना के तहत कुकरैल नदी को चैनलाइज किया जाएगा और सड़कों को भी चौड़ा किया जाएगा. कुकरैल नाइट सफारी के लिए यहां रात्रिचर जानवरों को लाया जाएगा. नाइट सफारी के लिए बेहतर कनेक्टिविटी के लिए फोर लेन सड़क का निर्माण भी किया जाएगा.'
इस संबंध में इंदिरा नगर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता ओमवीर सिंह कहते हैं कि 'सरकार की यह योजना कई मायनों में बहुत ही बेहतर है. एक ओर जहां सफारी बन जाने से आसपास के सैकड़ों लोगों को रोजगार मुहैया होगा, तो वहीं निरंतर और अतिक्रमण का शिकार हो रहा वन सुरक्षित हो जाएगा. इसके साथ ही लखनऊ के नाम देश का पहला नाइट सफारी हो जाएगा. यह भी राजधानी वासियों के लिए गौरव का विषय है. इतने बड़े वन क्षेत्र से राजधानी के एक बड़े हिस्से को स्वच्छ ऑक्सीजन भी मिलती रहेगी. सामाजिक कार्यकर्ताओं ओमवीर सिंह कहते हैं कि सफारी बन जाने से कुकरैल नदी का भी विकास होगा, जो आजकल नाले का रूप ले चुकी है. सरकार ने इसके तटों को रिवर फ्रंट की तरह विकसित करने की योजना भी बनाई है, इसलिए सरकार की यह योजना हर लिहाज से पर्यावरण और राजधानी वासियों के हित में है.'