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सहकारिता विभाग में एक ही बिरादरी का रहा दबदबा, मनमानी का अब भुगतना होगा अंजाम ! - cm yogi

उत्तर प्रदेश में साल 2012 से 2017 तक समाजवादी पार्टी की सरकार रही. सपा के इस कार्यकाल में एक ही बिरादरी का सहकारिता विभाग पर भरपूर दबदबा रहा. मनमाने ढंग से भर्तियां की गईं, मनचाहे काम किए गए, लेकिन अब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है और इन सभी मनचाहे कामों का जिम्मेदारों को अंजाम भुगतना पड़ सकता है.

यूपी सहकारिता विभाग में घोटाला
यूपी सहकारिता विभाग में घोटाला
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Published : May 28, 2021, 1:04 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश सहकारिता विभाग में मनमानी के दिन लदते दिखाई दे रहे हैं. सहकारिता विभाग के कई अधिकारियों के साथ ही कर्मचारियों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है. हाल ही में एसआईटी ने भर्ती घोटाले के आरोपी अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कराई है. अब 2324 कर्मचारियों पर कार्रवाई का नंबर आने वाला है.

उत्तर प्रदेश में साल 2012 से 2017 तक समाजवादी पार्टी की सरकार रही. सपा के इस कार्यकाल में एक ही बिरादरी का सहकारिता विभाग पर भरपूर दबदबा रहा. मनमाने ढंग से भर्तियां की गईं, मनचाहे काम किए गए, लेकिन अब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है और इन सभी मनचाहे कामों का जिम्मेदारों को अंजाम भुगतना पड़ सकता है.

सहकारिता विभाग में हुए घोटाले की जानकारी देते संवाददाता अखिल पांडेय
पांच साल तक भ्रष्टाचार का अड्डा रहा सहकारिता विभाग
पांच साल तक सहकारिता विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा रहा था. इस दौरान अपनी चहेती फर्म को भर्ती का ठेका दिया गया. एक ही बिरादरी के अधिकारी सहकारिता विभाग में तैनात हुए और उसी बिरादरी की सबसे ज्यादा भर्तियां भी हुई. सिफारिश और रिश्वत का खेल इन भर्तियों में खूब चला, लेकिन जैसे ही समाजवादी पार्टी की सरकार सत्ता से बेदखल हुई वैसे ही सहकारिता विभाग में हुई इस भर्ती पर संकट के बादल मंडराने लगे. योगी सरकार ने जांच बिठा दी और एसआईटी ने मामले की गंभीरता से जांच शुरू कर दी. हाल ही में आधा दर्जन आरोपी अधिकारियों के खिलाफ एसआईटी ने एफआईआर दर्ज करा दी है. अब 2012 से 2017 के बीच जिन 2324 कर्मचारियों की भर्ती हुई थी उन पर भी नौकरी जाने का संकट मंडराने लगा है. खासतौर से ऐसे कर्मचारियों की बर्खास्तगी निश्चित मानी जा रही है, जिनकी ओएमआर शीट और कॉपी में एसआईटी को काफी गड़बड़ियां मिली थीं.

पढ़ें- सहकारिता भर्ती घोटालाः रिटायर्ड चेयरमैन राम जतन यादव के सम्पतियों की होगी जांच

सात संस्थाओं में हुई थीं हजारों भर्तियां

बता दें कि सहकारिता विभाग की सात संस्थाओं में 2012 से 2017 के बीच 2374 पदों पर भर्तियां की गई थीं, जिनमें 2324 चयनित हुए थे. उत्तर प्रदेश सहकारी संस्थागत सेवा मंडल पर इन भर्तियों की जिम्मेदारी थी. भर्तियां हुईं भी, लेकिन मनमाने तरीके से. लिहाजा भर्तियों के समय ही शिकायतें शुरू हो गईं, लेकिन मनचाही सरकार थी और मनचाहे अधिकारी तो फिर सुनवाई की गुंजाइश ही नहीं थी. साल 2017 में जैसे ही सरकार बदली, खेल ही बदल गया. मामले की एसआईटी ने जांच की और अब अधिकारियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है.

यूपी सहकारिता विभाग में घोटाला
यूपी सहकारिता विभाग में घोटाला
50 सहायक प्रबंधकों को किया था बर्खास्त
बता दें इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार की शिकायत पर उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड में भर्ती सभी 50 असिस्टेंट मैनेजरों को बर्खास्त कर दिया था. तत्कालीन सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक आरके सिंह, सेवा मंडल के चेयरमैन रामजतन यादव और सदस्य संतोष कुमार पर एफआईआर दर्ज की गई थी.

पढ़ें- corona effect: अब नए आवासीय निर्माण में श्मशान भी बनाएगा LDA, पढ़ें...और क्या-क्या हैं योजनाएं


इन पदों पर हुई थी भर्तियां

2012 से 2017 के बीच उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक में असिस्टेंट अकाउंट और सहायक शाखा आंकिक के 1018 पदों पर भर्ती हुई थी. जिला सहकारी बैंकों में सीनियर ब्रांच मैनेजर' कनिष्ठ शाखा प्रबंधक कैशियर और टाइपिस्ट के 762 पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी की गई थी. यूपी कोऑपरेटिव यूनियन में कनिष्ठ सहायक के 303 पद, उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम में उप प्रबंधक और कनिष्ठ कार्यालय सहायक के 69 पद, उत्तर प्रदेश पैकफेड में असिस्टेंट मैनेजर और कैशियर के 154 पद, उत्तर प्रदेश राज्य सहकारी संघ लिमिटेड में सहायक अभियंता के 16 पद और उप प्रबंधक के दो पदों पर भर्ती की गई थी. अब इन सभी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

लखनऊः उत्तर प्रदेश सहकारिता विभाग में मनमानी के दिन लदते दिखाई दे रहे हैं. सहकारिता विभाग के कई अधिकारियों के साथ ही कर्मचारियों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है. हाल ही में एसआईटी ने भर्ती घोटाले के आरोपी अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कराई है. अब 2324 कर्मचारियों पर कार्रवाई का नंबर आने वाला है.

उत्तर प्रदेश में साल 2012 से 2017 तक समाजवादी पार्टी की सरकार रही. सपा के इस कार्यकाल में एक ही बिरादरी का सहकारिता विभाग पर भरपूर दबदबा रहा. मनमाने ढंग से भर्तियां की गईं, मनचाहे काम किए गए, लेकिन अब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है और इन सभी मनचाहे कामों का जिम्मेदारों को अंजाम भुगतना पड़ सकता है.

सहकारिता विभाग में हुए घोटाले की जानकारी देते संवाददाता अखिल पांडेय
पांच साल तक भ्रष्टाचार का अड्डा रहा सहकारिता विभाग
पांच साल तक सहकारिता विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा रहा था. इस दौरान अपनी चहेती फर्म को भर्ती का ठेका दिया गया. एक ही बिरादरी के अधिकारी सहकारिता विभाग में तैनात हुए और उसी बिरादरी की सबसे ज्यादा भर्तियां भी हुई. सिफारिश और रिश्वत का खेल इन भर्तियों में खूब चला, लेकिन जैसे ही समाजवादी पार्टी की सरकार सत्ता से बेदखल हुई वैसे ही सहकारिता विभाग में हुई इस भर्ती पर संकट के बादल मंडराने लगे. योगी सरकार ने जांच बिठा दी और एसआईटी ने मामले की गंभीरता से जांच शुरू कर दी. हाल ही में आधा दर्जन आरोपी अधिकारियों के खिलाफ एसआईटी ने एफआईआर दर्ज करा दी है. अब 2012 से 2017 के बीच जिन 2324 कर्मचारियों की भर्ती हुई थी उन पर भी नौकरी जाने का संकट मंडराने लगा है. खासतौर से ऐसे कर्मचारियों की बर्खास्तगी निश्चित मानी जा रही है, जिनकी ओएमआर शीट और कॉपी में एसआईटी को काफी गड़बड़ियां मिली थीं.

पढ़ें- सहकारिता भर्ती घोटालाः रिटायर्ड चेयरमैन राम जतन यादव के सम्पतियों की होगी जांच

सात संस्थाओं में हुई थीं हजारों भर्तियां

बता दें कि सहकारिता विभाग की सात संस्थाओं में 2012 से 2017 के बीच 2374 पदों पर भर्तियां की गई थीं, जिनमें 2324 चयनित हुए थे. उत्तर प्रदेश सहकारी संस्थागत सेवा मंडल पर इन भर्तियों की जिम्मेदारी थी. भर्तियां हुईं भी, लेकिन मनमाने तरीके से. लिहाजा भर्तियों के समय ही शिकायतें शुरू हो गईं, लेकिन मनचाही सरकार थी और मनचाहे अधिकारी तो फिर सुनवाई की गुंजाइश ही नहीं थी. साल 2017 में जैसे ही सरकार बदली, खेल ही बदल गया. मामले की एसआईटी ने जांच की और अब अधिकारियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है.

यूपी सहकारिता विभाग में घोटाला
यूपी सहकारिता विभाग में घोटाला
50 सहायक प्रबंधकों को किया था बर्खास्त
बता दें इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार की शिकायत पर उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड में भर्ती सभी 50 असिस्टेंट मैनेजरों को बर्खास्त कर दिया था. तत्कालीन सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक आरके सिंह, सेवा मंडल के चेयरमैन रामजतन यादव और सदस्य संतोष कुमार पर एफआईआर दर्ज की गई थी.

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इन पदों पर हुई थी भर्तियां

2012 से 2017 के बीच उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक में असिस्टेंट अकाउंट और सहायक शाखा आंकिक के 1018 पदों पर भर्ती हुई थी. जिला सहकारी बैंकों में सीनियर ब्रांच मैनेजर' कनिष्ठ शाखा प्रबंधक कैशियर और टाइपिस्ट के 762 पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी की गई थी. यूपी कोऑपरेटिव यूनियन में कनिष्ठ सहायक के 303 पद, उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम में उप प्रबंधक और कनिष्ठ कार्यालय सहायक के 69 पद, उत्तर प्रदेश पैकफेड में असिस्टेंट मैनेजर और कैशियर के 154 पद, उत्तर प्रदेश राज्य सहकारी संघ लिमिटेड में सहायक अभियंता के 16 पद और उप प्रबंधक के दो पदों पर भर्ती की गई थी. अब इन सभी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

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