लखनऊ: लखनऊ के सबसे बड़े हॉटस्पॉट सदर में पुलिस कर्मचारियों के साथ मारपीट करने वाले आधा दर्जन हमलावरों के खिलाफ कैंट थाने में 7 सीएलए, सहित 1 दर्जन से अधिक धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई है. वहीं, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सभी आरोपियों के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई की जाएगी.
पुलिस अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार को कैंट थाना क्षेत्र के अंतर्गत सदर हॉटस्पॉट में पुलिस गश्त कर रही थी. इस दौरान कुछ युवक नियमों का उल्लंघन करते हुए गुट बनाकर बाहर मौजूद थे. जब पुलिस कर्मचारियों ने युवकों से घर जाने को कहा तो युवकों ने पुलिस से अभद्रता करनी शुरू की और इस दौरान हाथापाई के दौरान एक कॉन्स्टेबल को चोट आई, जिसके बाद डीसीपी सुमन वर्मा के निर्देशों के तहत कैंट थाने में आधा दर्जन अज्ञात आरोपियों के खिलाफ धारा 147,148, 149, 323, 504, 506, 332, 353, 188, 269, 270, 271, 7 सीएलए के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. वहीं इन सभी आरोपियों के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई भी की जाएगी.
इसे भी पढ़ें-प्रयागराज: लॉकडाउन के चलते शराब दुकानों में बढ़ी चोरी की घटनाएं
स्थानीय लोगों का कहना है कि हॉटस्पॉट क्षेत्र में रहने वाले एक बच्चे की तबीयत खराब थी, जिसको कुछ लोग बाहर ले जाने का प्रयास कर रहे थे. इस दौरान पुलिस ने रोका और हॉटस्पॉट क्षेत्र के नियमों का पालन करने के लिए कहा. लेकिन बच्चे को बाहर ले जा रहे लोग उग्र हो गए और पुलिस के साथ हाथापाई हुई. हालांकि पुलिस इस बात से पूरी तरह से इंकार कर रही है. अधिकारियों का कहना है कि एफआईआर दर्ज कर ली गई है, जांच की जा रही है.
राजधानी लखनऊ का यह पहला मामला है जब लॉकडाउन के दौरान पुलिस कर्मचारियों के साथ मारपीट का मामला प्रकाश में आया है. मामले के बाद लखनऊ पुलिस आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने जा रही है. जिस तरह से पुलिस ने गंभीर धाराओं में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है और एनएसए की कार्रवाई करने जा रही है. ऐसे में कहा जा सकता है कि लखनऊ पुलिस ऐसे लोगों को कड़ा संदेश देना चाहती है जो लोग पुलिस से लॉकडाउन के दौरान अभद्रता कर रहे हैं कि अगर पुलिस से किसी तरह की अभद्रता या मारपीट की जाएगी, तो पुलिस प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा. लेकिन सवाल ये भी है कि अगर लोगों का आरोप सच है तो क्या ऐसे असंवेदनशील पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। सभी जानते हैं कि पुलिस वाले किस तरह से आम लोगों के साथ पेश आते हैं. ऐसे में अगर किसी के बच्चे की वाकई तबीयत खराब हो तो उसकी मदद करने के बजाय घर वापस जाने की नसीहत देना कितना न्यायपूर्ण लगता है.