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शारीरिक विकलांगता का दूसरा नाम है फाइलेरिया, जानिए क्या हैं इसके लक्षण और बचाव के उपाय

फाइलेरिया मच्छरों से फैलता है. परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के काटने से ये बीमारी होती है. जब मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है. फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी बीमार कर देते हैं.

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Published : Feb 26, 2023, 6:09 PM IST

फाइलेरिया बीमारी पर ईटीवी भारत संवाददात अपर्णा शुक्ला की रिपोर्ट.

लखनऊ: स्वास्थ्य विभाग के द्वारा प्रदेश भर में फाइलेरिया से जागरूकता के लिए फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम आयोजित कराया जा रहा है. फाइलेरिया दुनिया भर में विकलांगता और विरूपता बढ़ाने वाला सबसे बड़ा रोग है (इसे एक संक्रमण के रूप में भी देखा जाता है). यह एक पैरासाइट डिजिट है जो धागे के समान दिखाई देने वाले निमेटोड कीड़ों (Nematode Worms) के शरीर में प्रवेश करने की वजह से होती है.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. एस देव ने बताया कि फाइलेरिया मच्छरों द्वारा फैलता है. खासकर परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के जरिए. जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है. फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी बीमार कर देते हैं. लेकिन, ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है. इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है. इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है.

उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में फाइलेरिया का इलाज सर्जरी से भी किया जा सकता है. अगर समस्या ज्यादा बढ़ गई है और गंभीर रूप ले चुकी है, तो इन मामलों में डॉक्टर सर्जरी कर सकते हैं. सर्जरी से काफी हद तक सुधार हो सकता है, लेकिन सर्जरी के बाद संक्रमण का खतरा भी हो सकता है. इसलिए, बेहतर है कि शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देकर डॉक्टर से सलाह जरूर लें. फाइलेरिया के इलाज के साथ उचित आहार लेना भी जरूरी है.

उन्होंने बताया कि फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो अगर एक बार किसी को हो जाती है तो फिर वह पूरी तरह से खत्म नहीं होती. रोकथाम ही इसका इलाज है. इसके लिए जरूरी है कि लोग सावधान रहें और अपनी सेहत का ख्याल रखें. उन्होंने कहा कि प्रदेश के ऐसे जिले जो तराई क्षेत्र के अंदर आते हैं जहां पर खेती अधिक होती है वहां के लोगों को फाइलेरिया का संकट अधिक रहता है. क्योंकि जहां पर पानी होता है वहां पर यह मच्छर पनपते हैं.

प्रदेश सरकार भी लोगों को जागरूक करने के लिए फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम आयोजित कर रही है, जिसके जरिए प्रदेश भर के लोगों को इसकी जानकारी दी जा रही है. आशा बहुएं गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान कर रही हैं. आम जनता को भी यह बात समझनी होगी कि इस समय हमारा मौसम बदल रहा है. ऐसे में मच्छर बहुत ज्यादा हो रहे हैं. इसलिए जरूरी है कि सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग जरूर करें मच्छरदानी एकमात्र ऐसा उपाय है, जिससे मच्छरों को रोका जा सकता है. वैसे तो बहुत सारी क्रीम आती हैं या लोग सरसों के तेल का इस्तेमाल करते हैं लेकिन सबसे अच्छा उपाय मच्छरदानी है.

फाइलेरिया के लक्षण

  • बार-बार बुखार आना.
  • अंगों, जननांगों और स्तनों में सूजन.
  • हाइड्रोसील.
  • त्वचा का एक्सफोलिएट होना.
  • हाथों और पैरों में सूजन.

फाइलेरिया के बचाव

  • फाइलेरिया के बचाव के लिए जरूरी है कि मच्छरों से बचाव किया जाए. इसके लिए घर के आस-पास व अंदर साफ-सफाई रखें.
  • पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें. पूरी बाजू के कपड़े पहनकर रहें.
  • सोते वक्त हाथों और पैरों पर व अन्य खुले न रखें.
  • सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें.
  • हाथ या पैर में कही चोट लगी हो या घाव हो तो फिर उसे साफ रखें. साबुन से धोएं और फिर पानी सुखाकर दवाई लगा लें.

ये भी पढ़ेंः Farrukhabad News: इलाज के नाम पर निकाल लिया मरीज का अंडकोष, अस्पताल सील

फाइलेरिया बीमारी पर ईटीवी भारत संवाददात अपर्णा शुक्ला की रिपोर्ट.

लखनऊ: स्वास्थ्य विभाग के द्वारा प्रदेश भर में फाइलेरिया से जागरूकता के लिए फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम आयोजित कराया जा रहा है. फाइलेरिया दुनिया भर में विकलांगता और विरूपता बढ़ाने वाला सबसे बड़ा रोग है (इसे एक संक्रमण के रूप में भी देखा जाता है). यह एक पैरासाइट डिजिट है जो धागे के समान दिखाई देने वाले निमेटोड कीड़ों (Nematode Worms) के शरीर में प्रवेश करने की वजह से होती है.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. एस देव ने बताया कि फाइलेरिया मच्छरों द्वारा फैलता है. खासकर परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के जरिए. जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है. फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी बीमार कर देते हैं. लेकिन, ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है. इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है. इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है.

उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में फाइलेरिया का इलाज सर्जरी से भी किया जा सकता है. अगर समस्या ज्यादा बढ़ गई है और गंभीर रूप ले चुकी है, तो इन मामलों में डॉक्टर सर्जरी कर सकते हैं. सर्जरी से काफी हद तक सुधार हो सकता है, लेकिन सर्जरी के बाद संक्रमण का खतरा भी हो सकता है. इसलिए, बेहतर है कि शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देकर डॉक्टर से सलाह जरूर लें. फाइलेरिया के इलाज के साथ उचित आहार लेना भी जरूरी है.

उन्होंने बताया कि फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो अगर एक बार किसी को हो जाती है तो फिर वह पूरी तरह से खत्म नहीं होती. रोकथाम ही इसका इलाज है. इसके लिए जरूरी है कि लोग सावधान रहें और अपनी सेहत का ख्याल रखें. उन्होंने कहा कि प्रदेश के ऐसे जिले जो तराई क्षेत्र के अंदर आते हैं जहां पर खेती अधिक होती है वहां के लोगों को फाइलेरिया का संकट अधिक रहता है. क्योंकि जहां पर पानी होता है वहां पर यह मच्छर पनपते हैं.

प्रदेश सरकार भी लोगों को जागरूक करने के लिए फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम आयोजित कर रही है, जिसके जरिए प्रदेश भर के लोगों को इसकी जानकारी दी जा रही है. आशा बहुएं गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान कर रही हैं. आम जनता को भी यह बात समझनी होगी कि इस समय हमारा मौसम बदल रहा है. ऐसे में मच्छर बहुत ज्यादा हो रहे हैं. इसलिए जरूरी है कि सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग जरूर करें मच्छरदानी एकमात्र ऐसा उपाय है, जिससे मच्छरों को रोका जा सकता है. वैसे तो बहुत सारी क्रीम आती हैं या लोग सरसों के तेल का इस्तेमाल करते हैं लेकिन सबसे अच्छा उपाय मच्छरदानी है.

फाइलेरिया के लक्षण

  • बार-बार बुखार आना.
  • अंगों, जननांगों और स्तनों में सूजन.
  • हाइड्रोसील.
  • त्वचा का एक्सफोलिएट होना.
  • हाथों और पैरों में सूजन.

फाइलेरिया के बचाव

  • फाइलेरिया के बचाव के लिए जरूरी है कि मच्छरों से बचाव किया जाए. इसके लिए घर के आस-पास व अंदर साफ-सफाई रखें.
  • पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें. पूरी बाजू के कपड़े पहनकर रहें.
  • सोते वक्त हाथों और पैरों पर व अन्य खुले न रखें.
  • सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें.
  • हाथ या पैर में कही चोट लगी हो या घाव हो तो फिर उसे साफ रखें. साबुन से धोएं और फिर पानी सुखाकर दवाई लगा लें.

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