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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: चुनौतियों से नहीं हारी, हम हैं आज की नारी - 8 मार्च

हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. यह उन महिलाओं के लिए प्रशंसा का दिन है जो अपने व्यक्तिगत और पेशेवर लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हर दिन कड़ी मेहनत करती हैं. ईटीवी भारत के अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस स्पेशल कार्यक्रम 'नारी... कल आज और कल' में हम आपको महिलाओं से जुड़ी उन बातों के बारे में बताएंगे जो वह अपने काम के दौरान या फिर अपने घरों में फेस करती हैं.

नारी... कल आज और कल
नारी... कल आज और कल
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Published : Mar 7, 2021, 9:29 PM IST

Updated : Mar 8, 2021, 8:16 AM IST

लखनऊ: यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता...अर्थात जहां नारियों का सम्मान होता है वहां देवता वास करते हैं. हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. एक महिला कई रुप में अपनी जिम्मेदारियां संभालती हैं और अपने अधिकारों के लिए लड़ती है. यह उन महिलाओं के लिए प्रशंसा का दिन है जो अपने व्यक्तिगत और पेशेवर लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हर दिन कड़ी मेहनत करती हैं. ईटीवी भारत के अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस स्पेशल कार्यक्रम नारी... कल आज और कल में हम बात करेंगें उस ऊर्जा और शक्ति की जो शिव में शक्ति के रूप में भी पूजी जाती है और पूरी सृष्टि का आधार मानी जाती है.

नारी... कल आज और कल

इस खास कार्यक्रम में हम आपको महिलाओं से जुड़ी उन बातों के बारे में बताएंगे जो वह अपने काम के दौरान या फिर अपने घरों में फेस करती हैं.

सवाल- महिला दिवस मनाने की जरूरत क्यों पड़ी?

जवाब- इस बारे में निधि ने बताया कि महिला दिवस सिर्फ एक दिन का दिवस नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि हम एक दिन महिला दिवस मनाकर सभी को जागरूक कर लेंगे. जैसे स्वच्छता अभियान के लिए महीनों तक लोगों को जागरुक किया जा रहा है, वैसे ही महिला दिवस को लेकर उनके अधिकारों के बारे में उनकी शिक्षा को लेकर लंबे समय तक जागरूक करना होगा. ग्रामीण हों या शहरी क्षेत्र हमें महिला दिवस मनाने की जरूरत दोनों जगह है.

सवाल- क्या अभी भी महिलाओं को पुरूषों से कम आंका जाता है?

जवाब- इसके जवाब में सत्या आभा ने कहा कि कई क्षेत्रों में महिलाओं को पुरूषों से कम आंका जाता है और कई क्षेत्रों में ऐसा नहीं भी है. पहले से अब काफी बदलाव आया है. अब तो लगभग हर क्षेत्र में महिलाएं पुरूषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. कोरोना के समय में अस्पताल हो या फिर मीडिया क्षेत्र हर जगह महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है.

सवाल- महिलाओं के लिए ज्यादातर एक क्षेत्र बांध दिया जाता है कि उनके लिए टीचिंग का क्षेत्र ज्यादा सही है और वह मीडिया जैसे क्षेत्रों में न जाएं.

जवाब- इसके जवाब में कोमल ने महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हां ऐसा होता है कि उनके लिए एक क्षेत्र बांध दिया गया है. बहुत ही कम ऐसी महिलाएं हैं जो कि लीक से हटकर कुछ कर पाती हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में तो ज्यादातर लड़कियों को 10वीं 12वीं के बाद घर बैठा दिया जाता है और उनकी शादी करवा दी जाती है. ग्रामीण क्षेत्रों से बहुत ही कम लड़कियां ऐसी हैं जो पढ़ने के बाद किसी अच्छी फील्ड में नौकरी कर रही हों. इसके लिए संसाधन और जागरूकता दोनों ही मायने रखते हैं.

सवाल- महिलाओं से हमेशा अपेक्षा की जाती है कि वह अच्छी बेटी बने, अच्छी पत्नी बने और अच्छी बहू बनें. ये अपेक्षाएं पुरूषों से नहीं की जाती?

जवाब- इस संबंध में गरिमा का कहना था कि हां महिला के हर वर्ग से यह अपेक्षा की जाती है कि आप हर पायदान पर अच्छे बने रहो, लेकिन कभी उससे यह नहीं पूछा जाता कि वह क्या चाहती है या उसे क्या करना है. एक महिला की भी पुरूष से अपेक्षा होती है जहां भी जरूरत हो वह वह हर कदम पर उसका साथ दे. जैसे जैसे लोग जागरूक हो रहे हैं वैसे वैसे अब समाज में चीजें बदल रही हैं.

सवाल- मीडिया प्रोफेशन में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

जवाब- इस सवाल के जवाब में अंकिता का कहना था कि मीडिया क्षेत्र हो या कोई अन्य क्षेत्र सबसे पहले तो महिलाओं में असुरक्षा का भाव आता है. लोग क्या कहेंगें इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है. आज की महिलाएं अपना काम अच्छे से कर रही हैं. अंकिता ने बताया कि बदलाव आ रहा है और धीरे-धीरे चीजें बदलेंगी.

सवाल- ग्रामीण क्षेत्र, शहरी क्षेत्र और मेट्रो सिटीज की महिलाओं की महिलाओं को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

जवाब- इस बारे में साक्षी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को शुरू से ही चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. महिलाओं के लिए संघर्ष जन्म के बाद नहीं बल्कि जन्म के पहले से ही है. शहरी और मेट्रो सिटीज में महिलाओं को अपने कार्यस्थल पर काम को लेकर या फिर अपने आउटफिट को लेकर हर समय सोंचना पड़ता है. लोगों की मानसिकता को लेकर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

लखनऊ: यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता...अर्थात जहां नारियों का सम्मान होता है वहां देवता वास करते हैं. हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. एक महिला कई रुप में अपनी जिम्मेदारियां संभालती हैं और अपने अधिकारों के लिए लड़ती है. यह उन महिलाओं के लिए प्रशंसा का दिन है जो अपने व्यक्तिगत और पेशेवर लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हर दिन कड़ी मेहनत करती हैं. ईटीवी भारत के अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस स्पेशल कार्यक्रम नारी... कल आज और कल में हम बात करेंगें उस ऊर्जा और शक्ति की जो शिव में शक्ति के रूप में भी पूजी जाती है और पूरी सृष्टि का आधार मानी जाती है.

नारी... कल आज और कल

इस खास कार्यक्रम में हम आपको महिलाओं से जुड़ी उन बातों के बारे में बताएंगे जो वह अपने काम के दौरान या फिर अपने घरों में फेस करती हैं.

सवाल- महिला दिवस मनाने की जरूरत क्यों पड़ी?

जवाब- इस बारे में निधि ने बताया कि महिला दिवस सिर्फ एक दिन का दिवस नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि हम एक दिन महिला दिवस मनाकर सभी को जागरूक कर लेंगे. जैसे स्वच्छता अभियान के लिए महीनों तक लोगों को जागरुक किया जा रहा है, वैसे ही महिला दिवस को लेकर उनके अधिकारों के बारे में उनकी शिक्षा को लेकर लंबे समय तक जागरूक करना होगा. ग्रामीण हों या शहरी क्षेत्र हमें महिला दिवस मनाने की जरूरत दोनों जगह है.

सवाल- क्या अभी भी महिलाओं को पुरूषों से कम आंका जाता है?

जवाब- इसके जवाब में सत्या आभा ने कहा कि कई क्षेत्रों में महिलाओं को पुरूषों से कम आंका जाता है और कई क्षेत्रों में ऐसा नहीं भी है. पहले से अब काफी बदलाव आया है. अब तो लगभग हर क्षेत्र में महिलाएं पुरूषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. कोरोना के समय में अस्पताल हो या फिर मीडिया क्षेत्र हर जगह महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है.

सवाल- महिलाओं के लिए ज्यादातर एक क्षेत्र बांध दिया जाता है कि उनके लिए टीचिंग का क्षेत्र ज्यादा सही है और वह मीडिया जैसे क्षेत्रों में न जाएं.

जवाब- इसके जवाब में कोमल ने महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हां ऐसा होता है कि उनके लिए एक क्षेत्र बांध दिया गया है. बहुत ही कम ऐसी महिलाएं हैं जो कि लीक से हटकर कुछ कर पाती हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में तो ज्यादातर लड़कियों को 10वीं 12वीं के बाद घर बैठा दिया जाता है और उनकी शादी करवा दी जाती है. ग्रामीण क्षेत्रों से बहुत ही कम लड़कियां ऐसी हैं जो पढ़ने के बाद किसी अच्छी फील्ड में नौकरी कर रही हों. इसके लिए संसाधन और जागरूकता दोनों ही मायने रखते हैं.

सवाल- महिलाओं से हमेशा अपेक्षा की जाती है कि वह अच्छी बेटी बने, अच्छी पत्नी बने और अच्छी बहू बनें. ये अपेक्षाएं पुरूषों से नहीं की जाती?

जवाब- इस संबंध में गरिमा का कहना था कि हां महिला के हर वर्ग से यह अपेक्षा की जाती है कि आप हर पायदान पर अच्छे बने रहो, लेकिन कभी उससे यह नहीं पूछा जाता कि वह क्या चाहती है या उसे क्या करना है. एक महिला की भी पुरूष से अपेक्षा होती है जहां भी जरूरत हो वह वह हर कदम पर उसका साथ दे. जैसे जैसे लोग जागरूक हो रहे हैं वैसे वैसे अब समाज में चीजें बदल रही हैं.

सवाल- मीडिया प्रोफेशन में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

जवाब- इस सवाल के जवाब में अंकिता का कहना था कि मीडिया क्षेत्र हो या कोई अन्य क्षेत्र सबसे पहले तो महिलाओं में असुरक्षा का भाव आता है. लोग क्या कहेंगें इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है. आज की महिलाएं अपना काम अच्छे से कर रही हैं. अंकिता ने बताया कि बदलाव आ रहा है और धीरे-धीरे चीजें बदलेंगी.

सवाल- ग्रामीण क्षेत्र, शहरी क्षेत्र और मेट्रो सिटीज की महिलाओं की महिलाओं को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

जवाब- इस बारे में साक्षी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को शुरू से ही चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. महिलाओं के लिए संघर्ष जन्म के बाद नहीं बल्कि जन्म के पहले से ही है. शहरी और मेट्रो सिटीज में महिलाओं को अपने कार्यस्थल पर काम को लेकर या फिर अपने आउटफिट को लेकर हर समय सोंचना पड़ता है. लोगों की मानसिकता को लेकर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

Last Updated : Mar 8, 2021, 8:16 AM IST
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