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पिता ने किडनी दान देकर 20 साल के बेटे की बचाई जान

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Published : Apr 17, 2023, 9:41 AM IST

राजधानी में एक व्यक्ति ने अपनी किडनी बेटे को देकर नया जीवन दान दिया. बेटा किडनी की बीमारी से पीड़ित था. युवक का इलाज किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में चल रहा था.

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लखनऊ : गुर्दे की बीमारी से जीने की आस छोड़ चुके बेटे को पिता ने गुर्दा दान कर उसे नई जिंदगी दी है. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में डॉक्टरों ने गुर्दा प्रत्यारोपण कर मरीज की जान बचाने में कामयाबी पाई है. डॉक्टरों के मुताबिक प्रत्यारोपण के बाद मरीज की तबीयत स्थिर है.

विज्ञप्ति जारी कर केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि 'लखनऊ निवासी 24 वर्षीय युवक के गुर्दे चार साल से खराब थे. कई अस्पतालों में इलाज कराया. डायलिसिस के बावजूद तबीयत बिगड़ती चली गई. बायोप्सी जांच कर गुर्दे के खराब होने के कारणों का पता लगाया गया. इसके बाद डॉक्टरों ने मरीज को गुर्दा प्रत्यारोपण की सलाह दी. परिजन मरीज को केजीएमयू नेफ्रोलॉजी विभाग की ओपीडी में लाए.

विभाग के अध्यक्ष डॉ. विश्वजीत सिंह ने बताया कि 'पिता ने गुर्दा दान का फैसला किया. आयुष्मान कार्ड होने से खर्च की समस्या सामने नहीं आई. नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. विश्वजीत सिंह, सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार, डॉ. मेधीवी गौतम, डॉ. लक्ष्य और डॉ. दुर्गेश पुष्कर, पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. नारायण प्रसाद के साथ ही कई अन्य डॉक्टरों ने यह प्रत्यारोपण किया.'

200 ब्लड सैम्पल की होगी जांच : नेक्सट जेनरेशन इम्यूनोएसे एनालाइजर के द्वारा कैंसर की सटीक डाइग्नोसिस हो सकेगी. जिससे मरीज के बीमारी के इलाज में आसानी हो सकेगी. इसके अलावा बीमारी के घटने और बढ़ने की जानकारी इस इम्यूनोएसे एनालाइजर से आसानी से मिल सकेगी, वहीं मधुमेह, किडनी की बीमारी समेत 70 बीमारियों की जानकारी इस मशीन के जरिए कर सकेंगे, साथ ही अंग प्रत्यारोपण के लिए किये जाने वाले मार्कर की जांच भी हो सकेगी. इससे पहले विभाग में लगी मशीन पूरी तरह से ऑटोमेटिक नहीं थी, यह मशीन पूरी तरह से ऑटोमेटिक काम करेगी. यह बातें शनिवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान पैथालॉजी विभाग स्थित कैमिकल पैथालॉजी लैब के इंचार्ज प्रो. वाहिद अली ने कहीं.



केजीएमयू प्रशासन की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि 'किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में थायरॉयइड, ब्रेन ट्यूमर, ओवरी ट्यूमर, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, हार्मोन डिसआर्डर समेत करीब 70 बीमारियों की जांच रिपोर्ट अब जल्द मिल सकेगी. इतना ही नहीं जांच के साथ बीमारी का सटीक स्तर भी पता चल सकेगा. इसके लिए केजीएमयू में नेक्सट जेनरेशन इम्यूनोएसे एनालाइज़र की दो यूनिट लगाई गई हैं. इन मशीनों के जरिये एक घंटे के अंदर 200 ब्लड सैम्पल की जांच हो सकेगी. इस तरह से मरीजों को अब इलाज के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. जल्द से जल्द बीमारी डायग्नोज हो सकेगी और समय पर समुचित इलाज हो सकेगा.


सिविल अस्पताल ने मारी बाजी : स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, सरकार के 'नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस' कार्यक्रम के तहत डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जिला चिकित्सालय, लखनऊ ने वर्ष 2022-23 में 87 प्रतिशत अंक प्राप्त कर 'नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस' सर्टिफिकेशन हासिल किया. जिससे स्पष्ट है कि मानकों के अनुरूप उच्च कोटि की गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवायें प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार नई उपलब्धियां प्राप्त करने की ओर अग्रसर है. चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव ने शनिवार को सिविल अस्पताल के निदेशक डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल को इसके लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि भविष्य में प्रदेश की चिकित्सा सेवाओं को और अधिक गुणवत्तापूर्ण बनाकर बेहतर चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए चिकित्साकर्मियों को भी अनुप्रेरित करने में सहायक सिद्ध होगा.

यह भी पढ़ें : लखनऊ में आरोग्य स्वास्थ्य मेला: लोगों ने करायी कोविड जांच, सभी की रिपोर्ट निगेटिव

लखनऊ : गुर्दे की बीमारी से जीने की आस छोड़ चुके बेटे को पिता ने गुर्दा दान कर उसे नई जिंदगी दी है. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में डॉक्टरों ने गुर्दा प्रत्यारोपण कर मरीज की जान बचाने में कामयाबी पाई है. डॉक्टरों के मुताबिक प्रत्यारोपण के बाद मरीज की तबीयत स्थिर है.

विज्ञप्ति जारी कर केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि 'लखनऊ निवासी 24 वर्षीय युवक के गुर्दे चार साल से खराब थे. कई अस्पतालों में इलाज कराया. डायलिसिस के बावजूद तबीयत बिगड़ती चली गई. बायोप्सी जांच कर गुर्दे के खराब होने के कारणों का पता लगाया गया. इसके बाद डॉक्टरों ने मरीज को गुर्दा प्रत्यारोपण की सलाह दी. परिजन मरीज को केजीएमयू नेफ्रोलॉजी विभाग की ओपीडी में लाए.

विभाग के अध्यक्ष डॉ. विश्वजीत सिंह ने बताया कि 'पिता ने गुर्दा दान का फैसला किया. आयुष्मान कार्ड होने से खर्च की समस्या सामने नहीं आई. नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. विश्वजीत सिंह, सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार, डॉ. मेधीवी गौतम, डॉ. लक्ष्य और डॉ. दुर्गेश पुष्कर, पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. नारायण प्रसाद के साथ ही कई अन्य डॉक्टरों ने यह प्रत्यारोपण किया.'

200 ब्लड सैम्पल की होगी जांच : नेक्सट जेनरेशन इम्यूनोएसे एनालाइजर के द्वारा कैंसर की सटीक डाइग्नोसिस हो सकेगी. जिससे मरीज के बीमारी के इलाज में आसानी हो सकेगी. इसके अलावा बीमारी के घटने और बढ़ने की जानकारी इस इम्यूनोएसे एनालाइजर से आसानी से मिल सकेगी, वहीं मधुमेह, किडनी की बीमारी समेत 70 बीमारियों की जानकारी इस मशीन के जरिए कर सकेंगे, साथ ही अंग प्रत्यारोपण के लिए किये जाने वाले मार्कर की जांच भी हो सकेगी. इससे पहले विभाग में लगी मशीन पूरी तरह से ऑटोमेटिक नहीं थी, यह मशीन पूरी तरह से ऑटोमेटिक काम करेगी. यह बातें शनिवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान पैथालॉजी विभाग स्थित कैमिकल पैथालॉजी लैब के इंचार्ज प्रो. वाहिद अली ने कहीं.



केजीएमयू प्रशासन की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि 'किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में थायरॉयइड, ब्रेन ट्यूमर, ओवरी ट्यूमर, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, हार्मोन डिसआर्डर समेत करीब 70 बीमारियों की जांच रिपोर्ट अब जल्द मिल सकेगी. इतना ही नहीं जांच के साथ बीमारी का सटीक स्तर भी पता चल सकेगा. इसके लिए केजीएमयू में नेक्सट जेनरेशन इम्यूनोएसे एनालाइज़र की दो यूनिट लगाई गई हैं. इन मशीनों के जरिये एक घंटे के अंदर 200 ब्लड सैम्पल की जांच हो सकेगी. इस तरह से मरीजों को अब इलाज के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. जल्द से जल्द बीमारी डायग्नोज हो सकेगी और समय पर समुचित इलाज हो सकेगा.


सिविल अस्पताल ने मारी बाजी : स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, सरकार के 'नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस' कार्यक्रम के तहत डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जिला चिकित्सालय, लखनऊ ने वर्ष 2022-23 में 87 प्रतिशत अंक प्राप्त कर 'नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस' सर्टिफिकेशन हासिल किया. जिससे स्पष्ट है कि मानकों के अनुरूप उच्च कोटि की गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवायें प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार नई उपलब्धियां प्राप्त करने की ओर अग्रसर है. चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव ने शनिवार को सिविल अस्पताल के निदेशक डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल को इसके लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि भविष्य में प्रदेश की चिकित्सा सेवाओं को और अधिक गुणवत्तापूर्ण बनाकर बेहतर चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए चिकित्साकर्मियों को भी अनुप्रेरित करने में सहायक सिद्ध होगा.

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