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बहु को कोर्ट में पेश कराने की ससुर की याचिका खारिज

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक कथित ससुर ने अपनी बहु को कोर्ट के समक्ष पेश कराने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की. न्यायालय ने पाया कि जिस लड़की को पेश कराने की मांग याचिका में की गई है. उसके अपहरण के मामले में कथित ससुर स्वयं आरोपी है. न्यायालय ने इस तथ्य को देखते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

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Published : Jun 5, 2021, 10:03 PM IST

हाईकोर्ट.
हाईकोर्ट.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक कथित ससुर ने अपनी बहु को कोर्ट के समक्ष पेश कराने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की. न्यायालय ने पाया कि जिस लड़की को पेश कराने की मांग याचिका में की गई है. उसके अपहरण के मामले में कथित ससुर स्वयं आरोपी है. न्यायालय ने इस तथ्य को देखते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने जंग बहादुर की याचिका पर पारित किया. याचिका में कहा गया था कि याची की बहुत खीरी के डॉ. राजेंद्र प्रसाद सुधार गृह में निरुद्ध है. कहा गया कि उसकी निरुद्धि अवैध है लिहाजा उसे न्यायालय के समक्ष पेश किया जाए. याचिका का विरोध करते हुए सरकारी वकील ने दलील दी कि याची व उसके बेटे के खिलाफ उसी लड़की के अपहरण का एक मुकदमा खीरी जनपद के मोहम्मदी थाने में दर्ज है. उक्त मुकदमे में याची का बेटा जेल में है. उक्त मुकदमा लड़की के पिता ने दर्ज करवाया है. यह भी दलील दी गई कि लड़की नाबालिग है व बाल कल्याण समिति के 12 दिसंबर 2020 के आदेश पर सुधार गृह में रखी गई है.

कहा गया कि यदि याची को 12 दिसंबर 2020 के आदेश को चुनौती देनी है तो वह सत्र न्यायालय में किशोर न्याय अधिनियम के तहत अपील कर सकता है. न्यायालय ने इन परिस्थितियों को देखते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका को खारिज कर दिया है.

इसे भी पढे़ं- उन्नाव रेप केस: रेप पीड़िता के चाचा की पेशी आज

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक कथित ससुर ने अपनी बहु को कोर्ट के समक्ष पेश कराने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की. न्यायालय ने पाया कि जिस लड़की को पेश कराने की मांग याचिका में की गई है. उसके अपहरण के मामले में कथित ससुर स्वयं आरोपी है. न्यायालय ने इस तथ्य को देखते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने जंग बहादुर की याचिका पर पारित किया. याचिका में कहा गया था कि याची की बहुत खीरी के डॉ. राजेंद्र प्रसाद सुधार गृह में निरुद्ध है. कहा गया कि उसकी निरुद्धि अवैध है लिहाजा उसे न्यायालय के समक्ष पेश किया जाए. याचिका का विरोध करते हुए सरकारी वकील ने दलील दी कि याची व उसके बेटे के खिलाफ उसी लड़की के अपहरण का एक मुकदमा खीरी जनपद के मोहम्मदी थाने में दर्ज है. उक्त मुकदमे में याची का बेटा जेल में है. उक्त मुकदमा लड़की के पिता ने दर्ज करवाया है. यह भी दलील दी गई कि लड़की नाबालिग है व बाल कल्याण समिति के 12 दिसंबर 2020 के आदेश पर सुधार गृह में रखी गई है.

कहा गया कि यदि याची को 12 दिसंबर 2020 के आदेश को चुनौती देनी है तो वह सत्र न्यायालय में किशोर न्याय अधिनियम के तहत अपील कर सकता है. न्यायालय ने इन परिस्थितियों को देखते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका को खारिज कर दिया है.

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