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महालक्ष्मी प्याज से बदलेगी किसानों की किस्मत, होगी धन की वर्षा - onion cultivation in lucknow

लखनऊ के जमखनवा गांव में किसानों ने किसानों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राजगुरु महालक्ष्मी वैरायटी की प्याज की खेती का काम शुरू कर दिया गया है. जिससे किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ खेती में उन्हें होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकेगा.

प्याज की खेती करता किसान
प्याज की खेती करता किसान
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Published : Jan 19, 2021, 1:38 PM IST

लखनऊ: जिले के सीतापुर रोड स्थित जमखनवा गांव के किसानों ने प्याज की फसल को बढ़ावा देने के लिए अब राजगुरु महालक्ष्मी वैरायटी की प्याज की खेती करने का काम शुरू किया है. किसानों का दावा है कि इस किस्म की प्याज की खेती उरई और जालौन के क्षेत्र में ज्यादा की जाती है. पहली बार ऐसा हुआ है कि लखनऊ के किसानों ने प्याज की इस वैरायटी की खेती चालू की है जो किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ उनके होने वाले नुकसान को रोकने में भी काफी फायदेमंद है.

नई किस्म की प्याज की खेती का काम शुरू
नई वैराइटी से होगा किसानों को फायदा

जमखनवा गांव के किसान ओमप्रकाश ने प्याज की फसल के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस प्याज को घर में दो से ढाई महीने तक स्टोर किया जा सकता है और इस फसल में बारिश सहने की शक्ति होती है व अधिक रोग नहीं लगते हैं. अन्य प्याज की फसलों की बात की जाए तो वह बारिश में काफी नुकसानदायक होती है और उसमें काफी रोग भी लग जाते हैं और उनको ज्यादा दिन तक घर में स्टोर नहीं किया जा सकता. इसलिए यह प्याज की फसल काफी फायदेमंद होती है. उन्होंने बताया कि 40 दिन इस फसल की नर्सरी को तैयार करने में लगता है और 90 दिन इसमें रोपाई करने का समय लगता है. उन्होंने बताया कि यह पहली ऐसी खेती है जो हमारे यहां की जा रही है इसके अलावा हमने अभी तक राजगुरु वैरायटी प्याज की फसल लखनऊ में नहीं देखी है.

क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक
कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि प्याज को लेकर के आए दिन बाजार में समस्याएं बनी रहती हैं. शहर के आसपास के क्षेत्रों में प्याज की खेती को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. जिससे किसानों की आय दोगुनी हो सके और जो समस्याएं हैं प्याज को लेकर के जिले में उनको दूर किया जा सके. इसके लिए डॉक्टर ने बताया कि इस वर्ष अभियान चलाया गया इसमें कई किसानों ने दूसरे जिलों से प्याज की पौध खरीद कर यहां पर रोपाई कर रहे हैं. उरई जिला प्याज की खेती के लिए बहुत उत्तम माना जाता है वहां से बख्शी का तालाब क्षेत्र के कुछ किसानों ने प्याज के पौध खरीदे हैं और अपने खेतों में रोपाई का कार्य कर रहे हैं. ऐसे तो बहुत से कार्य खेती-किसानी को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे हैं.

डॉक्टर सत्येंद्र सिंह ने बताया कि इस समय इस प्याज की रोपाई का उचित समय है. उन्होंने बताया कि किसान भाई अपने खेतों की अच्छी तरीके से तैयारी करके प्रति एकड़ 10 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद खेत में मिला दें और पौधे की रोपाई करेंगे का कार्य शीघ्र पूरा करें. पौधे से पौधे की दूरी 5 इंच तथा लाइन से लाइन की दूरी 6 इंच रखें. पौध रोपाई के 1 सप्ताह के अंदर हल्की सिंचाई करें और समय पर खेत में निकाई गुड़ाई का कार्य करते रहें. रोपाई के 20 दिन बाद 1 ग्राम नमक को 1 लीटर पानी की दर के घोल बना लें साथ में 10ml गाय के मूत्र को 1 लीटर पानी कि दर से मिलाए और छिड़काव करें. जिससे प्याज का उत्पादन अच्छा होगा. प्याज में प्रमुख रूप से थ्रिप्स ईट कि अधिक समस्या होती है यह छोटे कीट होते हैं जो पत्तियों से रस को चूस लेते हैं और पौधे को कमजोर कर देते हैं. इन कीटों के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड नामक कीटनाशक की 1.5 एम एल मात्रा को 1 लीटर पानी कि दर से घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी.

लखनऊ: जिले के सीतापुर रोड स्थित जमखनवा गांव के किसानों ने प्याज की फसल को बढ़ावा देने के लिए अब राजगुरु महालक्ष्मी वैरायटी की प्याज की खेती करने का काम शुरू किया है. किसानों का दावा है कि इस किस्म की प्याज की खेती उरई और जालौन के क्षेत्र में ज्यादा की जाती है. पहली बार ऐसा हुआ है कि लखनऊ के किसानों ने प्याज की इस वैरायटी की खेती चालू की है जो किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ उनके होने वाले नुकसान को रोकने में भी काफी फायदेमंद है.

नई किस्म की प्याज की खेती का काम शुरू
नई वैराइटी से होगा किसानों को फायदा

जमखनवा गांव के किसान ओमप्रकाश ने प्याज की फसल के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस प्याज को घर में दो से ढाई महीने तक स्टोर किया जा सकता है और इस फसल में बारिश सहने की शक्ति होती है व अधिक रोग नहीं लगते हैं. अन्य प्याज की फसलों की बात की जाए तो वह बारिश में काफी नुकसानदायक होती है और उसमें काफी रोग भी लग जाते हैं और उनको ज्यादा दिन तक घर में स्टोर नहीं किया जा सकता. इसलिए यह प्याज की फसल काफी फायदेमंद होती है. उन्होंने बताया कि 40 दिन इस फसल की नर्सरी को तैयार करने में लगता है और 90 दिन इसमें रोपाई करने का समय लगता है. उन्होंने बताया कि यह पहली ऐसी खेती है जो हमारे यहां की जा रही है इसके अलावा हमने अभी तक राजगुरु वैरायटी प्याज की फसल लखनऊ में नहीं देखी है.

क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक
कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि प्याज को लेकर के आए दिन बाजार में समस्याएं बनी रहती हैं. शहर के आसपास के क्षेत्रों में प्याज की खेती को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. जिससे किसानों की आय दोगुनी हो सके और जो समस्याएं हैं प्याज को लेकर के जिले में उनको दूर किया जा सके. इसके लिए डॉक्टर ने बताया कि इस वर्ष अभियान चलाया गया इसमें कई किसानों ने दूसरे जिलों से प्याज की पौध खरीद कर यहां पर रोपाई कर रहे हैं. उरई जिला प्याज की खेती के लिए बहुत उत्तम माना जाता है वहां से बख्शी का तालाब क्षेत्र के कुछ किसानों ने प्याज के पौध खरीदे हैं और अपने खेतों में रोपाई का कार्य कर रहे हैं. ऐसे तो बहुत से कार्य खेती-किसानी को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे हैं.

डॉक्टर सत्येंद्र सिंह ने बताया कि इस समय इस प्याज की रोपाई का उचित समय है. उन्होंने बताया कि किसान भाई अपने खेतों की अच्छी तरीके से तैयारी करके प्रति एकड़ 10 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद खेत में मिला दें और पौधे की रोपाई करेंगे का कार्य शीघ्र पूरा करें. पौधे से पौधे की दूरी 5 इंच तथा लाइन से लाइन की दूरी 6 इंच रखें. पौध रोपाई के 1 सप्ताह के अंदर हल्की सिंचाई करें और समय पर खेत में निकाई गुड़ाई का कार्य करते रहें. रोपाई के 20 दिन बाद 1 ग्राम नमक को 1 लीटर पानी की दर के घोल बना लें साथ में 10ml गाय के मूत्र को 1 लीटर पानी कि दर से मिलाए और छिड़काव करें. जिससे प्याज का उत्पादन अच्छा होगा. प्याज में प्रमुख रूप से थ्रिप्स ईट कि अधिक समस्या होती है यह छोटे कीट होते हैं जो पत्तियों से रस को चूस लेते हैं और पौधे को कमजोर कर देते हैं. इन कीटों के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड नामक कीटनाशक की 1.5 एम एल मात्रा को 1 लीटर पानी कि दर से घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी.

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