प्रयागराज: लगता है कि इंसानियत मर चुकी है. शायद यही वजह कि प्रयागराज करेली-बी ब्लॉक निवासी विनय पांडेय की कोरोना से मौत होने के बाद उनके दाह संस्कार के लिए उनके घर-परिवार और रिश्तेदार-नातेदार में से कोई सामने नहीं आया.
उधर, 12 साल की बेटी का रो-रोकर बुरा हाल था. वह अपनों से मदद मांग रही थी. लेकिन किसी की मदद न मिलने पर पड़ोस में रहने वाले मुस्लिम समाज के लोगों ने मदद को हाथ बढ़ाया. उनके दाह संस्कार की तैयारी करवाई और दो छोटे बच्चों को लेकर मीरापुर स्थित ककरहा घाट श्मशान घाट पर मुखाग्नि दिलाई. परिवार की स्थिति अत्यंत ही खराब और दुखद है.
मंगलवार शाम को खराब हुई तबीयत
विनय पांडे की सोमवार शाम 4 बजे तबीयत बिगड़ी तो परिजन हॉस्पिटल और एंबुलेंस वालों को फोन कर-करके थक गए. इसी बीच शाम 6 बजे विनय पांडे का देहांत हो गया. इस मौत पर विनय पांडे की पत्नी बदहवास को गई. उधर, बेटी अपने 5 वर्ष के भाई के साथ रातभर पिता की लाश के साथ बैठी रोती रही. विनय पांडे के परिवार में दो भाई एक बहन जो तुलसीपुर रसूलपुर में रहते हैं, को पड़ोस के मुस्लिम समाज के लोगों ने सूचना दी पर वो लोग नहीं आए.
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जब यह बात मुस्लिम समाज के लोगों को मालूम चली तो वह दोनों मासूम बच्चों के लिए जो भूखे प्यासे थे, के लिए नाश्ते का प्रबंध किया. उन्हें तसल्ली दी गई. मंगलवार दोपहर तक परिवार के लोगों का इंतजार किया गया. वह लोग अंतिम संस्कार के लिए नहीं आए. तब मुस्लिम समाज के लोगों ने शाम को उनके घर दोबारा पहुंचकर अपने साथियों मित्रों को फोन कर सबको बुलाया. दाह संस्कार की तैयारी करते हुए उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया.
परिवार ने सबसे मांगा था सहयोग
स्वयं परिवार के अन्य लोगों ने महापौर से लेकर सीएमओ, कोविड जोनल अधिकारी, कोविड-19 टीम और आदि जगहों पर फोन कर सहयोग मांगा था. लेकिन हर जगह से सिर्फ मायूसी ही हाथ लगी. अफसोस तो तब हुआ जब जिलाधिकारी महोदय फोन पर सिर्फ झूठी तसल्ली देते रह गए. कहा कि हमारी टीम आपकी हेल्प के लिए पहुंच रही है. पर कोई नहीं आया.
5 लोगों के साथ किया अंतिम संस्कार
इस दौरान पड़ोस के मुस्लिम समाज के युवा आगे आए. अब्दुल सलाम अपने तमाम साथी मो. नईम, अरशद नवाज और मुन्ना, मोहम्मद असल, शाहिद, सरताज, सुश्मिता यादव एवं 5 परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर मंगलवार शाम को ककरा घाट पर विनय पांडे जी का अंतिम संस्कार किया गया.