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लखनऊ: डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय में पीएचडी में फर्जी दाखिले का मामला आया सामने

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Published : Nov 7, 2020, 10:37 PM IST

डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय में नियुक्त और पदोन्नति को लेकर विवादों में रहने वाले विवि में एक बार फिर पीएचडी में फर्जी दाखिले का मामला प्रकाश में आया है. शोध उपाधि समिति की शनिवार को हुई बैठक में पीएचडी के नौ प्रवेश निरस्त करने की संस्तुति की गई.

डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय में पीएचडी में फर्जी दाखिले का मामला आया सामने
डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय में पीएचडी में फर्जी दाखिले का मामला आया सामने

लखनऊ: डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय में पीएचडी में फर्जी दाखिले का मामला प्रकाश में आया है. शोध उपाधि समिति की शनिवार को हुई बैठक में पीएचडी के 9 प्रवेश निरस्त करने की संस्तुति की गई. समिति के अध्यक्ष और कुलपति प्रोफेसर आर के पी सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में भौतिक विज्ञान ,वाणिज्य ,मैनेजमेंट व आईटी सहित कई विभागों में पीएचडी के हुए दाखिले की जांच की गई. 9 नए मामलों के साथ ही अब तक 267 प्रवेश में 45 प्रवेश मानकों के विपरीत पाए गए हैं.

तीन शोधार्थी जांच के पहले ही शोध छोड़कर अपना नामांकन वापस ले चुके हैं. 12 साल में पहली बार पीएचडी पूरे होने से पहले गड़बड़ी होने से अब पूरे प्रवेश पर ही सवाल उठने लगे हैं. विश्वविद्यालय के कुलसचिव अमित कुमार सिंह ने बताया कि शोध उपाधि समिति की बैठक में दस्तावेजों से दूर नियमों की अनदेखी करके प्रवेश दिया गया.

तत्कालीन कुलपति की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. उनके कार्यकाल में नियुक्ति को लेकर भी काफी बवाल हुआ था और मामला राजभवन तक पहुंचा था. एक बार फिर पीएचडी दाखिले पर उठे सवाल के बाद अब शोधार्थी और शोध जमा कर चुके दोनों की नींद उड़ गई है. एक शोधार्थी का कहना है कि प्रवेश परीक्षा की मेरिट के आधार पर दाखिला नहीं हुआ, तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक मंत्री के मामले में शिथिलता बरते हुए दाखिले लिए थे. जिसमें आम शोधार्थी का क्या लेना देना. पीएचडी पूरी करने के सभी मानक को पूरा किया गया और जब उपाधि की बारी आई तो जांच में गड़बड़ी सामने आ रही है.

लखनऊ: डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय में पीएचडी में फर्जी दाखिले का मामला प्रकाश में आया है. शोध उपाधि समिति की शनिवार को हुई बैठक में पीएचडी के 9 प्रवेश निरस्त करने की संस्तुति की गई. समिति के अध्यक्ष और कुलपति प्रोफेसर आर के पी सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में भौतिक विज्ञान ,वाणिज्य ,मैनेजमेंट व आईटी सहित कई विभागों में पीएचडी के हुए दाखिले की जांच की गई. 9 नए मामलों के साथ ही अब तक 267 प्रवेश में 45 प्रवेश मानकों के विपरीत पाए गए हैं.

तीन शोधार्थी जांच के पहले ही शोध छोड़कर अपना नामांकन वापस ले चुके हैं. 12 साल में पहली बार पीएचडी पूरे होने से पहले गड़बड़ी होने से अब पूरे प्रवेश पर ही सवाल उठने लगे हैं. विश्वविद्यालय के कुलसचिव अमित कुमार सिंह ने बताया कि शोध उपाधि समिति की बैठक में दस्तावेजों से दूर नियमों की अनदेखी करके प्रवेश दिया गया.

तत्कालीन कुलपति की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. उनके कार्यकाल में नियुक्ति को लेकर भी काफी बवाल हुआ था और मामला राजभवन तक पहुंचा था. एक बार फिर पीएचडी दाखिले पर उठे सवाल के बाद अब शोधार्थी और शोध जमा कर चुके दोनों की नींद उड़ गई है. एक शोधार्थी का कहना है कि प्रवेश परीक्षा की मेरिट के आधार पर दाखिला नहीं हुआ, तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक मंत्री के मामले में शिथिलता बरते हुए दाखिले लिए थे. जिसमें आम शोधार्थी का क्या लेना देना. पीएचडी पूरी करने के सभी मानक को पूरा किया गया और जब उपाधि की बारी आई तो जांच में गड़बड़ी सामने आ रही है.

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