लखनऊ: हमारे आसपास कई ऐसे मरीज होते हैं, जिनको किसी न किसी तरह की गंभीर बीमारी होती है. इस गंभीर बीमारी का इलाज ऑर्गन ट्रांसप्लांट कहा जाता है. ईटीवी भारत ने ऑर्गन ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर्स से बात की और ऑर्गन डोनेशन में कौन सी भ्रांतियां सामने आती हैं, उसके बारे में जाना.
ऑर्गन ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर ने दी ये जानकारी
- किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ऑर्गन ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर पीयूष श्रीवास्तव ने ऑर्गन ट्रांसप्लांट के बारे में जानकारी दी.
- आज के युग में कई ऐसी बीमारियां होती हैं, जिनके लिए ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है.
- बीमारियों में लिवर, किडनी, हार्ट, लंग और पेनक्रियाज जैसे हिस्से शामिल होते हैं.
- किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में लिवर और किडनी ट्रांसप्लांट किया जाता है.
- पीयूष श्रीवास्तव ने बताया कई बार एक्सीडेंट केस में ऐसे मरीज शामिल होते हैं.
- मरीजों को सिर में गंभीर चोटें होती हैं और इलाज के दौरान वह ब्रेन डेड हो जाते हैं.
- मरीज की इस अवस्था में मरीजों के परिवारीजनों को काउंसिल करने की जरूरत होती है.
- परिजन मरीज के अंगों को डोनेट कर दें, ताकि कई अन्य लोगों को जीवनदान दिया जा सके.
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ऑर्गन ट्रांसप्लांट को लेकर हैं कई भ्रांतियां
पीयूष श्रीवास्तव के अनुसार, हमारे समाज में कई ऐसी भ्रांतियां सुनने और देखने को मिल जाती हैं. जिसकी वजह से लोग ऑर्गन डोनेशन से पीछे हट जाते हैं. वह कहते हैं कि ऑर्गन डोनेशन की सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि परिवारीजनों को लगता है कि मरीज का ऑर्गन डोनेशन होने के बाद उन्हें अगले जन्म में वह अंग नहीं मिलेगा.
जिसकी वजह से लिविंग ऑर्गन या ब्रेन डेड मरीजों का ऑर्गन डोनेशन नहीं हो पाता है. यदि व्यक्ति ब्रेन डेड हो जाए और उसके बाद उनके ऑर्गन डोनेशन की बात की जाए तो उनके तीमारदार और परिवारीजन शरीर में चीर फाड़ करवाने के डर की वजह से भी ऑर्गन डोनेशन से कतराते हैं.