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अधिशासी अभियंता को HC से मिली राहत, अवमानना याचिका कोर्ट ने की खारिज

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Published : May 27, 2021, 2:16 PM IST

Updated : May 27, 2021, 2:29 PM IST

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रूरल इंजीनियरिंग विभाग के अधिशासी अभियंता वीरपाल राजपूत को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने उनके खिलाफ दायर अवमानना याचिका खारिज कर दिया है.

अधिशासी अभियंता को HC से मिली राहत
अधिशासी अभियंता को HC से मिली राहत

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से रूरल इंजीनियरिंग विभाग के अधिशासी अभियंता वीरपाल राजपूत को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने उसके खिलाफ दायर अवमानना याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि अधिशासी अभियंता के खिलाफ अवमानना का मामला नहीं बनता है.

हाईकोर्ट से मिली राहत

ये आदेश न्यायमूर्ति रविनाथ तिलहरी की एकल सदस्यीय पीठ ने सैयद हुसैन जाफर की अवमानना याचिका पर पारित किया. याची का कहना था कि 11 नवम्बर 2020 को उसकी सेवा सम्बंधी याचिका पर न्यायालय ने अधिषाषी अभियंता जनपद उन्नाव को उसकी सेवा नियमित करने के सम्बंध में विचार करने का आदेश दिया था. न्यायालय ने यह भी निर्देशित किया था कि याची की सेवा नियमित करने के सम्बंध में कोर्ट द्वारा दिये गए ऑब्जर्वेशन के आधार पर निर्णय लिया जाए. याची का आरोप था कि उसकी सेवाओं को काफी समय पहले से ही नियमित माना जाना चाहिए था. ऐसा न करके अधिशासी अभियंता ने 11 नवम्बर 2020 के न्यायालय के आदेश का जानबूझकर उल्लंघन किया है. हालांकि न्यायालय इससे सहमत नहीं हुई. न्यायालय ने कहा कि 11 नवम्बर 2020 के आदेश में ऐसा कहीं नहीं कहा गया है कि याची की सेवा का नियमितीकरण पूर्व से लागू किया जाए. लिहाजा अधिशाषी अभियंता ने न्यायालय के आदेश की कोई अवमानना नहीं की है.

इसे भी पढ़ें- दांव पड़ा उल्टा, पुलिस को फंसाने में खुद फंसा रंजीत

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से रूरल इंजीनियरिंग विभाग के अधिशासी अभियंता वीरपाल राजपूत को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने उसके खिलाफ दायर अवमानना याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि अधिशासी अभियंता के खिलाफ अवमानना का मामला नहीं बनता है.

हाईकोर्ट से मिली राहत

ये आदेश न्यायमूर्ति रविनाथ तिलहरी की एकल सदस्यीय पीठ ने सैयद हुसैन जाफर की अवमानना याचिका पर पारित किया. याची का कहना था कि 11 नवम्बर 2020 को उसकी सेवा सम्बंधी याचिका पर न्यायालय ने अधिषाषी अभियंता जनपद उन्नाव को उसकी सेवा नियमित करने के सम्बंध में विचार करने का आदेश दिया था. न्यायालय ने यह भी निर्देशित किया था कि याची की सेवा नियमित करने के सम्बंध में कोर्ट द्वारा दिये गए ऑब्जर्वेशन के आधार पर निर्णय लिया जाए. याची का आरोप था कि उसकी सेवाओं को काफी समय पहले से ही नियमित माना जाना चाहिए था. ऐसा न करके अधिशासी अभियंता ने 11 नवम्बर 2020 के न्यायालय के आदेश का जानबूझकर उल्लंघन किया है. हालांकि न्यायालय इससे सहमत नहीं हुई. न्यायालय ने कहा कि 11 नवम्बर 2020 के आदेश में ऐसा कहीं नहीं कहा गया है कि याची की सेवा का नियमितीकरण पूर्व से लागू किया जाए. लिहाजा अधिशाषी अभियंता ने न्यायालय के आदेश की कोई अवमानना नहीं की है.

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Last Updated : May 27, 2021, 2:29 PM IST
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