लखनऊः जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा 2014 में 2013 में जब हम लोगों आमरण अनशन कर रहे थे, तभी लोगों ने वादा किया था कि गंगा के लिए काम करेंगे, जो आपकी मांगे हैं वह सब पूरी करेंगे. इस वादे के आधार पर हमारा आंदोलन रुक गया था. आपको जानकर दुख होगा कि जब यह अपना टिकट लेकर चुनाव लड़ने के लिए वाराणसी गए थे, नारा दिया था मैं गंगा का बेटा मां गंगा ने मुझे बुलाया है. प्रधानमंत्री बनने के बाद इन्होंने गंगा के लिए 20 हजार करोड़ रुपये क्यों बांटे?
राजेंद्र सिंह ने कहा कि गंगा को माई कहकर सिर्फ कमाई करने वाले लोगों ने गंगा के नाम पर घाट तो बना दिए, लेकिन कहीं भी गंगा की सेहत ठीक करने के लिए गंगा के पानी में सुधारा का फ्लो ठीक नहीं किया गया. बीमारी के कारण गंगा जी आईसीयू में भर्ती है, उनके इलाज के लिए कोई काम नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि मां गंगा को निर्मल बनाने के नाम पर पैसा खर्च हो रहा है, लेकिन गंगा की सेहत खराब हो रही है. गंगा के जल न तो आचमन के लायक हैं न पीने के. इससे आप अंदाज लगा सकते हैं कि यह गंगा की दिन प्रति दिन हालत क्यों बिगड़ रही है. उन्होंने सरकार पर तंज करते हुए कहा कि कहा कि गंगा जी की बीमारी है हृदय की और इन्होंने वहां दांतों के डॉक्टर बुलाकर लगा दिए.
बातचीत के दौरान राजेंद्र सिंह ने कहा कि इनका गंगा के प्रति सचमुच न कोई सम्मान था. वे गंगा को माई कहकर कमाई करने वाले लोग थे. गंगा की सेहत जिस तरह से खराब हो रही है उसके बारे में कोई बोल नहीं रहा. सेहत खराब होने का कारण गंगा की अविरल धारा निर्मल नहीं है. जब तक आप गंगा की अविरलता को बाधा पहुंचाते रहेंगे, तब तक गंगा साफ नहीं होगी. गंगा जल में जो विशिष्ट गुण थे, जिनको बायोफौज कहते हैं, हिंदी में जिसे गंगा और संस्कृत में ब्रह्मसत्व कहते हैं. यह गुण लगातार नष्ट होता जा रहा है. आप गंगा के नाम पर पैसा कितना भी खर्च कर लें उससे गंगा ठीक नहीं होगी. उन्होंने कहा कि जब तक हम गंगा जी के संरक्षण का काम नहीं करेंगे तब तक गंगा को साफ नहीं किया जा सकता है.