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'एसिड अटैक सर्वाइवर्स नहीं, गुनहगार छुपाएं चेहरा', आलोक दीक्षित से खास बातचीत

लक्ष्मी के जीवन संघर्ष को सबसे करीब से देखने वाले उनके दोस्त आलोक दीक्षित और छपाक फिल्म में किरदार निभाने वाली एसिड अटैक सर्वाइवर रितु से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

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आलोक दीक्षित से खास बातचीत.
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Published : Jan 12, 2020, 11:37 PM IST

नई दिल्ली: फिल्म 'छपाक' में लक्ष्मी के किरदार को दीपिका पादुकोण ने बहुत अच्छे से निभाया और उनके जीवन के संघर्ष को रुपहले पर्दे पर समाज के सामने रखा, लेकिन असल जिंदगी में एसिड अटैक सर्वाइवर्स रोजाना समाज मे फैली कुरूतियों से लड़ती हैं और यहां तक मुंह ढककर गली- मोहल्लों से निकलने को बेबस हैं.

आलोक दीक्षित से खास बातचीत.

ऐसे में लक्ष्मी के जीवन संघर्ष को सबसे करीब से देखने वाले उनके दोस्त आलोक दीक्षित और छपाक फिल्म में किरदार निभाने वाली एसिड अटैक सर्वाइवर रितु से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

'नजरिया बदलना जरूरी'

लक्ष्मी के संघर्षों के दिनों को सबसे करीब से देखने और उनका साथ देने वाले आलोक दीक्षित ने बताया कि उम्मीद है फिल्म समाज में एसिड अटैक सर्वाइवर के प्रति नजरिया बदलेगी. उन्होंने कहा कि ये फिल्म उस आखिरी इंसान तक पहुंचेगी, जहां तक एसिड अटैक कैंपेन नहीं पहुंच सका. उत्तराखंड सरकार ने फिल्म छपाक के बाद एसिड अटैक सर्वाइवर को पेंशन देने की बात कही है, ऐसे में एक उम्मीद जगी है कि बहुत सरकार और समाज मिलकर इनका हाथ थामेगा और एसिड अटैक सर्वाइवर की बेहतरी के लिए काम करेगा.

आलोक दीक्षित से खास बातचीत.

'सर्वाइवर्स के प्रति बदली धारणा'

आलोक ने बताया कि एसिड अटैक सर्वाइवर्स ने बताया कि पहले पार्टी या जन्मदिन के मौके पर घर से बाहर भेज दिया जाता था लेकिन अब लोग पार्टी, शादियों में बुलाते हैं. एसिड अटैक सर्वाइवर्स के साथ सेल्फी लेते हैं. एसिड अटैक कैंपेन के तहत लोगों में जागरुकता आई है.

'सर्वाइवर्स को चेहरा छुपाने की जरूरत नहीं'

फिल्म छपाक में दीपिका पादुकोण के साथ एक्टिंग करने वाली एसिड अटैक सर्वाइवर ऋतु ने बताया कि एसिड अटैक सर्वाइवर्स का दर्द कोई महसूस नहीं कर सकता. उन्होंने दर्द बयां करते हुए कहा कि जब वो घर पर रहती थीं तो लोग उनसे बात नहीं करते थे, दोस्तों ने साथ छोड़ दिया, लेकिन एसिड अटैक कैंपेन से जुड़ने और फिल्म में किरदार करने के बाद हौसला मिला. करीबियों ने समझाया कि एसिड अटैक सर्वाइवर को चेहरा छुपाने की जरूरत नहीं, जिन्होंने गुनाह किया वो चेहरा छुपाएं.

'अब कॉल-मैसेज और मिलने को फोन आते हैं'

ऋतु ने बताया कि पहले और अब में फर्क ये है कि पहले लोग बात नहीं करना चाहते थे लेकिन अब लोग कॉल करते हैं, मैसेज करते हैं. सोशल मीडिया पर बात करते हैं और मिलने को बुलाते हैं. घर से भी फोन आते हैं आने को, ऐसे में समाज में बदलाव आया और उम्मीद है जल्द पूरा समाज एसिड अटैक सर्वाइवर्स को स्वीकार करेगा.

नई दिल्ली: फिल्म 'छपाक' में लक्ष्मी के किरदार को दीपिका पादुकोण ने बहुत अच्छे से निभाया और उनके जीवन के संघर्ष को रुपहले पर्दे पर समाज के सामने रखा, लेकिन असल जिंदगी में एसिड अटैक सर्वाइवर्स रोजाना समाज मे फैली कुरूतियों से लड़ती हैं और यहां तक मुंह ढककर गली- मोहल्लों से निकलने को बेबस हैं.

आलोक दीक्षित से खास बातचीत.

ऐसे में लक्ष्मी के जीवन संघर्ष को सबसे करीब से देखने वाले उनके दोस्त आलोक दीक्षित और छपाक फिल्म में किरदार निभाने वाली एसिड अटैक सर्वाइवर रितु से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

'नजरिया बदलना जरूरी'

लक्ष्मी के संघर्षों के दिनों को सबसे करीब से देखने और उनका साथ देने वाले आलोक दीक्षित ने बताया कि उम्मीद है फिल्म समाज में एसिड अटैक सर्वाइवर के प्रति नजरिया बदलेगी. उन्होंने कहा कि ये फिल्म उस आखिरी इंसान तक पहुंचेगी, जहां तक एसिड अटैक कैंपेन नहीं पहुंच सका. उत्तराखंड सरकार ने फिल्म छपाक के बाद एसिड अटैक सर्वाइवर को पेंशन देने की बात कही है, ऐसे में एक उम्मीद जगी है कि बहुत सरकार और समाज मिलकर इनका हाथ थामेगा और एसिड अटैक सर्वाइवर की बेहतरी के लिए काम करेगा.

आलोक दीक्षित से खास बातचीत.

'सर्वाइवर्स के प्रति बदली धारणा'

आलोक ने बताया कि एसिड अटैक सर्वाइवर्स ने बताया कि पहले पार्टी या जन्मदिन के मौके पर घर से बाहर भेज दिया जाता था लेकिन अब लोग पार्टी, शादियों में बुलाते हैं. एसिड अटैक सर्वाइवर्स के साथ सेल्फी लेते हैं. एसिड अटैक कैंपेन के तहत लोगों में जागरुकता आई है.

'सर्वाइवर्स को चेहरा छुपाने की जरूरत नहीं'

फिल्म छपाक में दीपिका पादुकोण के साथ एक्टिंग करने वाली एसिड अटैक सर्वाइवर ऋतु ने बताया कि एसिड अटैक सर्वाइवर्स का दर्द कोई महसूस नहीं कर सकता. उन्होंने दर्द बयां करते हुए कहा कि जब वो घर पर रहती थीं तो लोग उनसे बात नहीं करते थे, दोस्तों ने साथ छोड़ दिया, लेकिन एसिड अटैक कैंपेन से जुड़ने और फिल्म में किरदार करने के बाद हौसला मिला. करीबियों ने समझाया कि एसिड अटैक सर्वाइवर को चेहरा छुपाने की जरूरत नहीं, जिन्होंने गुनाह किया वो चेहरा छुपाएं.

'अब कॉल-मैसेज और मिलने को फोन आते हैं'

ऋतु ने बताया कि पहले और अब में फर्क ये है कि पहले लोग बात नहीं करना चाहते थे लेकिन अब लोग कॉल करते हैं, मैसेज करते हैं. सोशल मीडिया पर बात करते हैं और मिलने को बुलाते हैं. घर से भी फोन आते हैं आने को, ऐसे में समाज में बदलाव आया और उम्मीद है जल्द पूरा समाज एसिड अटैक सर्वाइवर्स को स्वीकार करेगा.

Intro:फ़िल्म 'छपाक' में लक्ष्मी के किरदार को दीपिका पादुकोण ने बहुत अच्छे से निभाया और उनके जीवन के संघर्ष को रुपहले पर्दे पर समाज के सामने रखा, लेकिन असल जिंदगी में एसिड अटैक सर्वाइवर्स रोजना समाज मे फैली कुरूतियों से लड़ती हैं और यहां तक मुँह ढककर गली- मोहल्लों से निकलने को बेबस है। ऐसे में लक्ष्मी के जीवन संघर्ष को सबसे करीब से देखने वाले उनके दोस्त आलोक दीक्षित और छपाक फ़िल्म में किरदार करने वाली एसिड अटैक सर्वाइवर्स ऋतु ने ईटीवी भारत से खासबात की।


Body:"नज़रिया बदलना जरूरी"
लक्ष्मी के संघर्षों के दिनों में सबसे करीब से देखने और उनका साथ देने वाले आलोक दीक्षित ने बताया कि उम्मीद है फ़िल्म समाज में एसिड अटैक सर्वाइवर्स के प्रति नज़रिया बदलेगी। उन्होंने कहा कि ये फ़िल्म उस आखिरी इंसान तक पहुंचेगी जहां तक एसिड अटैक कैंपेन नहीं पहुंच सका। उत्तराखंड सरकार ने फ़िल्म छपाक के बाद एसिड अटैक सर्वाइवर्स को पेंशन देने की बात कही है ऐसे में एक उम्मीद जगी है कि बहुत सरकार और समाज मिलकर इनका हाथ थामेगा और एसिड अटैक सर्वाइवर्स की बेहतरी के लिए काम करेगा।

"सर्वाइवर्स के प्रति बदली धारण"
सोच का फरक सबसे बदलाव, बदलते समय के साथ समाज ने स्वीकार किया है। आलोक ने बताया कि एसिड अटैक सर्वाइवर्स ने बताया कि पहले पार्टी या जन्मदिन के मौके पर घर से बाहर भेज दिया जाता था लेकिन अब लोग पार्टी, शादियों में बुलाते हैं।एसिड अटैक सर्वाइवर्स के साथ सेल्फी लेते हैं। एसिड अटैक कैम्पेन के तहत लोगों में जागरुकता की।

"सर्वाइवर्स को चेहरा छुपाने की जरूरत नहीं"
फ़िल्म छपाक में दीपिका पादुकोण के साथ एक्टिंग करने वाली एसिड अटैक सर्वाइवर्स ऋतु ने बताया कि एसिड अटैक सर्वाइवर्स का दर्द कोई महसूस नहीं कर सकता। उन्होंने दर्द बयां करते हुए कहा कि जब वो घर पर रहती थीं तो लोग उनसे बात नहीं करते थे, दोस्तों ने साथ छोड़ दिया। लेकिन एसिड अटैक कैंपेन से जुड़ने और फ़िल्म में किरदार करने के बाद हौसला मिला। करीबियों ने समझाया कि एसिड अटैक सर्वाइवर्स को चेहरा छुपाने की जरूरत नहीं, जिन्होंने गुनाह किया वो चेहरा छुपाएं।


Conclusion:"अब कॉल...मैसेज और मिलने को फ़ोन आते"
एसिड अटैक सर्वाइवर्स ने बताया कि पहले और अब में फर्क ये है कि पहले लोग बात नहीं करना चाहते थे लेकिन अब लोग कॉल, मैसेज, सोशल मीडिया पर भी लोग बात करते हैं और मिलने को बुलाते हैं। घर से भी फ़ोन आते हैं आने को, ऐसे में समाज में बदलाव आया और उम्मीद है जल्द पूरा समाज एसिड अटैक सर्वाइवर्स को स्वीकार करेगा।
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