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घास लगाने व उखाड़ने में भी प्रो. पाठक ने किया था खेल, STF को मिलीं अहम जानकारियां

कमीशनखोरी के मामले में एसटीएफ की जांच में कई चौकाने वाले खुलासे हुए है. एसटीएफ को पाठक के बैंक खातों की जांच मे भी पता चला है कि कमीशन के पैसों से पाठक ने आगरा, मथुरा, कानपुर और लखनऊ में करोड़ों की संपत्तियां बनाई हैं.

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Published : Nov 29, 2022, 11:49 AM IST

Updated : Nov 29, 2022, 12:01 PM IST

लखनऊ: कमीशनखोरी के मामले में एसटीएफ की जांच में कई चौकाने वाले खुलासे हुए है. जांच में सामने आया है कि एकेटीयू में प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए रातों रात सभी प्रक्रियाएं पूरी की गईं और अगले ही दिन नियुक्तियां कर दी गईं. इसके लिए कानपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक ने एक्जीक्यूटिव काउंसिल की आड़ में मनमानी की थी. एसटीएफ को पाठक के बैंक खातों की जांच मे भी पता चला है कि कमीशन के पैसों से पाठक ने आगरा, मथुरा, कानपुर और लखनऊ में करोड़ों की संपत्तियां बनाई हैं.

कमीशनखोरी की जांच कर रही यूपी एसटीएफ को जांच के दौरान पता चला है कि एकेटीयू के कुलपति रहते विनय पाठक ने युनिवर्सिटी कैम्पस में घास लगाने के लिए टेंडर निकाला था. जिसे चहेती कंपनी को काम सौंपा गया व घास के नाम पर लाखों का भुगतान किया गया. यही नहीं कुछ ही दिनों में घास को खराब बता कर उसे उखाड़ने के लिए टेंडर निकाला गया और यह काम दूसरी चहेती कंपनी को दिया गया. इसके लिए भी लाखों का भुगतान कर दिया गया. जांच में सामने आया कि असल में न घास लगाई गई और न उखाड़ी गई.


यूपी एसटीएफ विनय पाठक के बैंक खातों व सम्पत्तियों की भी जांच में जुटी हुई है. इस दौरान एजेंसी को प्रो. विनय पाठक की आगरा, मथुरा, कानपुर और लखनऊ में स्थित अचल संपत्तियां होने की जानकारी मिली है, जिसमें कुछ परिजन और रिश्तेदारों के भी खरीदी गई है. एसटीएफ को प्रो. पाठक के शाहगंज कोठी मीना बाजार में रहने वाले रिश्तेदार की भी जानकारी मिली है. विश्वविद्यालय में नियुक्तियां और कई मनमाने कार्य इनके जरिये से भी हुए हैं. एकमुश्त सोने की खरीद का भी पता चला है.


कमीशनखोरी के मामले में विनय पाठक पर दर्ज हुई है FIR : लखनऊ के इंदिरानगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाने वाले डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी डेविड एम. डेनिस ने आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी साल 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती रही है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है. वर्ष 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. इस बीच साल 2020 से 2022 तक कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपया बिल बकाया हो गया था. इसी दौरान जनवरी 2022 में अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज प्रो. विनय पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की थी. इस मामले में एसटीएफ ने अभी तक दो आरोपियों अजय मिश्रा, अजय जैन को गिरफ्तार किया है.

लखनऊ: कमीशनखोरी के मामले में एसटीएफ की जांच में कई चौकाने वाले खुलासे हुए है. जांच में सामने आया है कि एकेटीयू में प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए रातों रात सभी प्रक्रियाएं पूरी की गईं और अगले ही दिन नियुक्तियां कर दी गईं. इसके लिए कानपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक ने एक्जीक्यूटिव काउंसिल की आड़ में मनमानी की थी. एसटीएफ को पाठक के बैंक खातों की जांच मे भी पता चला है कि कमीशन के पैसों से पाठक ने आगरा, मथुरा, कानपुर और लखनऊ में करोड़ों की संपत्तियां बनाई हैं.

कमीशनखोरी की जांच कर रही यूपी एसटीएफ को जांच के दौरान पता चला है कि एकेटीयू के कुलपति रहते विनय पाठक ने युनिवर्सिटी कैम्पस में घास लगाने के लिए टेंडर निकाला था. जिसे चहेती कंपनी को काम सौंपा गया व घास के नाम पर लाखों का भुगतान किया गया. यही नहीं कुछ ही दिनों में घास को खराब बता कर उसे उखाड़ने के लिए टेंडर निकाला गया और यह काम दूसरी चहेती कंपनी को दिया गया. इसके लिए भी लाखों का भुगतान कर दिया गया. जांच में सामने आया कि असल में न घास लगाई गई और न उखाड़ी गई.


यूपी एसटीएफ विनय पाठक के बैंक खातों व सम्पत्तियों की भी जांच में जुटी हुई है. इस दौरान एजेंसी को प्रो. विनय पाठक की आगरा, मथुरा, कानपुर और लखनऊ में स्थित अचल संपत्तियां होने की जानकारी मिली है, जिसमें कुछ परिजन और रिश्तेदारों के भी खरीदी गई है. एसटीएफ को प्रो. पाठक के शाहगंज कोठी मीना बाजार में रहने वाले रिश्तेदार की भी जानकारी मिली है. विश्वविद्यालय में नियुक्तियां और कई मनमाने कार्य इनके जरिये से भी हुए हैं. एकमुश्त सोने की खरीद का भी पता चला है.


कमीशनखोरी के मामले में विनय पाठक पर दर्ज हुई है FIR : लखनऊ के इंदिरानगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाने वाले डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी डेविड एम. डेनिस ने आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी साल 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती रही है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है. वर्ष 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. इस बीच साल 2020 से 2022 तक कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपया बिल बकाया हो गया था. इसी दौरान जनवरी 2022 में अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज प्रो. विनय पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की थी. इस मामले में एसटीएफ ने अभी तक दो आरोपियों अजय मिश्रा, अजय जैन को गिरफ्तार किया है.

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Last Updated : Nov 29, 2022, 12:01 PM IST
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