नई दिल्ली: केंद्रीय बजट 2025-26 में लोकसभा चुनाव कराने और चुनाव आयोग के लिए नई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की खरीद और अन्य खर्चों के लिए कानून मंत्रालय को 1400 करोड़ रुपये से अधिक आवंटन किए गए हैं. मंत्रालय में विधायी विभाग चुनाव आयोग , चुनावों, चुनावी कानूनों और चुनाव पैनल के सदस्यों की नियुक्ति के लिए नोडल एजेंसी है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट पेश किया. इसके अनुसार मंत्रालय को लोकसभा चुनावों के लिए 500 करोड़ रुपये, मतदाताओं के पहचान पत्रों के लिए 300 करोड़ रुपये और अन्य चुनाव खर्चों के लिए 597.80 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के लिए 18 करोड़ रुपये
इसके अलावा चुनाव वॉच डॉग संस्था द्वारा नई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की खरीद के लिए 18.72 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. एक ईवीएम में एक कंट्रोल यूनिट, कम से कम एक बैलेट यूनिट और एक पेपर ट्रेल मशीन होती है. कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने कैरी फॉरवर्ड खर्चों को 'बुक कीपिंग' एक्सरसाइज के रूप में वर्णित किया है, जहां चुनाव कराने में खर्च किए गए धन को पूरा करने के लिए एजेंसियों को धन दिया जाता है.
कौन वहन करता है खर्च?
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनावों के मामले में पूरी राशि केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाती है, जबकि विधानसभा चुनावों के लिए व्यय संबंधित राज्य सरकारों द्वारा वहन किया जाता है. ईवीएम के लिए प्रावधान का उद्देश्य चुनाव आयोग (ईसी) को बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वोटर वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) यूनिट की खरीद और ईवीएम पर सहायक व्यय और अप्रचलित ईवीएम को नष्ट करने के लिए धन उपलब्ध कराना है.
बता दें कि ईवीएम का लाइफ 15 साल होती है, जिसके बाद उन्हें चुनाव आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति की देखरेख में नष्ट कर दिया जाता है. मार्च 2024 में लोकसभा चुनाव सात चरणों में हुए थे, जिसमें लगभग 97 करोड़ लोग मतदान करने के पात्र थे. देश में लोकसभा चुनावों को दुनिया में कर्मियों और एक्विपमेंट का सबसे बड़ा पीस-टाइम मूवमेंट बताया गया है.
यह भी पढ़ें- बजट 2025: क्या टैक्स देनदारी शून्य होने पर भी आपको फाइल करना होगा ITR ? जानें