नई दिल्ली: क्रिप्टोकरेंसी की निगरानी को कड़ा करने के लिए सरकार ने नया कदम उठाया है. इसको लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में प्रस्ताव दिया कि अघोषित आय को परिभाषित करने में 'वर्चुअल डिजिटल असेट' को शामिल किया जाना चाहिए.
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब हाल में कई ऐसी रिपोर्टें आई हैं, जिनमें दावा किया गया था कि लोग अवैध लेनदेन को छिपाने के लिए अनियमित क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर रहे हैं. बजट दस्तावेज में कहा गया है कि ब्लॉक पीरियड की अघोषित आय की परिभाषा में 'वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति' शब्द को जोड़ने का प्रस्ताव है.
ब्लॉक असेसमेंट पूरा करने की समय-सीमा
इसमें कहा गया है, "ब्लॉक असेसमेंट पूरा करने की समय-सीमा उस तिमाही के अंत से बारह महीने करने का प्रस्ताव है, जिसमें सर्च या अधिग्रहण के लिए अंतिम प्राधिकरण एग्जिक्यूट किया गया है." यह कदम भारत द्वारा क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र पर मनी लॉन्ड्रिंग प्रावधान लागू करने के 2 साल बाद उठाया गया है.
वित्त मंत्रालय ने एक नोटिस में कहा कि क्रिप्टो ट्रेडिंग, सेफकीपिंग और संबंधित वित्तीय सेवाओं पर एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग कानून लागू किया गया है. भारत में क्रिप्टो सेक्टर पर कड़े टैक्स नियम भी हैं, जिसमें ट्रेडिंग पर लेवी लगाना भी शामिल है.
वित्त मंत्री ने घोषणा की है कि अब आयकर अधिनियम 1961 की धारा 158ए के अंतर्गत वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) को भी शामिल किया जाएगा. वित्त मंत्री ने बजट 2025 के भाषण के दौरान कहा, "चैप्टर XIV-B के अंतर्गत सर्च और अधिग्रहण मामलों के लिए ब्लॉक मूल्यांकन के प्रावधानों में संशोधन प्रस्तावित हैं."
क्या है क्रिप्टोकरेंसी ?
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है, जिसे क्रिप्टोग्राफी द्वारा चिह्नित किया जाता है. यह एक ऐसा नेटवर् हैक जो कंप्यूटरों की एक बड़ी संख्या में वितरित किया जाता है. क्रिप्टोकरेंसी फेक या दो बार इस्तेमाल करना लगभग असंभव है.
यह एक ऐसा सिस्टम है, जो ऑनलाइन सुरक्षित भुगतान की अनुमति देती है, जिसे वर्चुअल टोकन में दर्शाया जाता है. यह एक डीसेंट्रलाइज नेटवर्क पर काम करता है, जो ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करता है. क्रिप्टोकरेंसी का कोई फिजिकल अस्तित्व नहीं है.
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