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अब बिना वर्दी चेकिंग नहीं करेंगे प्रवर्तन अधिकारी

उत्तर प्रदेश में अब प्रवर्तन अधिकारियों को वर्दी पहनना अनिवार्य कर दिया गया है. खासकर जब वह गाड़ियों की चेकिंग करेंगे तो वर्दी पहनना जरूरी होगा. डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने बताया कि वर्दी पहनने से तमाम दिक्कतें अपने आप दूर हो जाएंगी.

अब बिना वर्दी चेकिंग नहीं करेंगे प्रवर्तन अधिकारी
अब बिना वर्दी चेकिंग नहीं करेंगे प्रवर्तन अधिकारी
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Published : Aug 2, 2021, 6:07 PM IST

लखनऊ: परिवहन विभाग के अधिकारी अब चेकिंग करेंगे तो वर्दी जरूर पहनेंगे. बिना वर्दी चेकिंग की इजाजत अब उन्हें नहीं मिलेगी. परिवहन विभाग के डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (लखनऊ जोन) निर्मल प्रसाद ने सभी प्रवर्तन अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं कि बिना वर्दी पहने चेकिंग करने सड़क पर न उतरें. इसके पीछे उन्होंने वजह बताई है कि वर्दी से अवैध बस संचालित करने वाले लोगों में भी खौफ रहता है और सादे कपड़ों में वे नहीं समझ पाते हैं कि कोई अधिकारी हो सकता है. वर्दी पहनने से तमाम दिक्कतें अपने आप दूर हो जाएंगी.

लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पहले ऐसी घटनाएं सुनने को मिल चुकी हैं कि चेकिंग अभियान के दौरान चेकिंग दस्ते के साथ मारपीट हो गई है. परिवहन विभाग ने चेकिंग अधिकारियों के साथ हो रही मारपीट को गंभीरता से लिया और इसका कारण जानने का प्रयास किया तो सामने आया कि सिविल ड्रेस में कई बार फर्जी एआरटीओ बनकर वाहन मालिकों से अवैध वसूली हो जाती है. बाद में वाहन स्वामियों को पता चलता है कि वह परिवहन विभाग की चेकिंग टीम थी ही नहीं. ऐसे में सिविल ड्रेस देखते ही वाहन स्वामी कई बार चेकिंग दस्तों से भी मारपीट कर बैठते हैं. इसके बाद अब परिवहन विभाग के अधिकारियों ने फैसला लिया कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए चेकिंग के दौरान आरटीओ, आरटीओ और पीटीओ वर्दी जरूर पहनें. वर्दी पहने होंगे तो आराम से वाहन स्वामी वाहनों की चेकिंग करने देंगे, साथ ही मारपीट जैसी घटनाएं नहीं हो पाएंगी.

प्रवर्तन दस्तों को मिली है वर्दी

परिवहन विभाग ने लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के सभी आरटीओ कार्यालय में प्रवर्तन टीम को वर्दी उपलब्ध कराई है. सभी के पास खाकी वर्दी है भी, लेकिन चेकिंग के दौरान अधिकारी वर्दी पहनने को प्राथमिकता नहीं देते हैं. यही वजह है कि कई बार आरटीओ के चेकिंग दस्तों के साथ बदसलूकी हो चुकी है.

विभाग की तरफ से फील्ड टीम को वर्दी तो दी गई है लेकिन यह वर्दी खास मौकों पर ही बाहर निकलती है. 26 जनवरी हो या 15 अगस्त या फिर विभाग का ऐसा कोई बड़ा कार्यक्रम जिसमें चेकिंग दलों को वर्दी पहनना अनिवार्य हो तभी वे वर्दी पहनते हैं. चेकिंग के दौरान वर्दी पहनना उन्हें भार सा लगता है. जब मारपीट की नौबत आती है तो उन्हें भी वर्दी की याद आती है.


जानकारों की मानें तो चेकिंग के दौरान कमाई के चक्कर में भी चेकिंग अधिकारी वर्दी नहीं पहनते हैं, क्योंकि यह वर्दी में होंगे और घूंस लेंगे तो कहीं कोई वीडियो बन गया या फोटो खींची गई तो सब कुछ सामने आ जाएगा. विभाग की छवि धूमिल होगी साथ ही वर्दी पर भी दाग लगेंगे. इसी को ध्यान में रखकर सिविल ड्रेस में ही अधिकारी चेकिंग करने निकल पड़ते हैं.


डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (लखनऊ जोन) निर्मल प्रसाद ने लखनऊ समेत जोन के सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वह चेकिंग के दौरान अब बिना वर्दी में बिल्कुल भी नजर न आएं. वर्दी पहन कर ही वाहनों की चेकिंग करें. परिवहन विभाग की नियमावली में भी साफ तौर पर वर्दी पहनकर ही चेकिंग करने का प्रावधान है. ऐसे में नियमों का पालन करें और वर्दी पहनकर ही वाहनों की चेकिंग करें.

लखनऊ: परिवहन विभाग के अधिकारी अब चेकिंग करेंगे तो वर्दी जरूर पहनेंगे. बिना वर्दी चेकिंग की इजाजत अब उन्हें नहीं मिलेगी. परिवहन विभाग के डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (लखनऊ जोन) निर्मल प्रसाद ने सभी प्रवर्तन अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं कि बिना वर्दी पहने चेकिंग करने सड़क पर न उतरें. इसके पीछे उन्होंने वजह बताई है कि वर्दी से अवैध बस संचालित करने वाले लोगों में भी खौफ रहता है और सादे कपड़ों में वे नहीं समझ पाते हैं कि कोई अधिकारी हो सकता है. वर्दी पहनने से तमाम दिक्कतें अपने आप दूर हो जाएंगी.

लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पहले ऐसी घटनाएं सुनने को मिल चुकी हैं कि चेकिंग अभियान के दौरान चेकिंग दस्ते के साथ मारपीट हो गई है. परिवहन विभाग ने चेकिंग अधिकारियों के साथ हो रही मारपीट को गंभीरता से लिया और इसका कारण जानने का प्रयास किया तो सामने आया कि सिविल ड्रेस में कई बार फर्जी एआरटीओ बनकर वाहन मालिकों से अवैध वसूली हो जाती है. बाद में वाहन स्वामियों को पता चलता है कि वह परिवहन विभाग की चेकिंग टीम थी ही नहीं. ऐसे में सिविल ड्रेस देखते ही वाहन स्वामी कई बार चेकिंग दस्तों से भी मारपीट कर बैठते हैं. इसके बाद अब परिवहन विभाग के अधिकारियों ने फैसला लिया कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए चेकिंग के दौरान आरटीओ, आरटीओ और पीटीओ वर्दी जरूर पहनें. वर्दी पहने होंगे तो आराम से वाहन स्वामी वाहनों की चेकिंग करने देंगे, साथ ही मारपीट जैसी घटनाएं नहीं हो पाएंगी.

प्रवर्तन दस्तों को मिली है वर्दी

परिवहन विभाग ने लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के सभी आरटीओ कार्यालय में प्रवर्तन टीम को वर्दी उपलब्ध कराई है. सभी के पास खाकी वर्दी है भी, लेकिन चेकिंग के दौरान अधिकारी वर्दी पहनने को प्राथमिकता नहीं देते हैं. यही वजह है कि कई बार आरटीओ के चेकिंग दस्तों के साथ बदसलूकी हो चुकी है.

विभाग की तरफ से फील्ड टीम को वर्दी तो दी गई है लेकिन यह वर्दी खास मौकों पर ही बाहर निकलती है. 26 जनवरी हो या 15 अगस्त या फिर विभाग का ऐसा कोई बड़ा कार्यक्रम जिसमें चेकिंग दलों को वर्दी पहनना अनिवार्य हो तभी वे वर्दी पहनते हैं. चेकिंग के दौरान वर्दी पहनना उन्हें भार सा लगता है. जब मारपीट की नौबत आती है तो उन्हें भी वर्दी की याद आती है.


जानकारों की मानें तो चेकिंग के दौरान कमाई के चक्कर में भी चेकिंग अधिकारी वर्दी नहीं पहनते हैं, क्योंकि यह वर्दी में होंगे और घूंस लेंगे तो कहीं कोई वीडियो बन गया या फोटो खींची गई तो सब कुछ सामने आ जाएगा. विभाग की छवि धूमिल होगी साथ ही वर्दी पर भी दाग लगेंगे. इसी को ध्यान में रखकर सिविल ड्रेस में ही अधिकारी चेकिंग करने निकल पड़ते हैं.


डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (लखनऊ जोन) निर्मल प्रसाद ने लखनऊ समेत जोन के सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वह चेकिंग के दौरान अब बिना वर्दी में बिल्कुल भी नजर न आएं. वर्दी पहन कर ही वाहनों की चेकिंग करें. परिवहन विभाग की नियमावली में भी साफ तौर पर वर्दी पहनकर ही चेकिंग करने का प्रावधान है. ऐसे में नियमों का पालन करें और वर्दी पहनकर ही वाहनों की चेकिंग करें.

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