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Energy Ministry ने 6 प्रतिशत विदेशी कोयला खरीदने के राज्य सरकारों को दिए निर्देश, जानिए वजह

ऊर्जा मंत्रालय (Energy Ministry) ने कहा है कि 30 सितंबर तक देश में बड़ा कोयला संकट सामने आने वाला है. कहा है कि एक से तीन लाख टन तक की कमी हो सकती है.

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Published : Jan 17, 2023, 1:52 PM IST

लखनऊ : देश में कहीं भी कोयले का संकट फिलहाल अभी सामने नहीं आया, लेकिन केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने देश के सभी ऊर्जा उत्पादन निगमों व राज्य सरकारों को कोयला को लेकर निर्देश जारी कर दिया. कहा कि 30 सितंबर तक देश में बड़ा कोयला संकट सामने आने वाला है, जिसका प्रभाव यह होगा कि देश में प्रतिदिन एक लाख टन से तीन लाख टन तक की कमी हो सकती है, इसलिए सभी राज्य अपनी कुल आवश्यकता का छह प्रतिशत विदेशी कोयला खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दें. जो राज्य विदेशी कोयला नहीं खरीदेगा उसको आवंटित घरेलू कोयले में कटौती कर दी जाएगी. उपभोक्ता परिषद ने केंद्र सरकार से मांग की है कि "जब देश में कहीं भी कोयले का संकट नहीं है तो ऐसे में विदेशी कोयला खरीदवाने का राग अपने आप में सवाल खड़ा कर रहा है, इसलिए इसकी केंद्र खुद जांच कराए और श्वेतपत्र जारी करे."

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा




राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि "केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष जिस प्रकार से विदेशी कोयला खरीदवाने के लिए उत्तर प्रदेश के ऊर्जा निगम पर दबाव डाला था उसी तर्ज पर इस बार जनवरी के महीने से ही विदेशी कोयला खरीद कराने में दबाव डालने पर जुट गई है. प्रदेश के उपभोक्ताओं को पूरी उम्मीद है जिस प्रकार से प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पूर्व वर्ष में विदेशी कोयला खरीदने से मना कर दिया था इस वर्ष भी उपभोक्ताओं के हित में मुख्यमंत्री वैसा ही निर्णय लेंगे. उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खरीद भी महंगी दरों पर खरीदने का दबाव लगातार ऊर्जा मंत्रालय डाल रहा है. सभी को पता है कि इसमें सबसे ज्यादा देश के निजी घरानों का लाभ होगा. केंद्र सरकार को क्यों नहीं समझ आ रहा है कि 6 हजार रुपए ऐस्टीमेटेड कॉस्ट वाला स्मार्ट प्रीपेड मीटर राज्य कैसे 10 हजार रुपए प्रति मीटर की दर पर खरीद करेंगे. सब मिलाकर इसका खामियाजा प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दरों पर ही पडे़गा. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त होने वाले नोएडा क्षेत्र के लिए भी वितरण लाइसेंस की याचिका विद्युत नियामक आयोग में लगी है और उस पर नियामक आयोग ने विधिक सवाल खड़ा कर दिया. कुल मिलाकर चारों तरफ से ऐसी योजनाएं राज्यों पर थोपी जा रही हैं जिससे प्रदेश के उपभोक्ता तबाह हो जाए."

उपभोक्ता परिषद ने एक बार फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि वह पूरे मामले पर हस्तक्षेप करें अन्यथा ऐसी स्थिति में पावर सेक्टर तबाह हो जाएगा और उपभोक्ता लालटेन युग में जाने के लिए विवश होगा. उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि "केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय जिस प्रकार चाहे वह विदेशी कोयले का मामला हो, चाहे स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खरीद कराने का मामला हो या फिर निजीकरण के लिए नवंबर 2022 में जारी की गई अधिसूचना का मामला हो, सब पर उसकी मंशा साफ नहीं है. इससे सबसे ज्यादा लाभ देश के निजी घरानों का होगा. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को सभी योजनाओं का विरोध करना चाहिए."

यह भी पढ़ें : Alamnagar Satellite Railway Station : आलमनगर सेटेलाइट स्टेशन बनाने का समय पूरा, काम अधूरा

लखनऊ : देश में कहीं भी कोयले का संकट फिलहाल अभी सामने नहीं आया, लेकिन केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने देश के सभी ऊर्जा उत्पादन निगमों व राज्य सरकारों को कोयला को लेकर निर्देश जारी कर दिया. कहा कि 30 सितंबर तक देश में बड़ा कोयला संकट सामने आने वाला है, जिसका प्रभाव यह होगा कि देश में प्रतिदिन एक लाख टन से तीन लाख टन तक की कमी हो सकती है, इसलिए सभी राज्य अपनी कुल आवश्यकता का छह प्रतिशत विदेशी कोयला खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दें. जो राज्य विदेशी कोयला नहीं खरीदेगा उसको आवंटित घरेलू कोयले में कटौती कर दी जाएगी. उपभोक्ता परिषद ने केंद्र सरकार से मांग की है कि "जब देश में कहीं भी कोयले का संकट नहीं है तो ऐसे में विदेशी कोयला खरीदवाने का राग अपने आप में सवाल खड़ा कर रहा है, इसलिए इसकी केंद्र खुद जांच कराए और श्वेतपत्र जारी करे."

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा




राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि "केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष जिस प्रकार से विदेशी कोयला खरीदवाने के लिए उत्तर प्रदेश के ऊर्जा निगम पर दबाव डाला था उसी तर्ज पर इस बार जनवरी के महीने से ही विदेशी कोयला खरीद कराने में दबाव डालने पर जुट गई है. प्रदेश के उपभोक्ताओं को पूरी उम्मीद है जिस प्रकार से प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पूर्व वर्ष में विदेशी कोयला खरीदने से मना कर दिया था इस वर्ष भी उपभोक्ताओं के हित में मुख्यमंत्री वैसा ही निर्णय लेंगे. उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खरीद भी महंगी दरों पर खरीदने का दबाव लगातार ऊर्जा मंत्रालय डाल रहा है. सभी को पता है कि इसमें सबसे ज्यादा देश के निजी घरानों का लाभ होगा. केंद्र सरकार को क्यों नहीं समझ आ रहा है कि 6 हजार रुपए ऐस्टीमेटेड कॉस्ट वाला स्मार्ट प्रीपेड मीटर राज्य कैसे 10 हजार रुपए प्रति मीटर की दर पर खरीद करेंगे. सब मिलाकर इसका खामियाजा प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दरों पर ही पडे़गा. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त होने वाले नोएडा क्षेत्र के लिए भी वितरण लाइसेंस की याचिका विद्युत नियामक आयोग में लगी है और उस पर नियामक आयोग ने विधिक सवाल खड़ा कर दिया. कुल मिलाकर चारों तरफ से ऐसी योजनाएं राज्यों पर थोपी जा रही हैं जिससे प्रदेश के उपभोक्ता तबाह हो जाए."

उपभोक्ता परिषद ने एक बार फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि वह पूरे मामले पर हस्तक्षेप करें अन्यथा ऐसी स्थिति में पावर सेक्टर तबाह हो जाएगा और उपभोक्ता लालटेन युग में जाने के लिए विवश होगा. उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि "केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय जिस प्रकार चाहे वह विदेशी कोयले का मामला हो, चाहे स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खरीद कराने का मामला हो या फिर निजीकरण के लिए नवंबर 2022 में जारी की गई अधिसूचना का मामला हो, सब पर उसकी मंशा साफ नहीं है. इससे सबसे ज्यादा लाभ देश के निजी घरानों का होगा. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को सभी योजनाओं का विरोध करना चाहिए."

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