लखनऊ : उत्तर प्रदेश विद्युत निगम आयोग ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में विद्युत वितरण लाइसेंस के लिए अडानी ग्रुप की याचिका की शिकायत पर सवाल खड़ा कर दिया है. आयोग ने कहा है कि अडानी ग्रुप कि कंपनी द्वारा वितरण लाइसेंस के लिए दाखिल याचिका भारत सरकार के नियमों के अनुरूप नहीं है. विद्युत नियामक आयोग ने अडानी ग्रुप की याचिका की स्वीकारिता पर ही सवाल खड़ा कर दिया और याचिका को भारत सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के विपरीत बताया और उनसे जवाब मांगा है. इस आशय का पत्र नियामक आयोग के सचिव संजय कुमार सिंह ने याचिकाकर्ता अडानी इलेक्ट्रिसिटी जेवर लिमिटेड व अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड को भेज दिया है.
आयोग द्वारा सुनाए गए इस निर्णय के बाद उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य वीके श्रीवास्तव से बात कर उन्हें इस संवैधानिक पारदर्शी निर्णय के लिए प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की तरफ से बधाई दी. अवधेश वर्मा ने कहा विद्युत नियामक आयोग हमेशा से ही कानून की परिधि में निर्णय करता चला आया है. इस निर्णय ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि विद्युत नियामक आयोग की नजर में कानून ही सर्वोपरि है.
अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश के उस क्षेत्र जिसमें सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त होता है और और पूरे नोएडा क्षेत्र की लाइन हानियां भी 9 से 10 प्रतिशत के बीच है, जिस पर हमेशा से ही निजी घरानों की नजर रही है. इसी के चलते देश के बड़े निजी घरानों ने उस क्षेत्र को टेकओवर करने के लिए समानांतर लाइसेंस लेने हेतु याचिका दाखिल किया था. उपभोक्ता परिषद ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि यह निजीकरण का प्रयोग है. इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा किसी भी सूरत में इस क्षेत्र को किसी निजी हाथ में नहीं देने दिया जाएगा.
यह भी पढ़ें : आदिपुरुष फिल्म के विरुद्ध जनहित याचिका, हाईकोर्ट ने सेंसर बोर्ड को जारी किया नोटिस