ETV Bharat / state

Electricity Department UP : खंभों पर स्मार्ट मीटर लगाकर दूरसंचार कंपनियों से वसूली करेगा विभाग

author img

By

Published : Feb 25, 2023, 7:26 PM IST

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (Electricity Department UP) ने दूरसंचार नेटवर्क सुविधा विनियमावली -2022 रूपी नया कानून अधिसूचित कर दिया है. अब बिजली कम्पनियां शहरी या ग्रामीण क्षेत्रों के खंभों, टावरों पर कोई भी प्राइवेट या सरकारी दूरसंचार कंपनियों के ब्रॉडबैंड डिस ऑपरेटर 5जी नेटवर्क या अन्य सिस्टम लगाने पर किराया वसूल कर सकेंगी.

म

लखनऊ : उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है. जहां पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने दूरसंचार नेटवर्क सुविधा विनियमावली -2022 रूपी नया कानून अधिसूचित कर दिया है. नियामक आयोग ने नवंबर 2022 में जारी किए गए कानून को राज्य सरकार को अधिसूचना जारी करने के लिए भेजा गया था, जो अब जारी हो गई. पूरे प्रदेश यह कानून विधिवत लागू हो गया है अब बिजली कम्पनियों को जल्द कार्रवाई शुरू करना होगा. यह वही कानून है जिसके तहत अब प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में चाहे वह शहरी क्षेत्र का मामला हो या ग्रामीण क्षेत्र का मामला हो बिजली खंभों, टावरों पर अब कोई भी प्राइवेट या सरकारी दूरसंचार कंपनी ब्रॉडबैंड डिस ऑपरेटर 5जी नेटवर्क या अन्य कोई भी अपना सिस्टम उस पर किसी भी तार केबल का उपयोग करेगा तो अब उसे उसका शुल्क देना होगा. आयोग ने सुरक्षा मानक को देखते हुए अपने कानून में यह भी व्यवस्था की है कि 33 केवी लाइन टाॅवरों को छोड़कर ही यह कार्य किया जाएगा. प्रदेश की बिजली कंपनियां इस कानून के प्रावधानों के तहत टेंडरिंग प्रोसेस से इस कार्य को आगे बढ़ाएंगे. टेंडर के माध्यम से दूरसंचार कंपनियों को कार्य दिया जाएगा जिससे किसी के साथ कोई भी भेदभाव ना होने पाए.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि इस कानून को पारित होने के बाद प्रदेश की बिजली कंपनियां पारदर्शी तरीके से टेंडर के माध्यम से जो भी दरें तय होगी उसके हिसाब से दूरसंचार कंपनियों से वसूली करेंगे. कानून में यह भी प्रावधान किए गए हैं कि दूरसंचार कंपनियां सुरक्षा के किसी भी मानक से खिलवाड़ नहीं कर सकती. इससे प्राप्त होने वाला राजस्व गैर टैरिफ आय में सम्मिलित किया जाएगा. जिसका 70 प्रतिसत आय प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दर में पास किया जाएगा. यानी वार्षिक राजस्व आवश्यकता का पार्ट होगा. 30 प्रतिशत आय बिजली कंपनियों को दी जाएगी. आयोग की तरफ से बनाए गए इस नए कानून में इस बात की भी पूरी व्यवस्था की गई है कि किसी एक टेलीकॉम कंपनी का वर्चस्व न हो पाए. इसलिए किसी भी विशेष दूरसंचार कंपनी को वितरण कंपनियां अपने खंभों का 50 प्रतिशत से ज्यादा काम नहीं दे सकती. किसी एक कंपनी की मोनोपोली नहीं हो सकती.

प्रदेश की बिजली कंपनियों को कम से कम तीन साल में एक बार किराया शुल्क में संशोधन करना होगा. यह व्यवस्था इसलिए बनाई गई है. जिससे किसी भी स्तर पर गैर टैरिफ आय में कोई भी कटौती न हो. प्रदेश में लागू इस नए कानून से जहां 5 जी तकनीकी को बढ़ावा मिलेगा. वहीं कानून में यह भी व्यवस्था बनाई गई है कि यदि 5जी नेटवर्क में दूरसंचार कंपनियों को कहीं भी बिजली की आवश्यकता होगी तो उस पर स्मार्ट मीटर लगाकर बिजली बिल की वसूली भी की जाएगी. स्मार्ट मीटर सहित सभी खर्चों का वहन दूरसंचार कंपनियों को करना होगा. देश में बनने वाले पहले इस कानून में कोई भी संशोधन का अधिकार केवल विद्युत नियामक आयोग को होगा. समय-समय पर आवश्यकता के अनुसार विद्युत नियामक आयोग अपने कानून में कोई भी बदलाव कर सकता है.

प्रदेश की बिजली कंपनियों को इससे प्राप्त होने वाली सभी आय को वार्षिक राजस्व आवश्यकता में पारदर्शी तरीके से ऑडिटर से ऑडिट कराकर प्रमाण पत्र सहित आयोग के सामने रखना होगा. सभी दूरसंचार कंपनियों को टावर या उपकरण के लिए पोल के इंसुलेटर से सेफ्टी क्लीयरेंस पूरी तरीके से बनाए रखना होगा. किसी भी दूरसंचार कंपनी को बिजली कंपनियों की आवश्यक सेवा की गुणवत्ता के साथ कोई भी खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं होगी. समय-समय पर केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण आयोग के बनाए गए कानूनों का पालन करना दूरसंचार कंपनियों की अनिवार्य रूप से जिम्मेदारी होगी. अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि एक आकलन के अनुसार पूरे उत्तर प्रदेश में लगभग एक करोड़ खंभे स्थापित होंगे. जिसमें से शहरी क्षेत्र के स्थापित खंभे पर दूरसंचार कंपनियों को टेंडर के माध्यम से जब यह कार्य दिया जाएगा तो प्रत्येक वर्ष लगभग 500 करोड़ रुपये तक कि नॉन टैरिफ इनकम प्राप्त होगी. इससे कहीं न कहीं प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी भी आएगी.

यह भी पढ़ें : विधानसभा में सीएम योगी का ऐलान, माफिया अतीक अहमद को मिट्टी में मिला देंगे

लखनऊ : उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है. जहां पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने दूरसंचार नेटवर्क सुविधा विनियमावली -2022 रूपी नया कानून अधिसूचित कर दिया है. नियामक आयोग ने नवंबर 2022 में जारी किए गए कानून को राज्य सरकार को अधिसूचना जारी करने के लिए भेजा गया था, जो अब जारी हो गई. पूरे प्रदेश यह कानून विधिवत लागू हो गया है अब बिजली कम्पनियों को जल्द कार्रवाई शुरू करना होगा. यह वही कानून है जिसके तहत अब प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में चाहे वह शहरी क्षेत्र का मामला हो या ग्रामीण क्षेत्र का मामला हो बिजली खंभों, टावरों पर अब कोई भी प्राइवेट या सरकारी दूरसंचार कंपनी ब्रॉडबैंड डिस ऑपरेटर 5जी नेटवर्क या अन्य कोई भी अपना सिस्टम उस पर किसी भी तार केबल का उपयोग करेगा तो अब उसे उसका शुल्क देना होगा. आयोग ने सुरक्षा मानक को देखते हुए अपने कानून में यह भी व्यवस्था की है कि 33 केवी लाइन टाॅवरों को छोड़कर ही यह कार्य किया जाएगा. प्रदेश की बिजली कंपनियां इस कानून के प्रावधानों के तहत टेंडरिंग प्रोसेस से इस कार्य को आगे बढ़ाएंगे. टेंडर के माध्यम से दूरसंचार कंपनियों को कार्य दिया जाएगा जिससे किसी के साथ कोई भी भेदभाव ना होने पाए.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि इस कानून को पारित होने के बाद प्रदेश की बिजली कंपनियां पारदर्शी तरीके से टेंडर के माध्यम से जो भी दरें तय होगी उसके हिसाब से दूरसंचार कंपनियों से वसूली करेंगे. कानून में यह भी प्रावधान किए गए हैं कि दूरसंचार कंपनियां सुरक्षा के किसी भी मानक से खिलवाड़ नहीं कर सकती. इससे प्राप्त होने वाला राजस्व गैर टैरिफ आय में सम्मिलित किया जाएगा. जिसका 70 प्रतिसत आय प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दर में पास किया जाएगा. यानी वार्षिक राजस्व आवश्यकता का पार्ट होगा. 30 प्रतिशत आय बिजली कंपनियों को दी जाएगी. आयोग की तरफ से बनाए गए इस नए कानून में इस बात की भी पूरी व्यवस्था की गई है कि किसी एक टेलीकॉम कंपनी का वर्चस्व न हो पाए. इसलिए किसी भी विशेष दूरसंचार कंपनी को वितरण कंपनियां अपने खंभों का 50 प्रतिशत से ज्यादा काम नहीं दे सकती. किसी एक कंपनी की मोनोपोली नहीं हो सकती.

प्रदेश की बिजली कंपनियों को कम से कम तीन साल में एक बार किराया शुल्क में संशोधन करना होगा. यह व्यवस्था इसलिए बनाई गई है. जिससे किसी भी स्तर पर गैर टैरिफ आय में कोई भी कटौती न हो. प्रदेश में लागू इस नए कानून से जहां 5 जी तकनीकी को बढ़ावा मिलेगा. वहीं कानून में यह भी व्यवस्था बनाई गई है कि यदि 5जी नेटवर्क में दूरसंचार कंपनियों को कहीं भी बिजली की आवश्यकता होगी तो उस पर स्मार्ट मीटर लगाकर बिजली बिल की वसूली भी की जाएगी. स्मार्ट मीटर सहित सभी खर्चों का वहन दूरसंचार कंपनियों को करना होगा. देश में बनने वाले पहले इस कानून में कोई भी संशोधन का अधिकार केवल विद्युत नियामक आयोग को होगा. समय-समय पर आवश्यकता के अनुसार विद्युत नियामक आयोग अपने कानून में कोई भी बदलाव कर सकता है.

प्रदेश की बिजली कंपनियों को इससे प्राप्त होने वाली सभी आय को वार्षिक राजस्व आवश्यकता में पारदर्शी तरीके से ऑडिटर से ऑडिट कराकर प्रमाण पत्र सहित आयोग के सामने रखना होगा. सभी दूरसंचार कंपनियों को टावर या उपकरण के लिए पोल के इंसुलेटर से सेफ्टी क्लीयरेंस पूरी तरीके से बनाए रखना होगा. किसी भी दूरसंचार कंपनी को बिजली कंपनियों की आवश्यक सेवा की गुणवत्ता के साथ कोई भी खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं होगी. समय-समय पर केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण आयोग के बनाए गए कानूनों का पालन करना दूरसंचार कंपनियों की अनिवार्य रूप से जिम्मेदारी होगी. अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि एक आकलन के अनुसार पूरे उत्तर प्रदेश में लगभग एक करोड़ खंभे स्थापित होंगे. जिसमें से शहरी क्षेत्र के स्थापित खंभे पर दूरसंचार कंपनियों को टेंडर के माध्यम से जब यह कार्य दिया जाएगा तो प्रत्येक वर्ष लगभग 500 करोड़ रुपये तक कि नॉन टैरिफ इनकम प्राप्त होगी. इससे कहीं न कहीं प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी भी आएगी.

यह भी पढ़ें : विधानसभा में सीएम योगी का ऐलान, माफिया अतीक अहमद को मिट्टी में मिला देंगे

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.