लखनऊ : बिजली कंपनियों ने कॉस्ट डाटा बुक के विपरीत 100 करोड़ से ज्यादा की अधिक की वसूली की थी. विद्युत नियामक आयोग (Electricity Regulatory Commission) के पारित आदेश के बाद बिजली कंपनियों ने उसकी वापसी शुरू कर दी है. विद्युत नियामक आयोग की सुनवाई में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की तरफ से उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग के सामने साक्ष्य सहित कुछ प्रपत्र उपलब्ध कराए थे.
विद्युत नियामक आयोग (Electricity Regulatory Commission) चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य वीके श्रीवास्तव की खंडपीठ की तरफ से जारी विद्युत नियामक आयोग के आदेश में उपभोक्ता परिषद के उठाए गए साक्ष्यों के आधार पर डबल जीएसटी वसूली के मुद्दे को विद्युत नियामक आयोग ने अपने आदेश का पार्ट मान लिया है. उसे आयोग ने गंभीरता से लिया है. अपने रिकॉर्ड में दर्ज किया है. आदेश की प्रति को पावर काॅरपोरेशन के चेयरमैन सहित सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को भेजा गया है. छह दिसंबर और पांच जनवरी को अलग-अलग सुनवाई होनी है. बता दें कि काफी लंबे समय से डबल जीएसटी वसूली का मुद्दा उपभोक्ता परिषद उठा रहा था. अब जब विद्युत नियामक आयोग ने अपने आदेश का पार्ट बना लिया है तो आने वाले समय में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं से बिजली अभियंताओं की तरफ से बिजली कंपनियों में जो लगभग 100 करोड़ से ज्यादा की जीएसटी की डबल वसूली की गई है उसे भी विद्युत उपभोक्ताओं को वापस करना पडे़गा.
अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि तीन वर्षों में जबसे कॉस्ट डटा बुक लागू हुई है, तबसे आज तक प्रत्येक वर्ष उपभोक्ता सामग्री पर विद्युत उपभोक्ताओं ने जो पैसा जमा किया है और उस पर डबल जीएसटी की वसूली की गई है. उसका अनुमान लगाया जाए तो प्रत्येक वर्ष लगभग सभी बिजली कंपनियों में एस्टीमेट के जरिए उपभोक्ता सामग्री की जो धनराशि वसूली गई है वह लगभग प्रत्येक वर्ष 400 से 500 करोड़ के बीच में होगी. ऐसे में अगर उस पर जहां जीएसटी लगना है उसको अनुमानित कर निकाला जाएगा तो वह 100 करोड़ से ज्यादा निकल कर सामने आएगा. जिसे बिजली उपभोक्ताओं को भविष्य में बिजली कंपनियों को वापस करना ही होगा.
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