लखनऊ: बिजली कम्पनियों ने विद्युत नियामक आयोग में वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ए.आर.आर) की कमियों का जबाब दाखिल कर दिया है. लेकिन इस जवाब में भी बड़ा खेल कर दिया है. अपने गैप की भरपाई के लिए नियामक आयोग से 4500 करोड़ रुपये की भरपाई कराने की मांग कर डाली. प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के 13,337 करोड़ रुपये का जिक्र तक नहीं किया गया.
बिजली कम्पनियों का मनगढंत आंकड़ा किया खारिज
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बिजली कम्पनियों के मनगढंत आंकड़ों को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 तक उदय योजना व ट्रूअप में उपभोक्ताओं का लगभग 13,337 करोड़ रुपये बिजली कम्पनियों पर निकल रहा है. इसमें आयोग अगर कैरिंग कॉस्ट 13 प्रतिशत जोड़कर उपभोक्ताओं को पास ऑन कर दे तो यही बढ़कर लगभग 14,782 करोड़ हो जाएगा. इससे बिजली की दरें बढ़ने के बजाय 25 प्रतिशत कम हो जाएंगी. इतना ही नहीं अगर बिजली कम्पनियों के 4500 करोड़ के गैप को घटा दिया जाए, फिर भी बिजली दरों में 16 प्रतिशत की कमी होनी चाहिए.
बिजली कम्पनियां कोविड-19 के दौर में भी बढ़ा रहीं दर
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश की बिजली कम्पनियां कोरोना माहमारी की परवाह किए बिना बिजली दर बढ़ोतरी करने की फिराक में हैं. बिजली कम्पनियों ने पहले ही बिजली दर बढ़ाने के नियत से 6 प्रतिशत लाइन हानियां बढ़ाकर आंकड़ेबाजी का खेल करके वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ए.आर.आर) दाखिल कर दिया. जिसमें गैप लगभग 4500 करोड़ दिखाकर बिजली दरों में बढ़ोतरी करने की साजिश कर डाली. अब पावर कार्पोरेशन ने आयोग की तरफ से मांगी गईं कमियों का जबाब दाखिल कर (ए.आर.आर) स्वीकार करवाने की फिराक में है.
कैटेगरी वाइज बिजली दर बढ़ोतरी का प्रस्ताव दाखिल नहीं
वर्मा के मुताबिक बिजली कम्पनियों की तरफ से अभी तक कैटेगरी वाइज बिजली दर बढ़ोतरी का कोई प्रस्ताव नहीं दाखिल किया गया है. पावर कार्पोरेशन ने चुपके से ये प्रस्ताव दिया है, जिसमें पावर कार्पोरेशन ने नियामक आयोग से अपने गैप की भरपाई कराने की मांग की है. कहने का सीधा सा मतलब है कि बिजली कम्पनियों का गैप पूरा करने के लिए आयोग अपनी तरफ से बिजली दर बढ़ाने का निर्णय ले. ए.आर.आर स्वीकार कर बिजली दर बढ़ोतरी की कार्रवाई शुरू कर दे.
बिजली कम्पनियों ने 4500 करोड़ का निकाला गैप
उपरोक्त परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि सबसे बड़ा चैकाने वाला मामला यह है जो बिजली कम्पनियां साल भर सुधार के बड़े-बड़े दावे में जुटी थीं, इस बार वितरण हानियां 17.90 प्रतिशत प्रस्तावित की गई हैं. अब सवाल यह उठता है कि नियामक आयोग ने इससे पहले वितरण हानियां 11.96 अनुमोदित की थीं. बिजली कम्पनियों ने 6 प्रतिशत लाइन हानियां बढ़ाकर 4500 करोड़ का गैप निकाला है, जो यह साबित करता है कि कहीं न कहीं इसमें घालमेल है.