लखनऊ: आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की एमबीबीएस और बीएएमएस परीक्षा में आंसर शीट के हेर फेर मामले के मुख्य आरोपी डेविड मारियो की कंपनी डिजिटेक्स टेक्नोलाजी प्रा.लि. के पूर्व कर्मचारियों के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापेमारी की है. यह छापेमारी लखनऊ और कन्नौज में पूर्व कर्मचारी दीपक और अमरदीप के ठिकानों पर हुई. इस दौरान एजेंसी को कई अहम दस्तावेज मिले है. इसके अलावा कुछ पेन ड्राइव और हार्ड ड्राइव भी एजेंसी ने बरामद किए है.
ईडी ने डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के एमबीबीएस और बीएएमएस परीक्षा में आंसर शीट बदलकर अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़ किए जाने के मामले में डेविड मारियो को बीते 21 जुलाई को गिरफ्तार किया था. डेविड की कंपनी को डिजिटेक्स टेक्नोलाजी को परीक्षा संचालित करने की जिम्मेदारी मिली थी. ईडी ने आंसर शीट को बदलने में डेविड मारियो का साथ देने वाले समाजवादी छात्रसभा के नेता राहुल पाराशर और टेंपो चालक देवेंद्र सिंह को भी गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद ईडी तीनों आरोपियों की रिमांड लेकर पूछताछ कर रही है. इस दौरान तीनों ने कई अहम जानकारी एजेंसी के अधिकारियों को दी है. इसी के बाद ईडी ने इन दो स्थानों पर छापेमारी की थी. कयास लगाए जा रहे है कि तीनों आरोपियों ने ईडी के सामने कई और ऐसे नाम उगले है, जो इस हेरा फेरी में शामिल थे.
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दरअसल, 27 अगस्त 2022 को आगरा विश्वविद्यालय के तत्कालीन वीसी विनय कुमार पाठक के निर्देश पर गणित विभाग के अध्यक्ष संजीव कुमार ने हरिपर्वत थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. इसमें परीक्षा केंद्र सेंट जोंस कॉलेज से परीक्षा कराने वाली एजेंसी के पास कॉपियां ले जाने वाले टेंपो चालक देवेंद्र को आरोपी बनाया गया था. पूछताछ के आधार पर ईडी ने डेविड मारियो को गिरफ्तार किया था.
बता दें, लखनऊ के इंदिरानगर थाने में 26 अक्टूबर को डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी डेविड एम. डेनिस ने वर्तमान में कानपुर यूनिवर्सिटी के वीसी विनय पाठक के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी. उनका आरोप था कि, उनकी कंपनी वर्ष 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती रही है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है. वर्ष 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. इस बीच वर्ष 2020 से 2022 तक कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपये बिल बकाया हो गया था. इसी दौरान जनवरी 2022 में आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज प्रो. विनय पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की थी.
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