लखनऊ: कोरोना के खिलाफ लड़ाई में ई-संजीवनी मजबूत हथियार बन गई है. ई-संजीवनी के माध्यम से मरीज घर बैठे केजीएमयू के विशेषज्ञ डॉक्टरों से सलाह ले सकते हैं. अब तक डेढ़ लाख मरीज डॉक्टरों से सलाह हासिल कर चुके हैं.
सरकारी-प्राइवेट अस्पतालों में बंद है ओपीडी
कोरोना का यह संकटकाल नॉन कोविड मरीजों के लिए भी कम मुसीबत भरा नहीं है. कोरोना की वजह से अस्पतालों की ओपीडी में ताला पड़ गया है. प्राइवेट अस्पतालों ने भी मरीज देखना बंद कर दिया है. मरीज परेशान हैं.
मरीजों को मिली राहत
केजीएमयू ने केंद्र की ई-संजीवनी योजना को बेहतर तरीके से लागू किया. टेलीमेडिसिन के माध्यम से इलाज मुहैया कराया जा रहा है. 23 से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टर मरीजों को सलाह दे रहे हैं. अप्रैल में 12 हजार से अधिक मरीजों को सलाह दी जा चुकी है. सोमवार से शनिवार तक सुबह नौ से दोपहर दो बजे तक डॉक्टर सलाह दे रहे हैं. केजीएमयू के मेडिसिन, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, स्त्री एवं प्रसूति रोग, हृदय रोग, सर्जरी, मनोचिकित्सा, त्वचा रोग, हड्डी एवं जोड़ रोग, नेत्र रोग, कान नाक एवं गला रोग और दंत रोग सहित अन्य विशेषज्ञों मरीजों को फोन पर सलाह दे रहे हैं. वीडियो कॉल के माध्यम से डॉक्टर मरीजों से रूबरू हो रहे हैं.
सभी मरीजों को मिल रहा लाभ
केजीएमयू की नोडल इंजार्च टेली मेडिसिन हब डॉ. शीतल वर्मा बताती हैं कि पिछले साल से अब तक ई-संजीवनी ओपीडी के माध्यम से करीब डेढ़ लाख मरीजों को सलाह मुहैया कराई जा चुकी है. केजीएमयू की स्पेशियलिटी ओपीडी को ई-संजीवनी पर शिफ्ट कर दिया गया है. डॉ. शीतल बताती है कि प्रत्येक मरीज को व्यक्तिगत रूप से इलाज मिल रहा है. कैंसर और स्त्री रोग से संबंधित मरीज भी ई संजीवनी के माध्यम से लाभ उठा रहे हैं.
मेडिसिन के हैं सबसे ज्यादा मरीज
डॉ. शीतल वर्मा के मुताबिक सबसे ज्यादा मेडिसिन विभाग में सर्दी-जुकाम, बुखार, शरीर में दर्द, डेंगू, मलेरिया, टॉयफाइड आदि के मरीज देखे गए हैं. पेट संबंधी बीमारियों के भी काफी मरीज इलाज हासिल कर रहे हैं. मानसिक रोगियों का भी काफी दबाव है.