लखनऊ : जिलों में हुई ओलों की बरसात ने अन्नदाता की मेहनत पर पूरी तरह से पानी फेर दिया है. खेतों में लहलहा रही फसलों को बेमौसम हुई तेज बरसात और ओलावृष्टि ने बरबाद कर दिया है. ये बरसात नहीं बल्कि अन्नदाता की किस्मत पर ओलों की बरसात है. खेतों में हो या आम की बाग या फिर सब्जी के खेत हर तरफ अतिवृष्टि का कहर दिख रहा है. प्रशासन ने फसलों का आकलन कराकर किसानों मुवावजा दिलाने की बात कही है.
मूसलाधार बारिश ने अन्नदाता की मेहनत की बरबाद
उत्तर प्रदेश के कई जिलों की तरह राजधानी लखनऊ में शुक्रवार की सुबह किसानों की किस्मत पर पानी फेरने वाला दिन रहा. करीब पौने चार बजे के आसपास राजधानी लखनऊ के बख्शी का तालाब इलाके में तेज हवाओं के झोंकों के बीच मूसलाधार बारिश होनी शुरू हो गई. बिजली कड़कने के साथ ही इलाके में पहले बड़े-बड़े कुछ देर में छोटे ओलों की बौछार होने लगी. इस अतिवृष्टि से सभी फसलों का नुकसान हुआ है. आम के पेंड़ बौर से लदे थे जो ओलावृष्टि से पत्ते समेत जमीन पर बिछ गये. खेतों में गेहूं की फसल बिछ गई तो दोपहर में फिर से तेज बारिश और ओलावृष्टि से रही सही कसर उसे भी पूरी कर दी. खेतों में एक माह की खीरा और खरबूजे की पौध पानी भर जाने से जलमग्न हो गई.
क्षेत्र में लेखपाल कानूनगो नायब तहसीलदार और वह स्वयं फसलों का नुकसान देख रहे हैं. नुकसान के आकलन रिपोर्ट तैयार हो जाने पर शासनादेश के निहित प्रावधानों के तहत जो भी आर्थिक सहायता बनेगी वो किसानों को दी दिलाई जायेगी.
-संतोष कुमार ,एसडीएम
अम्बेडकरनगर में ऐसी ओलावृष्टि देख रह जाएंगे दंग
जिले में शुक्रवार दोपहर बाद से जमकर ओलावृष्टि हुई है. तकरीबन 10 मिनट तक हुई झम झमाती ओलावृष्टि से सड़के ढक गयी, जिस तरीके से ओलावृष्टि हुई उसे देख लोग हैरान हैं. इस बर्फ बारी का असर किसानों पर सबसे ज्यादा हुआ है.
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बर्फ की चादर मे ढक गई सड़कें
जिले में 12 घंटो के अंदर दूसरी बार बर्फबारी हुई है. गुरुवार रात से तकरीबन 3.30 मिनट पर जिले के अलग-अलग हिस्सों में ओलावृष्टि हुई और शुक्रवार को तकरीबन 3 बजे के बाद फिर से जिला मुख्यालय सहित अलग हिस्सों में ओलावृष्टि हुई. तकरीबन दस मिनट तक हुई ओलावृष्टि से नगर की सड़कें बर्फ से चादर की तरह ढक गयी और लोग अपने घरों से बाहर निकल कर ओलावृष्टि देखने लगे.
इस ओलावृष्टि से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हुआ है. सरसो, मटर, मसूर, आलू, गेंहू, चना और अरहर जैसी फसलों को काफी नुकसान हुआ है. प्रकृति के इस प्रकोप से किसान परेशान हैं.