लखनऊ: प्रदेश सरकार निरंतर प्रयासरत है कि प्रदेश के किसानों को किसी भी प्रकार की समस्याओं का सामना न करना पड़े, लेकिन दुर्भाग्यवश किसानों की समस्याएं कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. राजधानी के ग्रामीण इलाके मलिहाबाद में रबी की फसल की बुआई के लिए मुफीद समय होने पर नहरों में पानी नहीं है, जिससे किसान पैसा खर्च कर पानी खरीदने को मजबूर है. कोविड काल के दौरान धान की फसल भी कुछ अच्छी नहीं हुई और अब संसाधनों की कमी के कारण आगामी रबी की फसल पर भी संकट मंडराने लगा है.
महीनों से सूखी पड़ी है नहरे
नहरों में पानी न उपलब्ध होने से किसानों की रबी फसल की बुआई दिन पर दिन लेट हो रही है, जिससे किसानों की समस्याएं गहराती जा रही है. जबकि रबी की बुआई नवंबर माह के प्रथम सप्ताह में सर्वोत्तम रहती है.
अधिकांश गांवों की खेती नहरों पर निर्भर
क्षेत्र के अधिकतर गांवों की खेती नहरों पर निर्भर है. महीने भर से ज्यादा समय बीत गया फिर भी नहरे सूखी पड़ी है. वहीं अभी भी नहरों में पानी आने की उम्मीद भी नहीं दिख रही है. इस कारण किसानों की परेशानी गंभीर होती दिख रही है.
लेट हो रही रबी की बुआई
किसानों ने बताया कि यह समय रबी की फसल के लिए काफी अनुकूल है. अब दिन पर दिन इस फसल की बुआई लेट हो रही है. वहीं नहरों में पानी न होने के कारण किसान मोटी रकम खर्च कर निजी नलकूपों पर निर्भर हो गए हैं, जिससे किसानों का बजट बिगड़ रहा हैं. किसानों ने बताया कि इस समय खेतों में पानी की अति अवश्यकता है. खेतों में धान की फसल कटने के बाद रबी की बुआई की व्यवस्था में किसान लगे हुए हैं.
एसडीओ राहुल वर्मा ने बताया कि सितंबर माह से दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह तक नहरों की साफ सफाई का रोस्टर चलाया जाता है. दिसंबर के प्रथम सप्ताह के बाद नहरों में पानी आ जायेगा.