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अनाथ हुए बच्चों की जानकारी न हो सार्वजनिक: डॉ. विशेष गुप्ता - orphaned children

उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता ने शुक्रवार को वर्चुअल माध्यम से नए जिला प्रोबेशन अधिकारियों के साथ संवाद किया. इस दौरान डॉ. विशेष गुप्ता ने बच्चों से संबंधित मामलों को बाल आयोग कैसे संज्ञान लेता है, इस पर प्रकाश डाला.

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Published : Jun 6, 2021, 7:16 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता ने शुक्रवार को वर्चुअल माध्यम से नए जिला प्रोबेशन अधिकारियों के साथ संवाद किया. उन्होंने नवनियुक्त जिला प्रोबेशन अधिकारियों को बाल आयोग किस तरह कार्य करता है, उसके बारें में विस्तार से बताया. नए जिला प्रोबेशन अधिकारियों के साथ आयोग की कार्य प्रणाली और बच्चों को सुरक्षा व संरक्षण प्रदान करने के लिए अधिकारियों की भूमिका के बारे में भी बताया.

जिलाधिकारियों को भेजा पत्र
आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता ने कोविड-19 की महामारी से प्रभावित या अनाथ हुए बच्चों की सुरक्षा एवं संरक्षण के संबंध में जिलाधिकारियों को पत्र भेजा है. उन्होंने पत्र में जिलाधिकारियों से कहा है कि वे जनपद में गठित जिला टास्क फोर्स, जिला प्रोबेशन अधिकारी, जिला बाल संरक्षण अधिकारी, एसजेपीयू, बाल कल्याण समिति, ग्राम बाल संरक्षण समिति, निगरानी समिति के द्वारा अनाथ व एकल बच्चों की सूचना जो इलेक्ट्रानिक मीडिया व प्रेस मीडिया व अन्य समूहों द्वारा सार्वजनिक या अपने तरीके से सार्वजनिक की गई है, को एकत्र कराएं. उसके बाद ऐसे परिवारों की स्थलीय जांच कर उनकी काउंसलिंग व सामाजिक रिपोर्ट एकत्र कराते हुए आयोग को एक सप्ताह में उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें. इसके साथ ही जिला प्रोबेशन अधिकारी, पुलिस विभाग, बाल कल्याण समिति को अपने स्तर से इलेक्ट्रानिक मीडिया/प्रेस मीडिया के साथ एक उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित करने हेतु निर्देशित करें, जिससे अनाथ हुए बच्चों की पहचान को सार्वजनिक करने व जेजे एक्ट के उल्लंघन को रोका जा सके.

जेजे एक्ट का उल्लंघन
आयोग के संज्ञान में आया है कि 'बाल स्वराज' पोर्टल पर डाटा अपलोड होने के बाद इलेक्ट्रानिक मीडिया, प्रेस मीडिया व अन्य समूहों के द्वारा कोविड-19 की महामारी से प्रभावित व अनाथ हुए बच्चों की पहचान एकत्र कर अपने-अपने पोर्टल पर अपलोड व वाट्सएप ग्रुप में सार्वजनिक किया जा रहा है. इस तरह अनाथ हुए बच्चों की पहचान सार्वजनिक होने से अनाथ बच्चों को उपेक्षित करने के साथ-साथ जेजे एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है. असामाजिक लोगों, बाल तस्करी करने वाले समूहों, भिक्षावृत्ति समूहों व अपराधी प्रवृत्ति के लोगों द्वारा कभी भी ऐसे बच्चों का उपयोग समाज में गलत तरीके से किया जा सकता है.

इसे भी पढ़ें:- आज का राशिफल: जानिए कैसा रहेगा आपका दिन

अन्य विभागों के कानून की होनी चाहिए जानकारी
डॉ. विशेष गुप्ता ने बच्चों से संबंधित मामलों को बाल आयोग कैसे संज्ञान लेता है, इस पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि बाल आयोग को सीधे भी प्रकरण रिपोर्ट किए जाते हैं. जिस पर बाल आयोग संबंधित जिला प्रोबेशन अधिकारी के माध्यम से प्रकरण का समाधान करता है. उन्होंने जिला प्रोबेशन अधिकारियों से कहा कि आयोग के कानूनों के साथ-साथ अन्य विभागों के कानून की जानकारी रखना चाहिए.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता ने शुक्रवार को वर्चुअल माध्यम से नए जिला प्रोबेशन अधिकारियों के साथ संवाद किया. उन्होंने नवनियुक्त जिला प्रोबेशन अधिकारियों को बाल आयोग किस तरह कार्य करता है, उसके बारें में विस्तार से बताया. नए जिला प्रोबेशन अधिकारियों के साथ आयोग की कार्य प्रणाली और बच्चों को सुरक्षा व संरक्षण प्रदान करने के लिए अधिकारियों की भूमिका के बारे में भी बताया.

जिलाधिकारियों को भेजा पत्र
आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता ने कोविड-19 की महामारी से प्रभावित या अनाथ हुए बच्चों की सुरक्षा एवं संरक्षण के संबंध में जिलाधिकारियों को पत्र भेजा है. उन्होंने पत्र में जिलाधिकारियों से कहा है कि वे जनपद में गठित जिला टास्क फोर्स, जिला प्रोबेशन अधिकारी, जिला बाल संरक्षण अधिकारी, एसजेपीयू, बाल कल्याण समिति, ग्राम बाल संरक्षण समिति, निगरानी समिति के द्वारा अनाथ व एकल बच्चों की सूचना जो इलेक्ट्रानिक मीडिया व प्रेस मीडिया व अन्य समूहों द्वारा सार्वजनिक या अपने तरीके से सार्वजनिक की गई है, को एकत्र कराएं. उसके बाद ऐसे परिवारों की स्थलीय जांच कर उनकी काउंसलिंग व सामाजिक रिपोर्ट एकत्र कराते हुए आयोग को एक सप्ताह में उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें. इसके साथ ही जिला प्रोबेशन अधिकारी, पुलिस विभाग, बाल कल्याण समिति को अपने स्तर से इलेक्ट्रानिक मीडिया/प्रेस मीडिया के साथ एक उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित करने हेतु निर्देशित करें, जिससे अनाथ हुए बच्चों की पहचान को सार्वजनिक करने व जेजे एक्ट के उल्लंघन को रोका जा सके.

जेजे एक्ट का उल्लंघन
आयोग के संज्ञान में आया है कि 'बाल स्वराज' पोर्टल पर डाटा अपलोड होने के बाद इलेक्ट्रानिक मीडिया, प्रेस मीडिया व अन्य समूहों के द्वारा कोविड-19 की महामारी से प्रभावित व अनाथ हुए बच्चों की पहचान एकत्र कर अपने-अपने पोर्टल पर अपलोड व वाट्सएप ग्रुप में सार्वजनिक किया जा रहा है. इस तरह अनाथ हुए बच्चों की पहचान सार्वजनिक होने से अनाथ बच्चों को उपेक्षित करने के साथ-साथ जेजे एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है. असामाजिक लोगों, बाल तस्करी करने वाले समूहों, भिक्षावृत्ति समूहों व अपराधी प्रवृत्ति के लोगों द्वारा कभी भी ऐसे बच्चों का उपयोग समाज में गलत तरीके से किया जा सकता है.

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अन्य विभागों के कानून की होनी चाहिए जानकारी
डॉ. विशेष गुप्ता ने बच्चों से संबंधित मामलों को बाल आयोग कैसे संज्ञान लेता है, इस पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि बाल आयोग को सीधे भी प्रकरण रिपोर्ट किए जाते हैं. जिस पर बाल आयोग संबंधित जिला प्रोबेशन अधिकारी के माध्यम से प्रकरण का समाधान करता है. उन्होंने जिला प्रोबेशन अधिकारियों से कहा कि आयोग के कानूनों के साथ-साथ अन्य विभागों के कानून की जानकारी रखना चाहिए.

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