ETV Bharat / state

कोर्ट का आदेश दरकिनार कर नियुक्ति करेगा डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान! - डॉक्टर ईश्वर रामदयाल प्रकरण

कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए एक बार फिर से डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान प्रतिनियुक्ति के आधार पर नियुक्ति करने जा रहा है. प्रोफेसर पद की यह नियुक्ति नेफ्रोलॉजी और ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में प्रतिनियुक्ति के आधार पर होने जा रही है. संस्थान ने इसके लिए विज्ञापन भी प्रकाशित करवा दिया है.

a
a
author img

By

Published : Nov 5, 2022, 9:38 AM IST

लखनऊ : कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए एक बार फिर से डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान प्रतिनियुक्ति के आधार पर नियुक्ति करने जा रहा है. प्रोफेसर पद की यह नियुक्ति नेफ्रोलॉजी और ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में प्रतिनियुक्ति के आधार पर होने जा रही है. संस्थान ने इसके लिए विज्ञापन भी प्रकाशित करवा दिया है. इस नियुक्ति को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अमित मिश्रा ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर हस्तक्षेप की मांग की है.

सामाजिक कार्यकर्ता अमित मिश्रा (Social Worker Amit Mishra) के पत्र में नियमित नियुक्ति के पद को भरने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ विभिन्न प्रदेशों के हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला दिया है. कहा गया है कि नियमित नियुक्ति के पदों को केवल नियमित नियुक्ति के द्वारा ही भरा जाए. विशेष परिस्थितियों में संविदा पर नियुक्ति (contract appointment) की जा सकती है, लेकिन साथ-साथ नियमित नियुक्ति की प्रक्रिया भी चालू रखनी होगी. लोहिया संस्थान ने 11 अक्टूबर 2022 को नेफ्रोलॉजी और ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए प्रतिनियुक्ति के आधार पर आवेदन मांगे गए हैं. संस्थान का यह कदम न्यायालय के आदेश की अवहेलना के साथ-साथ संस्थान में कार्यरत तमाम योग्य कैंडिडेट को नियुक्ति की रेस से बाहर करने का षड्यंत्र भी है.

संस्थान द्वारा नियमित पद को प्रतिनियुक्ति से भरने के कारण संस्थान के योग्य कैंडिडेट आवेदन करने योग्य नहीं रहेंगे. पत्र में लखनऊ हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा जनवरी 2022 में डॉक्टर ईश्वर रामदयाल प्रकरण (Dr Ishwar Ramdayal episode) में दिए गए आदेश का भी जिक्र किया गया है. जिसमें यूरोलॉजी विभाग में चिकित्सा शिक्षकों के पद को प्रतिनियुक्ति से भरे जाने को गलत ठहराया गया है. कोर्ट ने संस्थान के अन्य योग्य शिक्षकों के हितों का ख्याल रखते हुए चिकित्सा शिक्षक के पद पर मात्र संविदा द्वारा भर्ती किए जाने की बात कही है. अमित मिश्रा के अनुसार मेडिसिन, हड्डी, स्त्री एवं प्रसूति, नाक कान एवं गला, नेत्र रोग, समेत तमाम विभागों में प्रोफेसर के पद पर नियमित या संविदा पर नियुक्ति नहीं की गई है, न ही इस दिशा में कोई भी प्रक्रिया विचाराधीन है. संस्थान में जिन विषयों में नेशनल मेडिकल कांउसिल (एनएमसी) के द्वारा बार-बार प्रोफेसरों की कमी दिखाई जाती है. उन विभागों में भर्ती को लेकर संस्थान कतई गंभीर नहीं है.

यह भी पढ़ें : अक्टूबर में 13911 करोड़ का राजस्व मिला, उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने दी जानकारी

लखनऊ : कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए एक बार फिर से डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान प्रतिनियुक्ति के आधार पर नियुक्ति करने जा रहा है. प्रोफेसर पद की यह नियुक्ति नेफ्रोलॉजी और ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में प्रतिनियुक्ति के आधार पर होने जा रही है. संस्थान ने इसके लिए विज्ञापन भी प्रकाशित करवा दिया है. इस नियुक्ति को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अमित मिश्रा ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर हस्तक्षेप की मांग की है.

सामाजिक कार्यकर्ता अमित मिश्रा (Social Worker Amit Mishra) के पत्र में नियमित नियुक्ति के पद को भरने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ विभिन्न प्रदेशों के हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला दिया है. कहा गया है कि नियमित नियुक्ति के पदों को केवल नियमित नियुक्ति के द्वारा ही भरा जाए. विशेष परिस्थितियों में संविदा पर नियुक्ति (contract appointment) की जा सकती है, लेकिन साथ-साथ नियमित नियुक्ति की प्रक्रिया भी चालू रखनी होगी. लोहिया संस्थान ने 11 अक्टूबर 2022 को नेफ्रोलॉजी और ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए प्रतिनियुक्ति के आधार पर आवेदन मांगे गए हैं. संस्थान का यह कदम न्यायालय के आदेश की अवहेलना के साथ-साथ संस्थान में कार्यरत तमाम योग्य कैंडिडेट को नियुक्ति की रेस से बाहर करने का षड्यंत्र भी है.

संस्थान द्वारा नियमित पद को प्रतिनियुक्ति से भरने के कारण संस्थान के योग्य कैंडिडेट आवेदन करने योग्य नहीं रहेंगे. पत्र में लखनऊ हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा जनवरी 2022 में डॉक्टर ईश्वर रामदयाल प्रकरण (Dr Ishwar Ramdayal episode) में दिए गए आदेश का भी जिक्र किया गया है. जिसमें यूरोलॉजी विभाग में चिकित्सा शिक्षकों के पद को प्रतिनियुक्ति से भरे जाने को गलत ठहराया गया है. कोर्ट ने संस्थान के अन्य योग्य शिक्षकों के हितों का ख्याल रखते हुए चिकित्सा शिक्षक के पद पर मात्र संविदा द्वारा भर्ती किए जाने की बात कही है. अमित मिश्रा के अनुसार मेडिसिन, हड्डी, स्त्री एवं प्रसूति, नाक कान एवं गला, नेत्र रोग, समेत तमाम विभागों में प्रोफेसर के पद पर नियमित या संविदा पर नियुक्ति नहीं की गई है, न ही इस दिशा में कोई भी प्रक्रिया विचाराधीन है. संस्थान में जिन विषयों में नेशनल मेडिकल कांउसिल (एनएमसी) के द्वारा बार-बार प्रोफेसरों की कमी दिखाई जाती है. उन विभागों में भर्ती को लेकर संस्थान कतई गंभीर नहीं है.

यह भी पढ़ें : अक्टूबर में 13911 करोड़ का राजस्व मिला, उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने दी जानकारी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.